SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 242
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org श्रटवा जारकः एक औषध निर्मित होती है तथा इसके पत्र का काथ कडून है एवं अन्य त्वग्दोषों को हितप्रद है । २०० प्रयोगांश-तेल, मूल, फल ( Berries ) और पत्र | श्रौषध-निर्माण-काथ, तैल व प्रलेप | प्रभाव तथा प्रयोग - र्‌हीडी (Rheede) का वर्णन है कि पत्र द्वारा निर्मित तैल शिर के लिए हित; जड़ आक्षेपशामक; और फल स्वरस पिरान हैं। लंरी ( Loureiro ) के मतानुसार इसकी जड़ उष्णताजनक, लयकर्ता और उतेजक है 1 एन्सली ( Ainslie ) कहते हैं कि इसके फल ( Berries ) से एक उष्ण, प्रिय गंधियुक्त तैल निर्मित किया जाता है जिसे दक्षिण भारत में पुरातन श्रमवात (गठिया) एवं पक्षाघात में एक मूल्यवान वाह्य औषध ख्याल किया जाता है । कोंकण में इसके पत्ते का स्वरस श्रद्धांग रोग में प्रयुक्त एक मिश्रित प्रस्तर का एक श्रवयव है । वनौषधि प्रकाश, १,४०४ । डाइमांक | इसके फल का उत्तम अचार ( Pickle) बनाया जाता है जो ज्वर एवं स्वाद वा दुधा ह्रासयुक्त अन्य रोगों में लाभदायक पथ्य है । इ० मे० मे० । अटवी जीरकः atavi jirakah - सं० पु० जङ्गली जीरा - हिं० | श्री मधुकम् atavi-madhukam-सं० की० जङ्गली महुआ- हिं० । अटवीलता atavi-latá सं० स्त्री० कुम्भाटवृक्ष, कुम्भाडुया । रत्ना० । देखो -- कुम्हड़ा, कोहड़ा । बूटी, ठिक्री-का- झाड़- ६० । गहपुर्ना, पुनर्नवा - हिं०, बं० | Boerhaavia diffusa, Dim- ले० । स० [फा० ई० । श्रद्धि ( ति ) सीन arisine इं० श्रतीस सत्व | देखो - श्रतीस | फा० ई० । टी ati हिं० संज्ञा स्त्री० (सं० डी ) एक चिड़िया जो पानी के किनारे रहती है। चाहा । अप्प करी atuppa-kari--मल० । लकड़ी का कोयला | Carbon - ले० | Charcoal ( wood ) - इं० | स० [फा० ई० । श्रट्ट atta - सिं० बीज । (Seed) स० [फा० ई० । - मल० जोंक Leech ( Hirudo ). स० [फा० ई० । श्रट्ट atta - हिं०संज्ञा पुं०) (१) वस्त्र । ( २ ) दोतला अट्टः attah - सं० पु० ) कोठा घर, द्विमंजिला मकान, कोठा-हिं० | (An apartment on the roof or upper storey) देखोक्षौमम् । वै० श० । ( ३ ) - मल० । जोक | (Leech) इं० मे० मे०|- हि ०संज्ञा पुं० [सं० हद्द | बाजार ] हाट | बाजार - हिं० ।-डिं० । अटलरिया atalariya - ता० लरबोरन, विह लाङ्गनी, पथरुश्रा· आसा० । पॉलिंगेनम् | श्रई attai - ता० जोंक | Hirudo ) स० ग्लैम ( Polyganum glabrum )ले० । इं० मे० मे० । फा० इं० । श्रटलरी atalari- ता० बीख़ अज्जुवार (Polyganum barlatum) - इं० । मे० मे० । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रहनम् लेण्टिया मोनोफाइला atlantia monophylla, Corr. ले० | माकर लम्बू--म० | अरवी नीम- ते० | माखुर- ता० । मे० मो० । वीजम्बीर, जङ्गली नीबू । ( Wild lime ) - इं० मे० मे० । 1 अटलोएटकम् ataloetakam - मल० असा (Adhatoda vasika ) इं० मे० मे० । श्रटाइलोसिया बारवेद - atylosia barba ata, Bake :- मात्रपर्णी । इं० डू ई० । अटापू atápú- शोरा ( Nitra ) लु० क० । श्रटिः atih सं० पुं० शरारिः, शरालिः, शरारिपक्षि ( Turdus gingivianus ) हला० । अटिक मामिडि atika-mámidi-ते० टीकरी अट्टकः attakah-सं० पु० कोडा, अटारी । ( An upper storey ). अट्टनम् attanam पं० लीο० त्रिका० । For Private and Personal Use Only श्रत्र भेद |
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy