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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूत्रस्थानं भाषाटीकासमेतम् । (२४३ ) बद्धा दुर्बलवारङ्गं कुशाभिः शल्यमाहरेत् ॥ श्वयथुग्रस्तवारङ्गं शोफमुत्पीड्य युक्तितः॥३१॥ दुर्बल वारंगवाले शल्यको कुशाओंकरके बांध पीछे निकास और शोजाकरके आच्छादित बारंग अर्थात् कीलके समान ऊंचे शल्यके शोजाको उत्पीडित करके युक्तिसे निकास ॥ ३१॥ मुद्गराहतया नाड्या निर्घात्योत्तुंडितं हरेत् ॥ तैरेव चानयेन्मार्गममार्गोत्तुंडितं तु यत् ॥ ३२ ॥ बुलबुलेकी तरह सन्मुख हुये शल्यको मुद्गरकरके आहत हुई नाडीके द्वारा चालित करके निकासै और मुद्रआदिसे आहत हुये तिन्होंकरके अमार्गमें प्राप्त हुये बुलबुलाके समान सम्मुख हुये शल्यको मार्ग में प्राप्त करै ॥ ३२॥ मृदित्वा कर्णिनां कर्णं नाडयास्येन निगृह्य वा ॥ अयस्कांतेन निष्कर्ण विवृतास्यमृजुस्थितम् ॥ ३३॥ कर्णिनां अर्थात् भल्लआदिके कर्णको मृदित करके अथवा नाडीमुखयंत्रकरके ग्रहण कर शल्यको निकासै और कर्णसे रहित और आच्छादितमुखवाला और स्पष्टतरहसे स्थित हुए ऐसे शल्यको लोहेके आकर्षण करनेवाले मणिविशेष करके पूर्वोक्तरूप बनाके निकासे ॥ ३३ ॥ पक्वाशयगतं शल्यं विरेकेण विनिहरेत् ॥ दुष्टवातविषस्तन्यरक्ततोयादि चूषणैः ॥३४॥ पक्वाशयमें स्थित हुये शल्यको जुलाबकरके निकासै और दुष्टवात, विष, दूध, रक्त, पानी आदिको शीगीआदिकरके निकासै ॥ ३४ ॥ कण्ठस्रोतोगते शल्ये सूत्रं कण्ठे प्रवेशयेत् ॥ बिसेनाते ततः शल्ये बिसं सूत्रं समं हरेत् ॥ ३५॥ कंटके स्रोतमें स्थित हुये शल्यमें सूत्रको कंठमें प्रवेश करै, अर्थात् बिसमें लग्न किये सूत्रको शल्य के निकासनेके अर्थ प्रवेश करै और गृहीत किये शल्यमें बिस और सूत्रको तुल्यकालमें निकासै३५ नाड्याग्नितापितां क्षिप्त्वा शलाकामस्थिरीकृताम् ॥ आनयेज्जातुषं कंठाजतुदिग्धामजातुषम् ॥ ३६॥ जातुप अर्थात् लाखआदिका शल्य जो कंठके स्रोतमें स्थित होवे तो नाडी यंत्रकरके प्रक्षिप्ति करके पानीसे स्थिर करी शलाईसे शल्यको निकासे और काठ तथा बाँश आदिके शल्य जो कंटके स्रोतमें स्थित होवे तो लाखकरके लेपित करी शलाईको अग्निमें तप्त करके पूर्वोक्तिरीतिसे शल्यको निकासै ॥ ३६॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020074
Book TitleAshtangat Rudaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVagbhatta
PublisherKhemraj Krishnadas
Publication Year1829
Total Pages1117
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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