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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (७२) अष्टाङ्गहृदयेपित्ताविरोधि नात्युष्णमुष्णं वातकफापहम् ॥ सर्व हृद्यं लघु स्निग्धं ग्राहि रोचनदीपनम् ॥ ११६ ॥ ___ खट्टा अनार न तो पित्तको करता है, और न हरता है, और अतिगरम नहींहै, वात और कफको हरता है, और मधुर तथा खट्टा रसले मिश्रित अनार सुंदर है, हलका है चिकना है स्तंभन है रोचन और दीपन है ॥ ११६ ॥ मोचखजूरपनसनालिकेरपरूषकम् ॥ आम्राततालकाश्मर्यराजादनमधूकजम् ॥ ११७॥ मोचाफल खजूर फणस नारियल फालसा आंबाडा तालमूल कंभारीफल चिरोंजी मऊवाफल ॥ ११७ ॥ सौवीरबदरांकोलफल्गुश्लेष्मातकोद्भवम्॥ बातामाभीषुकाक्षोडमुकूलकनिकोचकम् ॥११८॥ कार्णिका बेर बेलगिरी कालागुलरका फल ल्हेसबा बदाम अभीका अखरोट पिस्ता अंकोल ॥ ११८ ॥ उरुमाणं प्रियालश्च बृंहणं गुरु शीतलम् ॥ दाहक्षतक्षयहरं रक्तपित्तप्रसादनम् ॥ ११९ ॥ बरणा चिरोंजी भेद यह मोचादिगण धातुओंको बढाता है भारी और शीतल है और दाह क्षतक्षय इन्होंको हरता है और रक्तपित्तको स्वच्छ करताहै ॥ ११९ ॥ स्वादुपाकरसं स्निग्धं विष्टभि कफशुक्रकृत् ॥ फलन्तु पित्तलं तालं सरं काश्मर्यजं हिमम् ॥ १२०॥ पाकमें और रसमें स्वादु है चिकना है विष्टंभी है कफ और वीर्यको करता है और तालमूल फल पित्तको करता है और कंभारीका फल सर और शीतल है ॥ १२० ॥ शकृन्मूत्रविबन्धघ्नं केश्यं मेध्यं रसायनम् ॥ वातामाग्रुष्णवीर्य्यन्तु कफपित्तकर सरम् ॥ १२१॥ विष्टा और मूत्रको बांधता है और बालोंमें हित है पवित्र है और रसायन है और बदाम आदि फल गरम वीर्यवाले हैं कफ और पित्तको करते हैं और सरहैं ।। १२१ ॥ परं वातहरं स्निग्धमनुष्णन्तु प्रियालजम्॥ प्रियालमज्जा मधुरो वृष्यः पित्तानिलापहः ॥ १२२ ॥ चिरजी कासफल वातको अति नाशता है, चिकना है गरम नहीं है, और चिरोंजीकी मजा मधुर है, वीर्यमें हित है, पित्त और वातको नाशती है ॥ १२२॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020074
Book TitleAshtangat Rudaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVagbhatta
PublisherKhemraj Krishnadas
Publication Year1829
Total Pages1117
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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