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विषय.
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....४७र
:
यूषविधि
वेध
(४६)
अष्टाङ्गहृदयसंहिताकी
___ पृष्ठ. विषय. तथा कंठ मुख शोजा खांसी आदि दाह पीडा तृषादिपर औषधि .... . पर काथ .... ... .... ४६१
मालिस तथा लेप .... .... सन्निपातज्वरपर काथ .... ... "
शयन वस्त्रादि उपचार ..... .... ४७१ वातकफादिकसन्निपातज्वरपर काथ ,
सन्निपातज्वरान्तमें कर्णपीडाहोनेपर
लेप नस्य ग्रास सब ज्वरोंपर हिम काथ ... ....
....
शिराछुटाना .... .... .... .... .... ४६२
विषमज्वरनाशक क्वाथ .... ज्वरमें चावल विचार ... .... "
विषमज्वरपर घृत ... ज्वरनाशकयूष .... .... .....
अरागमनमें स्नेह अंजन तथा ज्वररहित तथा सहित पुरुषके भोजनका
नस्य .... .... काल .... .... .... ४६३
अपराजित धूप ... .... ... ४७४ ज्वरान्तमें घृत .... ... ज्वर और खांसीपर त्रिफलादि क्वाथ घृत .
विषमज्वरकी अशांतिमें शिरा
..... .... ..... , सहित ... .... .... ४६४
क्रोध, काम, भयादिकोंसे उत्पन्न पिप्पलादिमें सिद्ध किये घृतके गुण ,
ज्वरोंकी शान्ति .... .... .... , चातज्वरमें तेल्वक घृत तथा पित्त
बलकी प्राप्तितक कसरत मैथुनादि । ज्वरमें तिक्तघृत .... ....
त्याग ..... .... .... ... ४७५ जीर्ण कफज्वरपर घृत' .... ... ४६५
विष्णुकृत उप्रज्वरनाशक विधि१७१ , ज्वरोंपर स्नेह .... .... .... "
द्वितीयोऽध्यायः २ ज्वर न शांत होनेपर जुलाब
रक्तपित्तचिकित्सित नामक अध्यायकी अज्ञानसे आमज्वरादिमें औषधि देनेके
व्याख्या अवगुण .... .... ....
रक्तपित्तमें वमन जुलाब लंघनादि करके ज्वरमें दूध पथ्यापथ्य .... .... क्रिया करना ... .... ... .. पंचमूलमें सिद्धकिये दूधके गुण .... ४६७
सन्निपातसे उपजा ऊर्च रक्तपित्तादि बहुविधि दूधके गुण ... .... पर गोली बस्तिकर्म .... ....
सन्निपातनिवारणार्थ लेह .... .... अरुचिमें घृतादिका कल्क ... , वमन्में तर्पण देना .... .... आगंतुज्वरमें अंजन धूम विधि ... वक्ष्यमाणविधि ... ... दाहज्वरपर तेल .... .... .... " अधोगत रक्तपित्तमें पेयादि विधि ... शिरलेप .... .... .... ४७० | द्राक्षादि मंथ .... .... ...
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