SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 358
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शारीरस्थान भाषाटीकासमेतम् । (२९५) । जालानि कण्डराश्चान्ये पृथक्षोडश निर्दिशेत् ॥ षट् कूर्चाः सप्त सेवन्यो मेदजिह्वाशिरोगताः ॥१४॥ सोलह जाल, सोलह कंडरा छ: कूर्च, लिंग, जीभ, शिर इन्होंमें प्राप्त हुई सात सीमन ॥ १४ ॥ शस्त्रेणैताः परिहरेच्चतस्रो मांसरज्जवः ॥ चतुर्दशास्थिसंघाताः सीमन्ता द्विगुणा नव ॥१५॥ ऐसे जानना इन्होंमें शस्त्रपात न करै और चार मांसकी रज्जु है, और चौदह अस्तिसंघात हैं और अठारह सीमन्त हैं शिरा स्नायु अस्थि मांस यह चार मणिबन्धमें एक एक गुल्फमें यह सोलह जाल हैं। दो हाथमें दो पैरमें ग्रीवाभागमें पृष्ठभागमें यह प्रत्येक चार चार होकर षोडश कण्डरा हैं । दो हाथमें दो पैरमें ग्रीवामें लिंगमें यह छः कूर्च हैं । सविन सात हैं एक मेट् ( लिंग ) में एक जिह्वामें पांच शिरमें । पाठके मांसके दोनौतरफ चार मांसीकी रज्जु हैं दो बाहुमें दो आन्तरमें गुल्फमें जांघमें वंक्षण ( उरुसंधि) में त्रिक (पृष्ठवंशके अधोभाग में शिर कक्षामें कूर्पर मणिबन्धमें यह चौदह अस्थियोंके संघात हैं। पांच सीमन्त शिरमें हैं जैसे गुल्लादिमें अस्थि संघ है।॥ १५ ॥ __ अस्थ्नां शतानि षष्टिश्च त्रीणि दन्तनखैः सह ॥ धन्वन्तरिस्तु त्रीण्याह सन्धीनां च शतद्वयम् ॥ १६ ॥ दन्त और नखोंसहित तीनसौसाठ हड्डियां हैं और धन्वंतरीजी इस शरीरमें तीनसौ हड्डियों को , कहते हैं पैरकी एक उंगलीमें तीन तीन हड्डी हैं सब मिलकर पंदरा हुई तलुआ गुल्फ ( टकना) कूर्चक पैरका पिछलाभाग इसमें १० है एडीमें १ जंघापिडरीमें २ जानु ( घुटना ) में १ ऊरू जांघमें १ हड्डी हैं ऐसे एक पैरमें तसि और दोनोंमें मिलकर ६० होती हैं और दोनों हाथ पैरोंकी संख्या मिलानेसे १२० होती है। कमरमें ५ भग वा लिंगमें १ कूलेमें २ गुदामें १ त्रिकस्थान में १ यह पांच हुई एक कोखमें ३६ दूसरीमें ३६ पीठमें ३० छातीमें आठ और अक्षकसंज्ञक २ हड्डी हैं यह सब मिलकर ११७हुई गरदनमें ९ कंठकी नाडीमें चार ठोडीमें दो दन्तसम्बन्धी . हड्डी ३२ नाकमें तीन तालुएमें १ गालमें २ कानोंमें २ कनपटीमें २और मस्तकमें ६ हड्डीहैं यह सब मिलकर त्रेसठ ६३ हुई और दोसौ दस संधि हैं ऐसे सब ३०० हड्डी हुई ॥ १६ ॥ दशोत्तरं सहस्रे द्वे निजगादात्रिनन्दनः॥ स्नावा नवशती पञ्च पुंसां पेशीशतानि च ॥ १७॥ और आत्रेयऋषि इस शरीरमें दो हजार संधियोंको कहते हैं और इस देहमें नव सो नस है हाथ पैरोंमें ६०० मध्यप्रान्तमें २३० प्रीवासे लेकर ऊपरके प्रदेशमें ७० हैं । प्रत्येक पैरकी उंगलीमें छः ६ हैं सब मिलकर ३० हुई नलकूपर गुल्फ इनमें ३० जंघामें तीस जानु घुटनामें १० ऊरूमें ४० वंक्षणमें १० सब मिलकर एक पैरमें १५० स्नायु हुई दोनोंमें ३०० और For Private and Personal Use Only
SR No.020074
Book TitleAshtangat Rudaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVagbhatta
PublisherKhemraj Krishnadas
Publication Year1829
Total Pages1117
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy