SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 786
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कल्पस्थानं माषाटीकासमेतम् । (७२३) गुडस्याष्टपले पथ्याविंशतिः स्यात्पलं पलम् ॥दन्तीचित्रकयोः कर्षों पिप्पलीत्रिवृतोर्दश ॥ ५८॥ प्रकल्प्य मोदकानेवं दशमे दशमेऽहनि।उष्णाम्भोऽनुपिबेत्खादेत्तान्सर्वान्विधिनाऽमुना ॥ ॥ ५९॥ एते निष्परिहाराः स्युःसर्वव्याधिनिबर्हणाः॥ विशेषाद्रहणीपाण्डुकण्डूकोठार्शसां हिताः॥ ६०॥ गुड ३२ तोले हरडै २० जमालगोटाकी जड और चीता चार चार तोले पीपल और निशोत एक एक तोले ऐसे दश ।। ५८ ।। गोलियोंको कल्पितकर दशवें दशवें दिनमें एक एक गोलीको खावै, गरम पानीका अनुपान करै, पीछे इसी विधिकरके सबोंको खावै ॥ ५९॥ ये सब गोली परिहारसे वर्जित है और सब प्रकारकी व्याधियोंको दूर करनेवाली है और विशेषकरके संग्रहणी पांडु खाज कोष्ठरोग बवासीरको हित है ।। ६० ॥ अल्पस्यापि महार्थत्वं प्रभूतस्याल्पकर्मताम्॥ कुर्यात्संश्लेषविश्लेषकालसंस्कारयुक्तिभिः॥६१॥ वीर्य और मात्राकरके अल्परूप औषधको महार्थता करें और कदाचित् मात्रा और वीर्यकरके मार्थरूप औषधको अल्पकर्मता करै संश्लेष विश्लेष काल संस्कार युक्तिकरके ॥ ६१ ॥ त्वकेसराम्रातकदाडिमेलासितोपलामाक्षिकमातुलिङ्गः॥ मद्यैश्च तैस्तैश्च मनोऽनुकूलैर्युक्तानि देयानि विरेचनानि॥२॥ छाल केशर अंबाडा अनार इलायची मिसरी शहद बिजोरा इन औषधोंकरके युक्त और मदिराओंकरके युक्त और मनको प्रियरूप तिस तिस पदार्थोकरके युक्त विरेचन अर्थात् जुलाब देने योग्य हैं ॥ १२॥ इति बेरीनिवासिवैद्यपंडितरविदत्तशास्त्रिकृताऽष्टांगहृदयसंहिताभाषार्टी कायां कल्पस्थाने द्वितीयोऽध्यायः ॥ २॥ तृतीयोऽध्यायः। अथातो वमनविरेचनव्यापत्सिद्धिं व्याख्यास्यामः। इसके अनंतर वमनविरेचनव्यापत्सिद्धिनामकअध्यायका व्याख्यान करेंगे । वमनं मृदुकोष्ठेन क्षुद्वताल्पकफेन वा॥अतितीक्ष्णहिमस्तोकमजीर्णे दुर्बलेन वा॥१॥ पीतं प्रयात्यधस्तस्मिन्निष्टहानिर्मलो दयः॥ वामयेत्तं युनः स्निग्धं स्मरन्पूर्वमतिक्रमम् ॥२॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020074
Book TitleAshtangat Rudaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVagbhatta
PublisherKhemraj Krishnadas
Publication Year1829
Total Pages1117
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy