SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1009
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (९४६) अष्टाङ्गहृदयेहारी तुंडिकी इन्होंके फलोंसे ॥ १९॥ और नागरमोथा काकडीके बीज गडूंभाकी जड कडुईतोरई सोनापाठा मीठातेलिया ये सब दोदो तोले लेकर ॥ २० ॥ संभालुके रससहित करंजुवाके तेलको पकावे इस तेलका पीना अभ्यंग और नस्य करनेसे वहुतदिनकी और वहनेवाली गंडमालाभी नष्ट . होतीहै ॥ २१ ॥ और असाध्य गंडमालाभी नष्ट होतीहै । तैलं लाङ्गलिकीकन्दकल्कपादे चतुर्गुणे ॥ २२ ॥ निर्गुण्डीस्वरसे पक्कं नस्याद्यैरपचीप्रणुत् ॥ और चौगुने लांगलीके कल्कमें तेलको पका ॥ २२ ॥ संभालुके रसमें पकावे पश्चात् इसकी नस्य लेवे तो अपची नष्ट होय ॥ भद्रश्रीदारुमरिचद्विहारद्रात्रिवृद्घनैः ॥२३॥ मनःशिलालनलदविशालाकरवीरकैः॥ गोमूत्रपिष्टैः पलिकैर्विषस्याईपलेन च ॥ २४॥ ब्राह्मीरसार्कजक्षीरगोशकृद्रससंयुतम् ॥ प्रस्थं सर्षपतैलस्य सिद्धमाशु व्यपोहति ॥ २५॥ पानायैः शीलितं कुष्ठं दुष्टनाडीव्रणापचीः॥ और भद्रदार देवदारु स्याह मिरच हलदी दारुहलदी निशोत नागरमोथा ॥ २३ ॥ और मनसिल हरताल बालछड गईभाकी जड एकप्रकारकी ककडी कनेर ये सब चार चार तोले मीठा तेलिया २ तोले इन्होंको गोमूत्रसे पीस देवे ॥ २४ ॥ और ब्राह्मीका रस आकका रस गौका गोबर इन्होंका रस निकाले पश्चात् सिरसोंका तेल ६४ तोलेको सिद्धकर देवे तो अपची रोग नष्टहोय ॥ ॥२५ ।। और पानादिकोंसे शीलितकिया यह तेल कुट दुष्ट नाडी व्रण अपची रोगोंको जीतताहै।। वचाहरीतकीलाक्षाकटुरोहिणिचन्दनैः ॥ २६ ॥ तैलं प्रसाधितं पीतं समूलामपची जयेत् ।। वच हरडै लाख कुटकी चंदन।।२६॥इन्होंसे तेलको सिद्धकर पीवै,जड सहित अपची नष्टहोय।। शरपुंखोद्भवं मूलं पिष्टं तण्डुलवारिणा ॥ २७॥ नस्याल्लेपाच दुष्टारुरपचीविषजन्तुजित् ॥ और शरपुंखाकी जडको चावलोंके जलसे पीस ॥ २७ ॥ नस्य ले अथवा लेप करे तो दुष्ट-. नण अपची विष कृमिरोग नष्टहोय ॥ मूलैरुत्तमकारुण्याः पीलुपाः सहाचरात्॥२८॥ सरोधाभययष्टयाह्वशताहाद्वीपिदारुभिः।। तैलं क्षीरसमं सिद्धं नस्येऽभ्यङ्गे च पूजितम् ॥ २९ ॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020074
Book TitleAshtangat Rudaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVagbhatta
PublisherKhemraj Krishnadas
Publication Year1829
Total Pages1117
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy