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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अजवाह (य) न खुरासानी अजवाइ (य)म खुरासानी पीसकर कल्क प्रस्तुत कर पुनः जंगली साँड़ के चमड़े में बाँध कर स्त्रियाँ गर्भ निरोध हेतु इसे पहनती है। इसके बीजों के चूर्ण तथा राल दोनों को मिश्रित कर वेदना नाशन हेतु खोखले दाँतों में भरते हैं। मालकाँगनी, वच, अजवायन खुरासानी के बीज, कुलअन और पीपल इनको समभाग लेकर जल के साथ पीसकर कल्क प्रस्तुत करें। पुनः इसमें शहद मिलाकर स्वरयंत्र प्रदाह में ३||| मा. की मात्रा में दिन में दो बार व्यवहार में लाएँ। (इलाजुलगुर्बा) खोरासानी अजवायन और सेंधानमक को | खाली भेदा बहुत सवेरे सेवन करने से एकिलोस्टोमा ( Ankylostoma) नामक कृमि में लाभ होता है। (डॉ. रॉय) एलोपैथिक मेटीरिया मेडिका ' और . हायोसाइमस ( पारसीक यमानी ) पारसीक यमानी पत्र ERIFICARE Fillerat ( HyoscyamiFolia)-ले० । हाणेसाइमस लीभ्ज़ ( Hy. •oscyamus Leaves ), हेनबेन लीज़ ( Henbane Leaves )-३० । अौरानुलबञ्ज, प्रौराकुस्सीकरान-अ० । बर्ग बङ्क-फ़ा०। सोलेनेसीई अर्थात् धुस्तुर वर्ग (N. 0. Solanacec ) ऑफिशल ( Official) - उत्पत्तिस्थान-ब्रिटेन । वानस्पतिक नाम व प्रयोगांश-इसका वानस्पतिक नाम हायोलाइमस नाइगर ( Hyoseyamus Niger.) अर्थात् कालो खुरासानी अजवावन है। इसके नवीन पत्र व पुष्प को शाखा सहित अथवा केवल पत्र तथा पुष्प को तोड़कर शुष्क करके औषध कार्य में वर्तते है। __लक्षण-पत्ती की लम्बाई विभिन्न होती हैं। ये दस इंच तक लम्बी और कई अंशो में विभाजित होती हैं । कोई डंठल युक्र एवं कोई डंठल रहित होती हैं । इनका रूप अंडाकार और किसी कदर त्रिकोणाकार होता है। इनके किनारे अनिय मित रूप से दंष्ट्राकार होते हैं। वर्ण सूक्ष्म हरा तथा निम्न भाग एवं शाखा विशेषकर रोमयुक्र होती है। नवीन पत्ती एवं शाखाओं की गंध तीव्र व बुरी होती है। स्वाद-कड़वा तथा किञ्चित् चरपरा । समानता - बिलाडोना और धतूरे के पत्ते इन पत्तों से मिलते जुलते हेाते हैं। किन्तु, वे रोमरहित होते हैं। रासायनिक संगठन-इसमें (१) हायोसायमीन और ( २) हायासीन ये दो प्रभाव कारी अलकलाइज़ अर्थात् क्षारीय सत्व तथा एक विष ला तैल होता है। - असम्मिलन (संयोग विरुद्ध)-लाइकर पुटासी, लेड एसीटेट, सिल्वर नाइट्रेट और वानस्पतिक एसिडस । प्रभाव-निद्राजनक (Narcotic ), वेदनाशामक ( Anodyne ) और अवसादक ( Sebative). ऑफिशल योग (Official preparation's ). (१)ऐक्सट्रैक्टम हायोसा इमाई (Ex. tractum hyoscyami)-ले०। एक्सट्रैक्ट ऑफ हेनबेन या हायोसाइमस ( Extract of Henbane or Hyoscyamus )ई। पारसीक यमानी सत्व, खुरासानी अजवायन का सत-हि । ख्नुलासहे बञ्ज, रुब्ब बङ्क -फा०, अ०। निर्माण विधि-हायोसाइमस नाइगर (काली खुरासानी अजवायन) के नवीन पत्तों, फले तथा कोपलेोको कवन कर दबाने से जो स्वरस प्राप्त हो उसे क्रराः १३०°ारनहाइट का ताप दें तथा कॉलीकी फिल्टर द्वारा छानकर रंगीन धेश भिन्न करलें.पुनः छने हए रस को २००० फारनहाइट की ताप दें और उसे छानने के पश्चात् शीरा के समान गाढ़ा कर लें; पुनः उस रंगीन पृथक किए हुए द्रव्य को बालोंकी चलनी में छानकर इसमें सम्मिलित कर दें, और लगभग १४०० के ताप पर इतना शुल्क करें कि वह मृदु अवलेह के सदृश हो जाए। For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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