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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (७५२) अष्टाङ्गहृदयेमातुरेव पिबेत्स्तन्यं तत्परं देहवृद्धये।स्तन्यधान्यावुभे कार्ये तदसम्पदि वत्सले॥१५॥ अव्यङ्गे ब्रह्मचारिण्यो वर्णप्रकृतितः समे ॥ नीरुजे मध्यवयसौ जीवद्वत्से न नोलुपे ॥ १६ ॥ हिता हारविहारेण यत्नादुपचरेच्च ते॥ बालक देहकी वृद्धिके अर्थ माताके दूधको अतिशयकरके पीवै, और माताके दूधके अभावमें स्नेहवाली दूधको प्यानेवाली दो धाय करनी योग्य हैं ॥ १५ ॥ परन्तु व्यंगसे वर्जित और ब्रह्मचर्य वाली अर्थात् मैथुनसे वर्जित वर्ण और प्रकृतिसे समान और रोगसे वर्जित और मध्य अवस्थावाली और जीवितसन्तानवाली और चंचलतासे रहित दो धाय होनी चाहिये ॥ १६ ॥ वे दोनों धाय हितरूप आहार और विहारकरके जतनसे उपाचरितकरें ।। शुक्क्रोधलंघनायासाः स्तन्यनाशस्य हेतवः॥ १७॥ स्तन्यस्य सीधुवाणि मद्यान्यानूपजा रसाः॥क्षीरंक्षीरिण्यौषधयः शो कादेश्च विपर्ययः॥१८॥विरुद्धाहारमुक्तायाः क्षुधिताया विचेतसः॥प्रदुष्टधातोगर्भिण्याः स्तन्यं रोगकरं शिशोः ॥१९॥ और शोक क्रोध लंघन पारश्रम ये दूधके नाशके कारण हैं ।।१७। सीधुसे वर्जित अन्य मदिरा अनूपदेशके मांसोंके रस दूधवाली औषध शोक आदिका नाश ये दूधके कारण हैं ॥ १८ ॥ विरुद्ध भोजनको करनेवाली और क्षुधावाली और बिगडे हुये चित्तवाली और दुष्ट हुये दोषोंवाली और गर्भिणी ऐसी स्त्रियोंका दूध बालकके रोगको करता है ॥ १९ ॥ स्तन्याभावे पयश्छागं गव्यं वा तद्गुणं पिबेत् ॥ ह्रस्वेन पञ्चमूलेन स्थिरया वा सितायुतम् ॥२०॥ स्त्रीके दूधके अभावमें बकरीका दूध अथवा बकरीके दूधके समान अर्थात् लघुपंचमूलकरके सिद्ध हुआ अथवा शालपर्णीकरके सिद्ध किया और मिसरीकरके संयुक्त गायके दूधको पीवै ॥२०॥ षष्ठीनिशां विशेषेण कृतरक्षाबलिक्रियाः॥ जाटयुबान्धवास्तस्य दधतः परमां मुदम् ॥२१॥ तिस बालकके रक्षा बलिक्रियाको करनेवाले और परम आनंदको धारणकरनेवाले बांधवजन छठी रात्रीमें विशेषकरके जागतेरहैं ॥ २१ ॥ दशमे दिवसे पूर्णे विधिभिः स्वकुलोचितैः ॥ कारयेत्सूतिको स्थानंनाम बालस्य चोचितम् ॥ २२॥विभ्रतोऽङ्गैर्मनोहालरोच नागुरुचन्दनम् ॥नक्षत्रदेवतायुक्तं बान्धवं वा समाक्षरम्॥२३॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020074
Book TitleAshtangat Rudaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVagbhatta
PublisherKhemraj Krishnadas
Publication Year1829
Total Pages1117
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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