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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अनुकूलिनी ३२५ अनुकूलिनी anukulini - सं० स्त्री० ददन्ती | Croton Tiglium, Linn. (A small var. of-). श्रनुतक्रम् अनुच्छ वासः anuchchhvasal-सं० पु० श्वासरोध, साँस बन्द होना, दम बन्द होना, दम घुटना | इख़्तिनाक़-अ०। (Asphyxia) अनुकंपा anukampa - हिं० संज्ञा स्त्री० [सं०] अनुज anuja - हिं० वि० [सं०] जो पीछे [वि० [अनुकंपित ] सहानुभूति । हुआ हो । संज्ञा पुं० [स्त्री० अनुजा ] ( १ ) छोटा भाई । ( २ ) एक पौधा । उत्पन्न स्थलपद्म । अनुक anukta-सं०, हिं० वि० जिसका वर्णन न किया गया हो । जो न कहा गया हो । ( Not 1 Spoken, not told ). अनुक द्रव anukt-adrava - हिं० वि० निद्रव, जहाँ स्वसादि पतले पदार्थोंका वर्णन नचाया हो । अनुक्त परिमाण anukta-parimána - सं० त्रि०, हिं० वि० जहाँ द्रव्यों का परिमाण (मान) न दिया गया हो | अनुक्रम anukrama-सं० प ० विधान, कायदा | (method, order). अनुखाल anukhála - हिं० पु० खाई, खाड़ी, नाला । ( A creek ). अन्गः anugah-सं० पु० परिचारक, सेअनुगanuga - हिं० संज्ञा पु ं० | वक । ( An attendant.) रत्ना० । - हिं०वि० (fol!owing. )पश्वाद्गाभी, पीछे चलने वाला, धनुगामी, अनुयायी, पैरोकार । अनुगत anugata-सं० पु०, -हिं०वि० [संज्ञा श्रनुगति ] ( १ ) पीछे पीछे चलने वाला, श्राश्रित, श्रनुगामी, अनुयायी (Dependant on ) । (२) अनुकूल । मुग्राफ़िक । - हिं० संज्ञा पुं० सेवक, अनुचर | अनुगमन anugamana-हिं० संज्ञा पुं० [सं० ] पीछे चलना | अनुसरण । (२) .. समान श्राचरण । ( ३ ) सहवास । संभोग | अनुगामी anugami हिं० वि० [सं० ] [स्त्री० अनुगामिनी ] ( १ ) पीछे चलने वाला, पंश्चाद्वर्त्ती ( Followrig) । (२) समान आचरण करने वाला । (३) सहवास वा सम्भोग करने वाला | अनुघात anugháta - हिं० संज्ञा पुं० [सं०] नाश | संहार | अनुचिबुक anuchibuka - हिं० संज्ञा पु ं० ठोड़ी या ठुड्डी के नीचे का भाग । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुजम् anujam - सं० स्त्री० ( Root stock of Nymphaea lotus ) प्रपौण्डरीक ( कमल नाल) नामक गंध द्रव्य विशेष । पुण्डरिया - बं० | रा० नि० ० १२ । श्रनुजस् anujas सं० पु० पुराडरिया, कमलनाल | ( The root stalk of Nymphapa lotus. ) अनुजा anuja-सं० स्त्री० त्रायमाणलता । गीश्रीयालियालता - बं० | रा० नि० ० ५ । बलाडुमुर - बं० | भा० पू० १ भा० गु० व० ! Thaliclrum Fliosam | देखो -- त्रायमाणा ।. अनुजात anujata-सं०पु० वह सन्तान जो पिता के गुण रखती हो । अथवं ० | सू०६ । का०८ | अनुजिघ्रम् anujighram - सं० गंध लेकर । अथव० । अनुजंघास्थि anujanghasthi - हिं० संचा स्त्री टाँग या जंघा की दोनों लम्बी अस्थियों में से वह जो अंगुष्ठ (शरीर की मध्यरेखा के निकट ) की ओर रहती है । फिब्युला Fibula इं० । श्रनुज्ज्वल मण्डल anujjvala-mandala (Non-Luminous Zone ) ज्वाला के मण्डलों में से वह जो उसके उज्वल मण्डल के सर्वतः बाहर स्थित है । इसमें श्रोषजन के श्रा धिक्य के कारण कज्जल कणों का ज्वलन सम्यक् रीतिसे होता रहता है । एतदर्थ इसमें उज्ज्वलता की न्यूनता होती है, परन्तु ताप सब से अधिक होता है । देखो -- ज्वाला । श्रनुतक्रम् anutakram- सं०ली० तक्रानुपान । “जग्ध्वा तक्रं पिवेदनु ।” सि० यो० पाण्डुचि० वृन्दः । For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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