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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आराधनास्वरूप। . :'. . केसर और कपुर मिलाके । लाय प्रभूनीका न्हवन करेंगे|आ वसंत०॥१॥ अष्ट दरवमें पूजा करके । अक्षय पदकी प्राप्ति करेंगे। पुष्प चढाय मंगाय महाचरू। दीपक जोति जगाय धरेंगे|आ वसंत० ॥२॥ खेवे धुप सुगंध चरन बीच । जात करमके बंस चलेंगे। फल चहायके अरघ आरती । अब हम पुन्न भंडार भरेंगे |आ वसंत ॥३॥ चरन पकड़ और यसर पसरके । झघर जघर अरज दास करेंगे। दग सुख सन्मुख होय प्रमुके । मोक्ष लिये वीन नाही टरेगे|आ वसंत०४॥ जाप करनेके सात प्रकारके महामंत्र । (१) पेतिस अक्षरका मंत्र । णमो अरहंताणं। णमो सिद्धाणं । णमो आइरियाणं । णमो उवझायाणं । णमो लोए सब्ब साइणं ।। (२) सोलह अक्षरका मंत्र । अरहंत सिद्ध आइरिय उवज्झाय साहू ॥ अर्थात्-अर्हत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुभ्यो नमः ॥ (३) छह अक्षरका मंत्र । ॥ अरहंत सिद्ध ॥ (४) पांच अक्षरका मंत्र ।। " असिआउसा" ॥ यह पंच परमेष्ठीके आदि अक्षर है। (५) चार अक्षरका मंत्र । " अरहंत " For Private And Personal Use Only
SR No.020069
Book TitleAradhana Swarup
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Harjivandas
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages61
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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