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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१४) अष्टाङ्गहृदयसंहिताकी... विषय. .. . ___“पृष्ठ, विषय. . चिकित्सितस्थान ... ........ १७ । देवाधर्चन । आर्थयोंका अप्रत्याख्यान .... कल्पस्थान उत्तरतंत्र ४८ .... .... संपदादिकोंमें समत्व सत्यभाषण द्वितीयोऽध्यायः २. सुवर्तन अथदिनचर्याध्यायः . .... शत्रुआदिका अप्रकाशन ब्राह्ममुहूर्तमें उत्थान .... .... " लोकरंजनमें दक्षता स्वस्थवृत्ति . . .... .... इंद्रियोंका पीडनलालननिषेध दंतधावन ... धर्मादिशून्यों में अप्रवृत्ति ... अजीर्णनकुंभोजननिषेध सर्वधर्मोमें मध्यमरीतिसे वर्तन सौवीराञ्जन .... .... ... " स्वच्छत्व ..... ... रसांजन .... ... .... स्नानादिशील · .... नस्यादिसेवा ..... .... संचारक्रम क्षतादिमान्कू तांबूलनिषेधः... रात्रीमें संचारक्रम ... ... अभ्यंग .... .... .... देवालयादिकोंका अनतिक्रम . कहाँ २ अभ्यंगवर्जन बाहुसे नदीतरणादिनिषेध ... व्यायामगुण .... क्षुत्यादिकरनेकाप्रकार .... व्यायामनिषेध ... नासिकाविकोषणादिनिषेध .... देहमर्दन . ... विगुणांगचेष्टादिनिषेध .... अतिव्यायामानिषेध ..... .... रात्रिभेचत्त्वरादिसेवानिषेध ..... उद्वर्तनकेगुण सूनास्थानादिसेवानिषेध .... स्नानकेगुण . .... सूक्ष्मदर्शनादिनिषेध . ... उष्णजलकरकेपारषेककरण.... सामनेकावायुआदिकावर्जन ... स्नानमेंअयोग्य .... .... होनादिसेवानिषेध ...... जीर्णमें हितभोजन.... .... सध्याभोजनादिनिषेध .... धर्मसेवा .... ... ... ... २२ गात्रवाद्यादित्याग .... मित्रामित्रकी सेवा अरु वर्जन मद्यानतिसक्ति .... ... दशविधपापकर्मनकात्याग .... ... " स्त्रियों में विश्वासस्वातंत्र्यवर्जन अनुपजीविकादिकोंका अनुवर्तन .... " सर्वचेष्टाओंमें उपदेशकत्व ... कीटादिकोंमें आत्मदृष्टि .... ..., लौकिकार्थपरीक्षकत्व ... .... For Private and Personal Use Only
SR No.020074
Book TitleAshtangat Rudaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVagbhatta
PublisherKhemraj Krishnadas
Publication Year1829
Total Pages1117
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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