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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उत्तरस्थानं भाषाटीकासमेतम् । (९७१) शतावरीमूलतुलाचतुष्कारक्षुण्णपीडितात् ॥ रसेन क्षीरतुल्येन पाचयेत घृताटकम् ॥३६॥ जीवनीयैः शताव- मृद्वीकाभिः परूषकैः॥ पिष्टैः प्रियालश्चालाशैर्मधुकाद्विबलान्वितैः ॥३७॥ सिद्धसीते तुमधुनः पिप्पल्याश्च पलाष्टकम्॥शर्कराया दशपलं क्षिपेल्लिह्यात्पिचुन्ततः॥३८॥योन्यसृक्छुक्रदोषघ्नं वृष्यं पुंसवनं परम्॥क्षतं क्षयमसृविपत्तं कासं श्वासंहलीमकम् ॥३९॥ कामलां वातरुधिरं विसर्प हृच्छिरोग्रहम् ॥ अपस्मारार्दितायाममदोन्मादांश्च नाशयेत् ॥ ४०॥ शतावरीकी जडको १६०० तोले भर लेकरके कूट और कपडेसे पीडितकर रसको निकासे पीछे तिसी रसके समान दूधमिला २५६ तोले घृतको पकावै ॥ ३६ ॥ जीवनीयगणके औषध शतावरी मुनक्का दाख फालसा चिरोंजी मुलहटी खरेहटी बडीखरेहटी ये सब एक एक तोले भर ले चूर्ण बना पकानेके समय मिला॥३७॥सिद्धहोके शीतल होजावे तब शहद ३२ तोले पीपल ३२ तोले खांड ४० तोले इन्होंको मिलावै पीछे एकतोले भर रोज खावै ॥ ३८ ॥ यह योनिके रक्तको और वीर्यके दोषको नाशताहै, वृष्यहै अतिशयकरके पुंसवन है, और क्षतक्षय रक्तपित्त खांसी श्वास हलीमक ॥ ३९ ॥ कामला वातरक्त विसर्प हृगह शिरोग्रह मृगीरोग लकुवावात आयामवात मद उन्माद इन्होंको नाशताहै ॥ ४० ॥ एवमेव पयः सर्पिर्जीवनीयोपसाधितम् ॥ गर्भदं पित्तजानाञ्च रोगाणां परमं हितम् ॥४१॥ इसी क्रमसे जीवनीयगणोंके औषधोंसे साधितकिया घृत अथवा दूध गर्भको देताहै, और पित्तसे उपजे रोगोंमें अत्यंत हितहै ॥ ४ १ ॥ बलाद्रोणद्वयक्वाथे घृततैलाढकं पचेत् ॥ क्षीरे चतुर्गुणे कृष्णाकाकनासासितान्वितैः॥ ४२ ॥ जीवन्तीक्षीरकाकोलीस्थिरावीरद्धिजीरकैः॥ पयस्याश्रावणीमुद्गपीलुमाषाख्यपणिभिः॥४३॥ वातपित्तामयान्हत्वा पानाद्गर्भ दधाति तत् ॥ खरैहटीके २०४८ तोले भर काथमें १०२४ तोल दूधको मिला २५६ तोले घृतको पकावै, और पीपल लालनिशोत मिसरी ॥ ४२ ॥ त्रायमाण क्षीरकाकोली शालपर्णी शतावरी ऋद्धि जीरा दूधी गोरखमुंडी मूंगपर्णी पीलुपी माषपर्णी इन्होंका कल्क मिलावै ॥ ४३ ॥ इस घृतको पीनेसे वातपित्तके रोगोंको दूर करके नारी गर्भको धारण करती है । For Private and Personal Use Only
SR No.020074
Book TitleAshtangat Rudaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVagbhatta
PublisherKhemraj Krishnadas
Publication Year1829
Total Pages1117
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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