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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनार ३०८ रगड़ और छान कर सुबह इसी तरह शाम को पिलाना बवासीर के खून को इन्द करता है। अनार के पत्तों को पीस कर टिकिया बनाकर जरा गरम करके घी में भून कर बाँधना बवासीर के मस्सों की जलन, दर्द और शोथ को दूर करता है और मस्सों को ख श्क करता है। - २ तोले अनार के पत्तों को १० तोले पानी में रगड़ और छान कर सुबह और शाम को पिलाना खून के चमन को रोकता है। इसी प्रकार सेवन करने से खून के दस्त भी बन्द होजाते हैं। अनार के पत्तों को पानी में पीस कर लेप करने से पित्त का सिर दर्द दूर होजाता है । वात और कफ के सिर दर्द में अनार के पत्रों को पानी में पीस कर किञ्जित् गरम करके लेप करना चाहिए। छाया में शुष्क किए हुए अनार के पते ॥, धनियाँ शुष्क ॥ इनको बारीक पीस कर कपड़ छान करें, गेहूँ का आटा 5१ तीनों को मिला कर गाय के ऽ२ घी में भून कर ठंडा होने पर ७४ खाँड़ मिलाकर रखें। इसमें से १-१ छं० या पाचन शनि के अनुसार न्यूनाधिक मात्रा में प्रातः सायं गरम दूध के साथ खिलाना सिर के दर्द तथा सिर चकराने को दूर करता है। अनार के दो तोले ताजे पत्तों को 5- पानी में रगड़ और छान कर प्रातः सायं पिलाना खुनी पेचिश को दूर करता है। अनार के पत्तों को छाया सुखा बारीक पीस कर कपड़ छान करें। ६ ना. प्रातः गौ की छाछ और सायं उसी छाछ के पनीर के साथ खिलाएँ। कामला में लाभप्रद है। शनार के पत्तों को छाया में सुखा बारीक पीस कर कपड़ छान करके सुबह और शाम ६-६ जा. ताजे पानी के साथ खिलाना दाद, चंबल शौर खुन की खराबी को दूर करता है। अनार के पत्तों को पानी में पीस कर दिन में दो बार १-१ घंटे के लिए लेप करना गंज को. दूर करता है। अनार के ताजे पत्तों को कचल कर निकाला हा रस १ सेर, अनार से ताजे पांकी चटनीsसरसों का तेल श्राधसेर, तीनो को मिलाकर नरम आँच पर पकाएँ। तैल मात्र शेष रहने पर श्राग पर से उतार और छान कर ठंडा होने पर शीशी में भरकर इस तेल को दिन में दो बार लगाना गंज और बाल झड़ को दूर करता है । इस तेल की मालिश करने से चेहरे की कील झीप और काले धब्बे भी दूर हो जाते हैं।। अनार के पत्रों की छाए में सुखा कर बारीक पीस कपड़ छान करें और १-१ तो. प्रातः सायं पानी के साथ खिलाने से पातशक ( उपदंश) दूर होता है। प्राधपाव अनार के ताजे पत्तों को कुचल कर १ सेर पानी में श्रौटाएँ, श्राधसेर पानी शेष रहने पर छान कर इस पानी से दिन में दो तीन बार पातशक के जरूमों को धोना चाहिए। अनार के पत्तों को छाए में सुखा बारीक पीस कपड़ छान करें और अनार के पत्रों को कुचल कर निकाले हुए रस में २१ दिन खरल करके शुष्क होने पर कपड़ छान करें। प्रातशक के जख्मों को शुष्क करने के लिए यह एक अजीब अनार के २ तोले हरे पत्तों को प्राधपाद पानी में रगड़ और छान कर सुबह इसी प्रकार शाम के वक्र पिलाना पेशाब के रास्ते खून थाने में गुणदायक है। . अनार के ताजे पचों को पत्थर पर बारीक पीस कर दिन में दो बार लेप करना दाद और चंबल को दूर करता है। अनार के दो तोले ताजे पत्रों को प्राधसेर पानी में जोश देकर श्राधधाव पानी शेष रहने पर छान कर पाव भर गरम दूध में मिलाकर पिलाने से शारीरिक एवम् मानसिक शांति प्रशमित होती है। प्रातः एवम् रात्रि को सोते समय इसी भाँति सेवन करना अनिद्रा या स्वल्प निद्रा के लिए लाभदायक है । नींद आने के लिए भंस का दूध सेवन करना अत्युत्तम है। For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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