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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अतिसार २५४ अतिसार अती स; (प्रवनयरातीसार ) अगस्तिया को ... रक्कमोण, रबाटनि, लाइकर फेरि पर नाइट्रिस, जाति के वृक्ष, साल, रोहिना और सञ्ज; (एटो- लाहकर फेरि पर जोराइड, लाइकर हाइडार्ज, निक अर्थात् प्रामाशयनैल्य जन्य) कुचिला, श्रा- विरिट्राम विरिडि, सैलिसिलेट, सिमा रियुबा, सन प्रभृति, पिरडतगर भेद, अर्जुन, बहेड़ा, तिर्याक | सल्फ्युरिक एसिड, सयमाइडि, सोडियाई क्लोरा. फारूक, जंगली काली मरिच आदि और ऋगाटक | इडम् (संपव), सल्फर (गंधक), सैलोल, हाइड्र्ज (सिंघाड़ा प्रभृति); (पालतिक) सम्भालू प्रभति, । को.सव सब्लिमेट और हिमेटिक सिल्लाइ । धातको (ध वपुष ), मेथी, अन्तमल ( जंगली पिकवन ), मूत्र ( श्रुप का ), पाईक अोर बदरी (वालातीसार में )-अर्जेरटाई नाइट्रास प्रमति । इपिकाक्वाना, एसिड सल्फ्युरिक डिल, अोपिअतिसार में प्रयुक्त डॉक्टरों यम् (अहिफेन ), कलम्बा, काफी, केम्फर श्रौषध ( कपूर ), कुप्राई सल्फास, कस्पेरिया, करोंसिव अगल, (वृपपित्त) अर्जेरटाइ नाइट्रास, अर्जेण्टाइ सब्लिमेट, जिन्साइ प्रॉक्साइडम्, नाइट्रिकएसिड डाइल्युटेड, पेप्सीन, लम्बाई एसिटास, माप्टिक, नोराइडम्, पार्सेनिक (सखिया), ग्रॉइल टेरे.! बिस्नथाई कार्ब, टिंकचर केनाबिस इण्डिका, बिन्थीनी (निशाथ तेल ), एरिका (सुपारी), स्युबार्ब, लाइकर हाइड्रार्ज, लाइकर कैल्सिस, श्राल्सटोनिया ( सप्तप), युवी अर्साई ( रीछ लाइकर फेरि पर नाइट्रिस, सैलोल, हाइड्रार्ज कम दाख ), इयेप्ट ( सुरावीज ), इपिकेकाना, ईसब क्रीटा, हाइड्रार्ज करोंसिव सडिलमेट । गोल, एसिड नाइट्रिक ( शोरकाम्न ), इन्फ्युजन लाइनाई ( अतसी फांट ); | नोट-अतिसारो योगों का वर्णन क्रमागत इसके भेदों की चिकित्सा लिखते समय किया एकोरस ( बच ), एलम ( फिटकरी ), अकेशिया ( क्रीकर ), श्रोपियम् (अफीम ), | जाएगा। एसिड सल्फ्युरिक डिल (जल भितिगंधकाम्ल ), अतिसार नाशक शास्त्रीय योग अकेशिया कैटेचू ( खदिर ), क्युप्राई अमोनिया नेत्रवाला, अदरख, नागरमोथा, पित्तपापड़ा सल्फास, कलम्बा, कादोनिक एसिड (कज और खस इन्हें पकाकर वस्त्र से छानकर पिलाएं, लाम्ल ), कारोफॉर्म (संमोहिनी ), केम्फर आधा लगने पर नियत समय पर लाजामण्ड ( कपूर ), केनाबिस इरिङका ( भंग ), कैल्सिस कार्बनास, कैल्सिस हाइपोफॉस्फॉस, कैलाट्रापिस, शालपर्णी, पृष्टपर्णी, बड़ी कटेरी, छोटी कटेरी, काफी, कैप्सिकम् ( लाल मिर्च ), कैटाक्यु खिरेटी, गोखरू, पाा, सों, धनिया इन्हें भोजन (खदिर ), कैसकेरिल्ला, कुर्चि (कुटज त्वक् ), के साथ काथ कर देने से अतिसार शांत होता है। क्रियोज़ोट, क्युप्राई सल्फ.स ( ताम्र गंधिद) शालपर्णी, खिरेटी, वेलगिरी, पृष्टपी इनसे कस्पेरिया, कैस्टर प्राइल ( एरण्ड तैल ), सिद्ध की हुई पेया नीबू तथा अनार का रस डाल काइनो (विज (सारनिर्यास), वासिया, कोपर्कस, कर पीने से कफ और पित्तातिसार दर होता है। गाब, गैलिक एसिड (माज्वाम्ल ), डिकक्ट ग्रेनेटा, | श्रामातिसार से पीड़ित रोगी को प्रथल संग्राही ज़िन्साइ सल्फास, ज़िन्साई आक्साइडम्, तथा कब्ज़ करने वाली कोई भी श्रीपब कदापि टैनिक एसिड ( कपायिनान्ल), नाइट्रो हाइड्रो न दें, क्योंकि ऐसा करने से श्रादि में ही दोष कोरिक एसिड, नक्सवामिका ( कुचिला), पोटास वध्य हो जाने से शोथ, पांडु; प्लोहविवद्धन, कुष्ट, सहफ्युरेटा, प्लम्बाई एसिटास, पलास गोंद, गुल्म, उदरशूल,ज्वर, दण्डक,अलसक, प्राध्मान, माइरिप्टिस, मैटिको, फेरम ( लौह ), विस्मथम अर्श, संग्रहणी इत्यादि रोग पैदा हो जाते ऐल्बम, विस्मथाई दैनास, बाबुई तुलसी, वेल, हैं। जिनका दोष वृद्धि होकर बल, धातु अधिक For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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