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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१२८) . .... अष्टाङ्गहृदये बवासीर-गुल्म-शाजा-विसर्प-बिद्रधि-कुष्ठ-उपजते हैं, ये सब बहिभाग अर्थात् बाह्य रोग कहाते हैं, महास्रोतोंवाला आमाशय और पक्काशयके आश्रयभूत शरीरके भीतर कोष्ट कहाता है ॥ ४५ ॥ तत्स्थानाच्छर्यतीसारकासश्वासोदरज्वराः॥ अन्तर्भागं च शोफाशेगुल्मवीसर्पविद्रधि ॥ ४६॥ तिसमें छर्दैि अतीसार-खांसी-श्वास-उदररोग-ज्वर-शोजा-बवासीर-गुल्म-विसर्प-विद्रधि, ये रोग उपजतेहैं, ये अंतर्भागमें आश्रित होनेसे अंतररोग कहातेहैं ॥ ४६ ॥ शिरोहृदयबस्त्यादिमाण्यस्थ्नां च सन्धयः॥ तन्निबद्धाः शिरास्नायुकण्डराद्याश्च मध्यमाः॥४७॥ शिर-हृदय-बस्ति आदि मर्म-अस्थियोंकी संधि है, तिन्होंमें बंधीहुई नाडी-नस-कंडरा--. आदि हैं अर्थात् धमनी कूर्चादि हैं ॥ १७ ॥ रोगमार्गः स्थितास्तत्र यक्ष्मपक्षवधार्दिताः ॥ मूर्धादिरोगाः सन्ध्यस्थित्रिकालग्रहादयः॥४८॥ यह रोगोंका मध्यम मार्ग है यहां राजयक्ष्मा-पक्षावात-अदित अर्थात् लकवा-शिररोग-वस्तिरोग हृदयरोग-संधिग्रह-अस्थिग्रह-त्रिकाह-संधिशूल-अस्थिशूल-त्रिकशूल-ये रोग उपजत हैं।। ४ ।। स्रंसव्यासव्यधस्वापसादरुकतोदभेदनम् ॥ सङ्गाङ्गभङ्गसङ्कोचवर्तहर्षणतर्षणम् ॥ ४९ ॥ स्रंस अर्थात् ठोडीआदि संधिका भ्रंश-अंग प्रत्यंगआदिका विक्षेपण-व्यध अर्थात मुद्गर आदिकरके ताडनकी तरह ताडन-क्रियामें अचेतनपना-अंगोंकी शिथिलता-निरंतर शूल-तोद अर्थात् विच्छिन्न शूल-अंगकाविदारण-मूत्र विष्ठाआदिका बंधपना-जंघा आदि अंगोंका भंग-. नाडी आदिका संकोच-वर्त अर्थात् विष्ठा आदिका पिंडी करण-हर्षण अर्थात् रोमाका ऊवीभाव तर्षण अर्थात् तृषा ॥ ४९ ॥ कम्पपारुष्यसौषिर्यशोषस्पन्दनवेष्टनम् ॥ स्तम्भः कषायरसता वर्णः श्यावोऽरुणोऽपि वा॥ ५० ॥ कंप-कठोरपना--अस्थियोंका सौषिर्यपना-शोष-कछुक चलन-गात्रोंका ग्रंथनपना- स्तंभकषाय रसका स्वाद -धूम्र अथवा रक्तवर्ण ॥ ५० ॥ कर्माणि वायोः पित्तस्य दाहरागोष्मपाकिताः ॥ स्वेदः क्लेदः श्रुतिः कोथः सदनं मूर्च्छनं मदः॥५१॥ ये सब कर्म वायुके हैं और दाह-राग-गरमाई-पाकपना-पसीना-क्लेद-नाव-कोथ अर्थात क्लेदका अतिशयपना-शिथिलपना-मूर्छा-मद ॥ ११ ॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020074
Book TitleAshtangat Rudaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVagbhatta
PublisherKhemraj Krishnadas
Publication Year1829
Total Pages1117
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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