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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (११०) . अष्टाङ्गहृदयेअम्लो धात्रीफलाम्लीकामातुलुङ्गाम्लवेतसम् ॥ . दाडिमं रजतं तकं चुकं पालेवतं दधि ॥ २६॥ आमला-अम्ली-चूका-विजोरा-अम्लवेत-अनार-चांदी-तक्र—कांजी-द्वीपांतर छुहारादही ॥ २६ ॥ आम्रमाम्रातकं भव्यं कपित्थं करमर्दकम् ॥ वरं सौवचलं कृष्णं बिडं सामुद्रमौद्भिदम् ॥ २७॥ __आंग-अंबाडा-करवेल- कैथ-करोंदा-यह अम्ल गण हैं, सेंधानमक-सौवर्चल नमक-कालानमक-मनयारीनमक-खारीनमक-औद्भिदनमक ॥ २७ ॥ रोमकं पांसुजं शीसं क्षारश्च लवणो गणः॥ तिक्तः पटोलौ त्रायन्ती बालकोशीरचन्दनम् ॥२८॥ रोमक नमक-पांशुज नमक-शीसा-सजी आदि खार यह लवण गण हैं,और परवल त्रायमाण नेत्रवाला-खस-चन्दन ॥ २८ ॥ भनिम्बनिम्बकटुकातगरागुरुवत्सकम् ॥ नक्तमालद्विरजनीमुस्तमूर्वाटरूषकम् ॥ २९ ॥ . चिरायता-नींब-कुटकी-तगर-अगर-कूडा-करंजुवा-हलदी-दारुहला-नागरमोथा-मूर्वाचांसा-विसोंटा ॥ ९९ ॥ __पाठापामार्गकांस्यायो गुडूची धन्वयासकम् ॥ पञ्चमूलं महद्वयाध्यौ विशालाऽतिविषा वचा ॥३०॥ पाठा-ऊंगा-कांसी-लोहा-गिलोय-धमासा-बृहत्पंचमूल-दोनों कटेहली-इंद्रायण-अतीशचच-यह तिक्त गण हैं ॥ ३० ॥ कटुको हिगुमरिचकृमिजित् पञ्चकोलकम् ॥ कुठेराया हरितकाः पित्तं मूत्रमरुष्करम् ॥ ३१ ॥ हींग-मिरच-बायविडंग-पीपल-पीपलामूल-चव्य-चीता-सूंठ-आजवला आदि शाक बकरा आदिका पित्ता और मूत्र-भिलावा यह कटु गण हैं ॥ ३१॥ वर्गः कषायः पथ्याक्षं शिरीषः खदिरो मधु ॥ कदम्बोदुम्बरं मुक्ताप्रवालाञ्जनगरिकम् ॥ ३२ ॥ हरडै-बहेडा-शिरस-खैर-शहद-कदंब-गूलर-मोती-मूंगा-सुरमा-गेरू ॥ ३२ ॥ बालं कपित्थं खजूरं बिसपद्मोत्पलादि च ॥ मधुरं श्लेष्मलं प्रायो जीर्णाच्छालियवाहते ॥३३॥ . For Private and Personal Use Only
SR No.020074
Book TitleAshtangat Rudaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVagbhatta
PublisherKhemraj Krishnadas
Publication Year1829
Total Pages1117
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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