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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (ए)नाकार्डिरसाई २६४ अनाचारः Making nut-tree. ( Semecar- इसे अनागतावेक्षग कहते हैं । नु० उ० श्रा० pus anacardium). (ए)नाकार्डिएसीई anacardiacen-ले० । अनागलुस anāghalus यु० ) इसे नती भल्लातककी अथवा काजूवर्ग। (Anacards, अनागालुस naghālus " भाषामें अनाTerebinths or Sumacs ). किर और फिरङ्गी में अन्कालन कहते हैं। कोई नाकार्डिक एसिड anacardic acid-ले० कोई इसका युनानी नाम फरियून और अरबी भल्लातक्याम्ल, भिलावे का तेजाय । फा० ई. नाम हशी रातुल अलक लिखते हैं। यह एक बूटी १ मा०। है । इसके स्वरूपके सम्बन्ध में बहुत मतभेद है । अनाकार्टापर anacardier-. (१) काजू । यह श्रराक और शाम श्रादि प्रदेशों में उत्पन्न Cashew-nut-tree (Anacarliam होती है। occidentale, Linu. ) फा० इं० अनाग़ालिस nighalis यु०, अ० श्रनाकिर १ भा० । (२) भल्लातक, निलायाँ। The -कुस्तु०। मरिजानह -अ० । जोकमारो, अँधनी marking nut tree ( Semeca. ___-हिं० । ( Anagallis arvensis, rpus Anacardiuni ) ई० मे० मे०। __Lin.) -ले० । फा० इं० २ भा० । अनाक्रांत anākranta-हि० वि० [सं०] अनागीलस amāghilas-यु० मोश । see[स्त्रो० अनाक्रांता] जो अाक्रांत न हो। अपी marzanjosha ड़ित । रक्षित । अनागैल्लिस श्रान्सिस anagallis arven. अनाक्रांतता anākrantata-हिं० संज्ञा पु. sis, Linn. -ले० अँधनी, जोखमारी। उ० [सं०] अाक्रांतता का अभाव । रक्षा । अपीड़ा । प० सू० । मे० मो०। अनाक्रान्ता anakrānta-सं० स्ना० कण्टकारी, अनागोरस anāghoras-रु० सल्वान्-यु० । कटेरी, भटकटैया-हिं० । सोलेनम् जेन्योकार्पम् खबुल नजीर-मिश्र० । इसके फल को हब्बु( Solanum Xantho-carpum ) लकुल्या कहते हैं । गुलेकर्नब के समान एक बूटी - ले० । र० मा० । है जो शामादि देशों में उत्पन्न होती है। किसी अनाका सांडिश्राई क्लोराइडम् anaqua-sodii किसी के विचारानुसार एक अन्य बूटी है जिसके chloridum-ले० सोचर नोन | sochal पत्ते एवं शाखाएँ सँभालूके समान होती हैं। इसका salt. वृक्ष बड़ा हो जाता है। अनागत anāgata-हिं० वि० [सं०] (1) अनाचारिता anachāritā--हिं० संज्ञा स्त्री० न पाया हुश्रा । अनुपस्थित । अविद्यमान | [सं०] निंदित अाचरण । दुराचारिता । अप्राप्त । (२) पागे पाने वाला। भावी । अनाचारी anachari-हिं० वि० [सं० श्रनाहोनहार । चारिन्] [स्त्री०अनाचारिणी । संज्ञा अनाचारिता] अनागतातंवा anaga tārttavā-सं० स्त्रोक प्राचारहीन, भ्रष्ट, बुरे प्राचरण का, पतित' कन्या, अजात रजस्का, अरजस्का, गौरी, नग्निका, दुराचारी। कुमारी, बालिका । जो स्त्री रजोधर्मिणी न हुई हो। अनाचार: anachārah-सं०ए० (१) असत्कर्म, (A little girl, a girl nine years अनिष्टकर्म, दुराचार, कुव्यवहार, निंदित पाचरण । old, a virgin.)। रा०नि०व०१८१० । (Undesired or evil or Impro. अनागतावेक्षणम् anagata-vekshanam per conduct) वै० निध०। (२.) कुरीति, -सं० क्ली. आगे इसे कहेंगे (या ऐसा कहेंगे) कुप्रथा, कुचाल । For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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