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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org मानम् प्रअनम् और भी कहा है :सौवीरं जाम्बलं तुत्थं मयूरं श्रीकर तथा।। दचिका मेघनीलश्च प्रअनानि भवन्ति षट् ॥ ( कालिका पुराण) अर्थात् सौवीर, जाम्बल, मयूरतुत्थ ( तूतिया भेद), श्रीकर, दविका ( काजल ) और मेषनील ( नीलांजन ) ये छः प्रकार के प्रजन कालिका पुराण के रचयिता ने लिखे हैं। इनमें तुस्थ तथा कजल अंजनम् ( Antimony) से सर्वथा भिन्न वस्तु हैं। इन सब बातों से साफ विदित होता है कि अंजन से उनका अभिप्राय उन समस्त वस्तुओं से था जो नेत्रचिकित्सा में म्यवहृत होती थीं । इनके विभिन्न भेदों का पूर्ण विवेचन यथाक्रम किया जाएगा । यहाँ पर जो कुछ वर्णन होगा वह अंजन (सुरमा) अथवा इसके यौगिकों का ही होगा। ___ स्रोतोऽअन अर्थात् सुरमा सौवीरं, कापोताञ्जनं, यामुन, नदीजं, पीतसारि, वारिभव, स्रोतोनदीभवं, स्रोतोभवं, सौवीरसारं,( का-) कपोतसारं, वल्मीकशीर्षम् । र० मा०, सु० चि० । १० प्र० । वाल्मीक, जयामलं, स्रोत, सौवीरसार, कपोतांजन,-सं० । सुरमा, सुरमे का पत्थर, अंजन-हि. । अंजन, अंजन का पत्थर -६० । सुर्मा, शुर्मा, जलांजन, काल शुर्मा-यं० । इ.स.मद, कुहल-अ०। सुर्मह, संगेसुमह, , स्याह सुर्मह, सुर्महे अस्फहानी-फा० । ऐण्टिमोनियाई सल्फ्युरेटम् ( Antimonii Sulphuretnm), एण्टिमोनियम सल्फ्युरेटम् ( Antimonium Sulphuratum)-ले० । ऐष्टिमनी सल्फाइड ( Antimony Sulphi. de), सल्फ्युरेट ऑर टर्सल्फ्युरेट ग्राफ ऐण्टिमनी ( Sulphuret or Tersulphuret of Antimony ), ब्लैक ऐ० ( Black Antimony), किर्मीज़ मिनरल ( Kermes mineral)-५० । अंजनक-कल्लु, अंजनमाइ-ता० । अंजन रायि, नीलांजनम्, कटुक -ते० । अंजनक-कल्ल-मल० । अम्जेना | -कना० । सुमों, सुमो-नु-फत्रो, कुह ल-अंजन- । गु०। शुर्म-खियित्र, सुमें-खियो, तय लकयोपर० । सुर्मा-मह०, को० । काला-सुरमा -मह० । रासायनिक संकेत __ (अम्ज, गं. ) (Sb 2 S3). (ऑफिशल) काला सुरमा जो प्राकृतिक रूप में खानों से निकलता है उसे पिघला कर शुद्ध कर लेते हैं। नोट-आयुर्वेदिक शुद्धि का वर्णन आगे होगा। उद्भवस्थान : चीन, जापान, (ब्रह्मदेश) वर्मा, थोड़ी मात्रा में मायसूर में भी पाया जाता है । विजयानगरम तथा पम्जाब ( झेलम श्रादि स्थानों से खानों से निकलता है। चीन में यह सब से अधिक मिलता है। लक्षण-किञ्चित् धूसर श्यामवर्ण का दानेदार चूर्ण होता है । यह भंगुर द्रव्य है। घुलनशीलता-यह जलमें अनघुल होता है, किन्त कॉस्टिक सोडा के सोल्युशन ( दाहक सोडा घोल ) और गरम हाइड्रोक्लोरिक एसिड (लवणाम्ल ) में घुल जाता हैं तथा उदजन वायग्य उत्पन्न करता है। परीक्षा-कोइले पर सोडियम् कार्बनित स हित दग्ध करने से श्वेत चूर्ण सा प्राप्त होता है । अञ्जनम् धातु के कण प्राप्त नहीं होते । मात्रा-श्राधी से १ रत्ती (१ से २ ग्रेन). मिश्रण-सोमलिका तथा अन्य गन्धिद । प्रभाव-स्वेदक, परिवर्तक और वामक । नोट-स्रोताञ्जन जैसा कि वर्णन हुआ अञ्जनम् धातु तस्व (Antimony) तथा गंधिका (Sulphur) अधातु तत्व का एक यौगिक है । परन्तु, भारतवर्ष तथा पंजाब में जो कंधारी सुर्मा अधिकता के साथ बिकता है, वह वस्तुतः गंधक और सीसा का एक यौगिक है जिसको अंग्रेजी में गैलेना (Galena) या सल्फ्यु रेट ऑफ लेड ( Sulphuret of Lead ) कहते हैं । यह कृष्ण वर्ण युक्त एक गुरु कठोर पदार्थ है। यही कृष्णाजन वा काला २३ For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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