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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अनार अनार के पक्षों को पानी में करना श्लीपद को लाभप्रद है । कनफेड के बरम को दूर करता है। www.kobatirth.org पीस कर लेप | इसका प्रलेप ३१० अनार के २ तो० पत्तों को ॥ पानी में क्व थित कर = पानी शेष रहने पर छान कर ४ रती सेंधानमक मिला सुबह और शाम पिलाने से भी यह कनफेड़ के बरम को दूर करता है । अनार के २ तो० हरे पत्तों को ॥ पानी में करें जब । पानी शेष रहे तब छानकर ठंडा होने पर इससे गण्डूप कराने से यह खुनाक ( Sore throat ) को दूर करता है । थातशक में पारद सेवन से मुँह आने पर भी इसका उपयोग लाभदायक होता है। 1 अनार के २ तो० हरे पत्तों को ॥ पानी में जोश देकर = रहने पर छानकर ठण्डा करके सुबह इसीतरह शाम के वक्त पिलानेसे वह खुनान ( Sore throat) और मुँह थाने में मुफ़ीद है । अनार के पतों को छाए में सुखा बारीक पीस और कपड़छान करके सुबह और शाम दाँत और मसूढ़ों पर मञ्जन रूप से लगाने से दाँतों के हिलने, मसूड़ों से खून या पीव श्राने और मसूड़ों के फूलने इत्यादि में लाभप्रद 1 S = अनार के पत्तों को ९१ पानी में जोश देकर | | पानी शेष रहने पर छान कर इससे जख्मों को धोने से उनसे खून आना बन्द हो जाता है और ज़ख्मोंका गन्दापन दूर हो वे शीघ्र भर जाते हैं । इस प्रकार धोने से और पूर्वोक अनार पत्र तथा सत्यानाशी द्वारा प्रस्तुत तैल के लगाने से नासूर भी दूर हो जाता है । अनार के पत्तों को छोए में सुखाकर बारीक पीस कपड़छान करके ६-६ माशा सुबह शाम ताजे पानी के साथ खिलाना भी नासूर में लाभ करता I अनार के पत्तों को पानी में पीसकर दिनमें दो बार लेप करना या अनार के पत्तों को पानी Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रनार में भिगोकर बतौर पोटली आँखों पर फेरना दुखती आँखो को लाभ पहुँचाता है । अनार की पत्तों को कुचल कर निकाले रस को कपड़े में छान कर दिन में दो बार चन्द्र क़तरे में टपकाना आँखों की सुर्खी, बरस, खुजली और गंदपन को दूर करता है । अनार के सेर ताजे पत्तों को सेर पानी में भिगोएँ । २४ घंटे बाद आग पर पकाएँ जब २ सेर पानी शेष रह जाए छान कर इस पानी को दुबारा याग पर चढ़ाएँ । जब शहद की तरह गाढ़ा हो जाए तब भाग पर से उतार कर डा होने पर शीशी में डाल रक्खें । इसे सलाई से सुबह और रात्रि में सोते समय आँखों में लगाना दुखती आँखों को लाभ करता है और श्रोंखों की खुजली, ललाई, गंदापन, पलकों की खराबी, पानी जाना और कुकरों को दूर करता है | अधिक काल तक सेवन करते रहने से परवाल भी दूर हो जाते हैं । पत्ती को पानी में भिगोने से पहिले पानी से अच्छी तरह साफ कर लें जिसमें मिट्टी आदि अलग हो जाएँ । यथासम्भव इसको ताम्र पात्र में तय्यार करें । अनारकी हरी पत्तीको कुचलफर निकाला हुना रस ४०-४० त०, सुरमा स्याह २ तो०, दोनों को खरल करें। शुष्क होने पर कपड़छान कर रखें | इसको दोनों समय आँखों में थांखों के उपर्युक्त रोगों को दूर करता है । लगाना अनार के हरे पत्तों को कुचल कर निकाला हुआ रस खरल में डाल कर खरल करे । जब शुष्क हो जाए तब कपड़े में छान कर रखें । प्रातः सायं सलाई द्वारा आंखों में लगाना पूर्वोक्क नेत्र रोगों में यह प्रयोग अधिकतर लाभप्रद है For Private and Personal Use Only सिंगरफ़ रूमी १ तो०, अनार के हरे पत्त े २ तो० दोनों को खरल करके ७ टिकियाँ बना कर छाया में शुष्क करें। तामे के टुकड़ों को श्राग पर गरम करके उस पर एक टिकिया रखकर जलाएँ और शक के रोगी को नंगा करके
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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