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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१००) अष्टाङ्गहृदयेक्षीणे वृद्धे च बाले च पयः पथ्यं यथामृतम् ॥ विपरीतं यदन्नस्य गुणैः स्यादविरोधि च ॥ ५० ॥ क्षीण वृद्ध और बालकोंको दूध ऐसे पथ्य है जैसे अमृत और जो अन्नके विपरीत और गुणोंमें अविरोधी हो ॥ ५० ॥ अनुपानं समासेन सर्वदा तत्प्रशस्यते ॥ अनुपानं करोत्यूर्जा तृप्तिं व्याप्तिं दृढाङ्गताम् ॥ ५१ ॥ वह अनुपान समासकरके सब कालोंमें श्रेष्ठ है जैसे रूखेको स्निग्ध और स्निग्धको रूखा अनुपान हितहै और मनसंबंधी आनंद-तृप्ति-व्याप्ति अर्थात द्रवका गमन-अंगों की दृढता॥५१॥ अन्नसङ्घातशैथिल्यविक्लित्तिजरणानि च ॥ नोर्ध्वजत्रुगदश्वासकासोरःक्षतपीनसे ॥ ५२॥ अन्नके समूहकी शिथिलता और क्लेदन और अन्नका पाक यह सब अनुपान करताहै और जत्रुसे ऊपरके रोगोंमें यह अनुपान हित नहीं है श्वास-खांसी-छातीका फटना-पीनस-॥ १२ ॥ गीतभाष्यप्रसङ्गे च स्वरभेदे च तद्धितम् ॥ प्रक्लिग्नदेहमेहाक्षिगलरोगव्रणातुराः॥ ५३॥ गति और भाषणका प्रसंग-स्वरभेदमें अनुपान हित नहीं है और गीली देहवाले और प्रमेहनेत्ररोग-जलरोग-व्रणरोगसे पीडित मनुष्य ॥ ५३॥ पानं त्यजेयुः सर्वश्च भाष्याध्वशयनं त्यजेत् ॥ पीत्वा भुक्त्वाऽऽतपं वह्रि यानं प्लवनवाहनम् ॥ ५४॥ द्रवरूप पानको त्याग और सब मनुष्य पान और भोजन करके भाषण-मार्गगमन शयनघाम-अग्नि-रथसवारी-तिरना-अश्वआदिपै चढना त्यागै ॥ ५४॥ प्रसृष्टे विण्मूत्रे हृदि सुविमले दोषे स्वपथगे ॥ विशुद्धे चोद्गारे क्षुदुपगमने वातेऽनुसरति ॥ तथाग्नावुद्रिक्ते विशदकरणे देहे च सुलघौ ॥ प्रयुञ्जीताहारं विधिनियमितः कालः स हि मतः ॥ ५५॥ जब विष्ठा और मूत्रका अच्छीतरह त्याग होवै रस शेषकृत गौरवआदिसे रहित हृदय होवै और अपने २ मागोंमें वातआदि दोषोंकी प्रवृत्ति होवे और शुद्धिपूर्वक डकार आवै, और भूखकी उत्पत्ति और अधोवायुकी प्रवृत्ति होवे तथा अग्निकी अधिकता और हलका देह विशद करणोंसे संयुक्त होवे तब विधि और नियमसे संयुक्त होकर भोजनको करै यह भोजनका काल है ॥ ५५ ॥ इति वेरीनिवासिवैद्यपंडितरविदत्तशास्त्रिकृताऽष्टांगहृदयसंहिता भाषाटीकायां सूत्रस्थाने अष्टमोऽध्यायः ॥ ८॥ मान For Private and Personal Use Only
SR No.020074
Book TitleAshtangat Rudaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVagbhatta
PublisherKhemraj Krishnadas
Publication Year1829
Total Pages1117
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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