SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 284
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रतिमधुरम् २४२ प्रतियवः अतिमधुरम् ati-madhuram-मल० मुलेडी mosa) प० मु० । “अतिमुद्र कमिच्छन्ति (Glycyrrhizae 'Radix' glabra, वासन्ती माधवीलताम् ।" हला० ५४ । Liun. ) स० फा० ई०। वासन्ती । तिनिश । मे० तचतुष्क । वा० उ० अतिमधुरम्-पालु ati-madhuram pālu | १३ अ०। गाव, तेंद । भा० पू० १ भा० । -ते. मुलेठी का सत-हिं० । Glycyrrhi- गुण-कसेली, शीतल, ४ मध्न, पित्त, दाह, za ( Extract of-)। स० फा० इं० । ज्वर, उन्माद, हिक्का, तथा छर्दिनाशक है । रा० अति-मधुरमु a ti-nmadhuramu-ते. नि० व० १० । देखो -तिनिशः । माधवी मधुर, प्रतिमधुरा ati-madhuri-कना० शीतल, लधु तीनों दोषोंको नाश करने वाली है। मुलेठी (Liquorice root) स० फा० भा० पू० १ भ .पु०व० । -(कः) हरिमन्थ । हारा०। (५) मरुया का पौधा । प्रतिमन्थः,-कः ati-manthah,-kah-सं० अतिमुक्त तैलम् ati-mukta-ta.ilam- सं.. क्ली० प्रतिमुक्का के बीज का तेल, अतिमुकंक पु० अरनी, अरणी, अग्निमन्थ ( Premna बीज तेल । serratifolia). गुण-वातपित्तनाशक, केशवद्धक अथवा अतिमात्रम् a ti-matram-सं० क्ली. अधिक केश के लिए हित, श्लेष्माकारक, भारी और मात्रा (परिमाण), मात्राधिक्य । मात्रा से शीतल है । वा० टी० हेमा०। ज़ियादा । वा० स०८ श्र० अतिमात्र ati-mātra-हिं० वि० [सं०] अतिमुक्ता ati-mukta-सं० स्त्री० अति मुक्तका। रा०नि० व..१०। (Excessive) अतिशय | बहुत । ज्यादा। अतिमूत्र ati-mitra-हिं० संज्ञा पु० [सं०]. प्रतिमानुष ati-mānusha-हिं० वि० [सं०] ( Diabetes) वैरक में प्रात्रेय मत के (Superhuman) मनुष्य की शकि के अनुसार छः प्रकार के प्रमेहों में से एक । इसमें बाहर का । अमानुषी । अधिक मूत्र उतरता है और रोगी क्षीण होता प्रतिमित ati-mita-हिं० वि० [सं०] अप- जाता है। बहुमत्र । रिमित । अतुल | बे अन्दाज़ | बहुत अधिक | प्रतिमैथुनati-maithuna-हिं०संज्ञा पु०अतिसङ्ग, बे ठिकाना । बे हिसाब । स्त्री सहवासाधिक्य, अधिक स्त्री संग करना । अतिमुक्तः,-कः ati-muktah, kahसं.पु.)। अतिमोदा ati-moda-सं० स्त्री०, हिं० संज्ञा अतिमुक्त ati-mukta-हिं० संज्ञा पुं० स्त्रो० (१) गुल सेवती-हिं। नवमल्लिका-सं०। afay. 1 ati-inuktak á सेउति-बं० । (Jasminum arbor-सं००(१)तिनिश वृक्ष । तिनसुना । तिरिच्छ । esum, Road.) रा०नि० २०१०। (Mountain ebony )। अम०। (२) (२) गणिकारी वृक्ष-को। गणिरि-बं०। तिन्दुक वृक्ष (See-Tinduka) । तेंद, रा०नि०व० १०। गाव-बं०,हिं० । तत्पर्य्याय-पुर.ड़कः, मल्लिनी, (३) नेवारी का पौधा या फूल । भ्रमरानन्दा, कामुककान्ता-सं० । (३) नव. | अतिमोक्षा ati-moksha-सं० स्त्रो० नेवाड़ी . मल्लिका भेद । वासन्ती, नेवारी-हिं० । पुष्पवृक्ष ( Jasminum zambae flor. रायबेल-बं० | रायविर-म०, ते०। (J. za- ibus multiplicatus. ) mbac floribus multiplicatus ) अतियवः ati-yavah-सं० ० निःशूकयव । देखो-नवमल्लिका । (४) माधवीलता, काली यव । मद० व०१०। "निःशूकोऽतियकः कुसरी, कस्तुरमोगरा (Goertnera trace- स्मृतः" अर्थात् जो जो शूक (सुई.) रहित हों For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy