SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 246
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अडवी मल्ली २०४ গর अडवी मल्ली ndavi-malli-ते. मधुमाधवी कासनी-द०। कमाफीत स-या।( Blumea --सं० । चमेली, चम्बेली-हिं० । नत्रमालिका eriantha, D. C.)-ले०। फा० इं० १ -बं०। (Jasminum arborescens, HTI ( Blumea auritá, D. C.) Roxb.)-ले०। इं. मे० मे०। -ले० । स० फा० ई० । अडवी मल्ले adavi-malle-ते. मालती | अडवी येलकाय adavi-yela-kāya-ते. --सं०, हिं०। ( Jasminum angusti. बड़ी इलायची--हि०, ६० | Amomum. folium, Vahi.)-ले० । ई० मे० मे०।। sp. of. ( Capsules of )--ले० । स० अडवो मामडी adavi-mamadi-ते० प्राम्रा तक-सं० । मड़ा, अम्बाड़ा-हिं० । Hog. अडवो-लवङ्ग-पट्टे adavi-lavanga-patte plum- ई० । (Spondias elliptica.) -क.ना. जंगलीदारचीनीपत्र, तेजपात-हिं । -ले०। ई० मे० मे०। Civnamomum Iners; C. Tamaअडवी मुनगा adavi-munaga la; ले० ।। ० मे० मे। अडवी मनग adavi-munaga - | अडवो-लवङ्गम-पट्ट adevi-lavangamuजंगलो कासनो--: । प्रॉोकार्पम् सेना patta-ते. तेजपात-हि. | Cinnamइडीस ( Ormocarpum sennoides, omum Iner's- ले । मेमो०। D. C.)-ले० । काट मोङ्गि-ता। कुडु. अडवा-बुद्दलु adavi-vuddulu--ते. माषसुग्गे-मा०। शिम्बो या बवूर वर्ग पर्णी, जंगली उड़द, वनउड़द-हिं० । रान (.1.0. Leguminosoe ) उड़िद-मह० । माषानि बं० । Teramnus उत्पत्ति स्थान--पश्चिम प्रायद्वीप और labialis, Spreng wight, Ic. t. 118 --ले० । फा००१ भा०। लङ्का। अडवी-सुदाप adavi-sudapa--सं. सुदान, वानस्पतिक वर्णन-एक छोटी झाड़ी है जंगली तितली. हिं० । ( Ruta graveo. जिसकी शाखाएँ पतली होती हैं। नृतन अंकुर __ lens, Linn.) तथा पुष्पवान भाग एक प्रकार के चिपचिपे लोम से श्राच्छादित होते हैं । चिपचिपा व सुवर्ण अडसी adasi-महानिम्त्र । पीत रंग का होता है। पत्र-पक्षाकारः लघु पत्र अडस्पुडूस . adaspud usa- मल. सोवा, (या पत्रक) ३ से १७, एकान्तरीय, प्रायताधिक सोया--हिं| Pencedanum Graveoकोणीय और झिल्लीदार । पुष्प-कक्षीय, एक डंठल lens -ले० । ई० मे० मे। में ३ से ६ और पीत वर्ण के होते हैं । फली अड़हुल arahula-हि. संभा पु० [सं० (छीमी) २ से ५ जुड़ी हुई, पेण्डुलमवत्, संधि प्रोण+फुल्ला, हिं. प्रोणहुल ] श्रोड़ (क), स्थल पर अधिक सिकुड़ी हुई और चेपदार देवीफूल, जपा या जवापुष्प, इसका पेड़ होती है। ६-७ फुट ऊँचा होता है और पत्तियाँ उपयोग-इसकी जड़ का क्वाथ ज्वरावस्था हरसिंगार से मिलती जुलती होती हैं । फूल में वल्य एवं उत्तेजक रूप से व्यवहृत है । इसका इसका बहुत बड़ा और खूब लाल होता है। प्रस्तर ( या तैल ) पक्षाघात और करिशूल में इसके फूल में महक ( गंध ) नहीं होती। वरता जाता है । ( डाइमाक ) फा० ई० (Hibiscus Rosa=sinensis, Linn.) १भा०। अडासग adāsari- ते. अडूसा, वासक, अरूष अडची मुलगी adavi-mullangi-ते० कुक- | हिं० | Adhatoda Vasica-Nees ले। रोदा-हिं० । जंगली था दीवारी मूली, जंगली | मेमो० । For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy