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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अनंगी नगी anangi-हिं० वि० [सं० अनङ्गित ] [स्त्री० अनंगिनी ] श्रंग रहित । बिना देह का । शरीर । संज्ञा पुं० कामदेव | (Cupid ). अनंत ananta-हिं० संज्ञा पुं० दे० अनन्तः । 'मन'तनूल anantamūla - हिं० संज्ञा पुं० [सं० श्रनन्तमूलम् ] अनंता ananta - हिं० वि० त्री० [सं० ] जिसका अंत वा पारावार न हो । संज्ञा स्त्री० (१) पृथ्वी । ( २ ) अनन्तसूत्र देखो - अनन्ता | अनंदी anandi - हिं० संज्ञा पुं० [सं०] (१) एक प्रकारका धान । (२) दे० - श्रानन्दी | अनंभ anambha-हिं० वि० [सं० अन्=नहीं + श्रम्भ = जल ] बिना पानी का । 'शुमत्फल ananshumatfalá-सं० स्त्री० कदलीवृक्ष, केला का पेड़ । ( Musa sapientum, Linn. ) जटा० । अन् an - अव्य० [सं० ] संस्कृत व्याकरण में यह निषेधार्थक 'नज्' अव्यय का स्थानादेश है और प्रभाव वा निषेध सूचित करने के लिए स्वर से प्रारम्भ होने वाले शब्दों के पहिले लगाया जाता है । उ० - श्रनन्त, श्रनधिकार, अनीश्वर | पर हिन्दी में यः श्रव्यय वा उपसर्ग, कभी कभी सस्वर होता है और व्यंजन से आरम्भ होने वाले शब्दों के पहिले भी लगाया जाता है । उ०- श्रनहोनी, धनबन, अनरीति इत्यादि । अन्त anta-हिं० पु० नाश स्वरूप, शेष, समाप्ति, सीमा, निकट, अति । (End, completion, death. ) ૩૦ अन्तकः antakah - सं० पुं० (१) काञ्चनार वृक्षः-सं० | कन्चनार का पेड़ - हिं० । ( Bau hinia Variegata, Linn. ) भा० गु० ४३ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अन्तर्मूल व० । ( २ ) नाशकर्त्ता, काल ( the Supposed regent of death) । (३) सन्निपात ज्वर विशेष । इसके लक्षण - - अंगों का टूटना भ्रम, कम्प और शिरका हिलना, खाज तथा रोना, कुछ का कुछ बकना, संताप, हिचकी का थाना जिसमें ये जक्षण हों उसको असाध्य श्रन्तक सन्नि पात जानना चाहिए । इसकी अवधि १० दिन की है, जैसे- "अन्तके दश वासराः ।" मा० नि० । उक्त सन्निपात के लक्षण भावमिश्र महोदय ने निम्न प्रकार वर्णन किए हैं, यथा - जिस मनुष्य के अन्तक नामक समिपात कुपित होता है, उसके शरीर में बहुत सो गाँठें पड़ जाती हैं, उदर वायु से भर जाता है, निरन्तर श्वास से पीड़ित रहता है और अचेत रहता है । भा० म० १ भा० । अन्तकोटर पुष्पी antakotara-pushpi-सं० स्त्री० नील बोना - बं० । अन्त्र antriश्रन्तड़ी antari - हिं० स्त्री० श्राँतें, श्रन्त्र । | (Intestines, Bowels, Entrails, Gut.) अन्तरम् antaram सं० की० श्रवकाश, छिद्र, मध्य बीच; दूर, भीतर । ( Interval, hole or rent, midst ). अन्तमल antamala-सं० (१) मद्य, मदिरा (Wine ) । (२) मल, विष्ठा ( Foeres ) । अन्तमात्रिका धमनी antamátrika-dhamani - हि० स्त्री० ( Internal carotid artery) ग्रैवान्तरिक धमनी । शिर्यान सुबाती गाइर अ० । - हिं० संज्ञा पु ं० काला मदार | अम्तमल antamala अन्त मूल antamúla [सं० अन्तर्मलः ] जंगली पिक्वन ( - क्वा - ) । टाइलोफोरा अस्थमेटिका Tylophora asthmatica, W. & 1, ऐस्क्रिपिश्रस स्थमेटिका Asclepias Asthamati For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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