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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (९७८) अष्टाङ्गहृदयेअञ्जनं तगरं कुष्ठं हरितालं मनःशिला॥फलिनी त्रिकटुस्पृक्का नागपुष्पं सकेसरम्॥२४॥हरेणु मधुकं मांसी रोचना काममालिका ॥श्रीवेष्टकं सर्जरसः शताहांकुङ्कुमं बला॥२५॥ तमालपत्रतालीसभूजोशीरे निशाद्वयम् ॥ कन्योपवासिनीस्नाताशक्लवासामधुद्रुतैः ॥ २६ ॥ द्विजानभ्यर्च्य तैः पुष्ये कल्पयेदगदोत्तमम् ॥ वैद्यश्चात्र तदा मन्त्रं प्रयतात्मा पठेदिदम्॥ ॥२७॥नमःपुरुषसिंहाय नमो नारायणाय च ॥ यथासौ नाभिजानाति रणे कृष्णपराजयम् ॥२८॥एतेन सत्यवाक्येन अगदो मे प्रसिद्धयतु ॥ नमो वैदुर्य्यमाते हुलहुलु रक्ष मां सर्वविषेभ्यः॥२९॥गौरि गान्धारि चण्डालि मातङ्गि स्वाहा॥पिष्टे च द्वितीयोमन्त्र॥ॐहरिमायि स्वाहा ॥३०॥अशेषविषवेतालग्रह कार्मणपाप्मसु ॥ मरकव्याधिदुर्भिक्षयुद्धाशनिभयेषु च॥३१॥ पापनस्याञ्जनालेपमणिबन्धादियोजितः।एष चन्द्रोदयो नाम शान्तिःस्वस्त्ययनं परम् ॥३२॥ रसोत तगर कूठ हरताल मनशिल कलहारी झूठ मिरच पीपल ब्राह्मी नागकेशर ॥ २४ ॥ रेणुका मुलहटी बालछड वंशलोचन काकमाचिका श्रीवेष्टधूप राल शोफ केशर खरैटी ॥ २५ ॥ तेजपात तालीशपत्र भोजपत्र खस हलदी दारुहलदी इन्होंको शहदसे संयुक्तकरै, पीछे वृतको करनेवाली और स्नानकिये हुये और सफेद वस्त्रोंवाली कन्या॥२६॥ब्राह्मणों की पूजा करके तिन द्रव्योंके द्वारा पुष्यनक्षत्रमें उत्तम औषधको कल्पितकरै और तिसकालमें सावधान हुआवैद्य इस मंत्रका पाठ करै ॥२७॥ वह मन्त्र संस्कृतमेंही प्रकाशित कियाजाताहै "ननः पुरुषसिंहाय नमो नारायणाय यथासौ नाभिजानातिरणेकृष्णपराजयम् ॥ २८ ॥ एतेन सत्यवाक्येन अगदो मे प्रसिद्ध्यतु ॥ नमो वैडूर्य्यमाते हुलु हुलु रक्ष मां सर्वविषेभ्यः"॥२९॥"गौरि गांधार चंडालि मातगि स्वाहा' और औषधको पीसनेके समयमें दूसरे मंत्रको पढे “ॐहरिमायिस्वाहा" ॥ ३० ॥ सब विष वेतालग्रह कार्मण दुःख मरनेके योग्य व्याधि दुर्भिक्ष युद्ध वज्रभय इन्होंमें ॥३१॥पान नस्य अंजन लेप मणिबन्ध इन आदिसे योजितकिया यह चंद्रोदय नाम औषध शांतिस्वरूपहै और अतिशय कल्याणका स्थान रूपहै ॥ ३२ ॥ जीर्ण विषनौषधिभिर्हतं वा दावाग्निवातातपशोषितं वा॥ स्वभावतो वा सुगुणैर्न युक्तं दृषीविषाख्यां विषमभ्युपैति ॥३३॥ वीर्याल्पभावादविभाव्यमेतत्कफावृतं वर्षगणानुबन्धि ॥ तेनादितो भिन्नपुरीषवर्णो दुष्टास्ररोगी तृडरोचकातः॥ ३४॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020074
Book TitleAshtangat Rudaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVagbhatta
PublisherKhemraj Krishnadas
Publication Year1829
Total Pages1117
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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