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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org श्रनडुह गोभी - हिं० | गोजिया शाक - बं० रा० निं० ब० ४। ( Elephantopus, Scaber. ) अनडुह anaduha - हिं० संज्ञा पुं० [सं० ] बैल । वृप । ( An ox ). अनडुही anaduhi-सं० ( हिं० संज्ञा ) स्त्री० स्त्री गवि । गाय । ( A cow ) देखो - गाय | अनड्वान् anadván - सं० पु०, हिं० संज्ञा पु (A bull, an ox ) वृष- सं० 1 बैल साँड़ - हिं० | इसके पर्याय-बलीवर्द, वृषभ, वृष, अनड्वान्, सौरभेय, गौ, उक्षा और भद्र बैल के संस्कृत नाम हैं । भा० पू० । रना० । ( २ ) the Sun सूर्यं । ( उपनि० ) | अनड्वाही anadváhi - सं० स्त्री० ( A cow), स्त्री गवि-सं० | गाय - हिं० | इसके पर्याय- सुरभि, सौरभेयी, माहेयी और गौ ये गायके संस्कृत नाम हैं | हला० श्रनणुः ananuh-सं० पु०, क्ली० सूक्ष्म धान्य । सहधान - बं० । वै० निय० । अनत anata-हिं० वि० [सं०] न झुका हुआ । सीधा | अनत्रजनोय २८७ anatra-janiya हिं० वि० ( Non-nitrogenous ) नत्रजन विहीन | वे पदार्थ जिनमें नत्रजन नहीं होती जैसे - वसा ( चरबी ), शर्करा ( शकर ), श्वेतसार ( मांड़ ), अनद्यः anadyah - सं० पु० गौरसर्षप - सं० । श्वेत सरसों - हिं० । (Brassica juncea ). रा० । अनद्यतन anadyatana - हिं० वि० [सं० ] अद्यतन के पहिले वा पीछे का । अननस ananas -म० | देखो अनन्नास । अननाश ananásha - बं० छोटा घीकुवार, छोटी ग्वार - हिं० | | Aloe litoralis ) इं० मे० मे० । अननास ananása - हिं०, मल०, मह०, गु० अनन्नास, अनरस - हिंο| (Ananas sativus ) इं० मे० मे० । श्रनन्तकः anantakah सं० पु० ( १ ) मूलक, मूली | ( Raphanous sativus ). Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनन्तः ( २ ) नलतुण - सं० । नरकट - हिं० । Phragmites karka | मद० ० १ । अनन्त गुण मण्डूरम् anantaguna mandüram-स ं० क्ली० (नवायस मण्डूर) गन्धक, सुहागा, पारा, त्रिकुटा, त्रिफला पृथक् पृथक् समभाग और सर्व तुल्य लौह किट्ट शुद्ध मिलाएँ । पुनः सब से दूने गोमूत्र में पकाएँ और फिर सर्व तुल्य पुरातन गुड़ मिलाकर घोटें । मात्रा - माशे पथ्य छाँछ और चावल खाना चाहिए | गुण- इसके सेवन से क्षय और पांडुरोग का नारा होता है । ररू० पी० सा० । अनन्त मूलम् anantamūlam-स० क्ली० ( १ ) करालाख्य श्रौषध | देखो - कराल | (२) सुगंधा । ( ३ ) बच्चा भेद । श० चि० । ( ४ ) अनन्ता | देखो - शा (सा - ) रिवा । अनन्त नूलो ananta.muli - सं० क्लो० । (१) दुरालभा ! (Alhagi Maurorum) । (२) र दुरालभा Alhagi maurorum (the red variety of ) व० निघ० । अनन्तरन्ध्रका ananta-randhraká- सं० स्त्रो० खर्पर पोलिका । श्राके पिटे-बं० । ० निघ० । अनन्तवातः ananta-vatahसं० पुं० उक्त नाम का शिरोरोग विशेष । लक्षण जिसमें तीनों दोष कुपित होकर मन्या ( गर्दन ) की नाड़ी को तीव्र पीड़ा समेत श्रति पीड़ित कर, चक्षु, भौंह कनपटी में शीघ्र जाकर विशेष स्थिति करते हैं, और गण्ड स्थल की बगल में कंप, कड़ी की जकड़न और नेत्र रोगों को करते हैं । इन तीनों दोषों से उत्पन्न हुए शिर रोग को "अनन्तवात" कहते हैं । मा० नि० । अनन्तः anantah - सं० पु०, ( १ ) दुरालभा । ( Alhagi maurorum ) वै० निघ० २ भा०, श्रनन्तादि चूर्णे, सर्व्वज्वर प्रकरणो । ( २ ) सिन्धुवार वृक्ष अर्थात् सम्हालू ( Vitex negundo ) । ( ३ ) अभ्रक धातु । Talc ( Mica ) रा० नि० व० १३ । ( ४ ) श्राकाश । For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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