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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३८ ] दिगंबर जैन । पंडितपंडितमरणकूं संक्षेपकरि कहूंगा । ऐसें बालपंडितमरणकूं दश गाथानि वर्णन कीया || श्रावकके १७ नियम | भोजेने पटेरसे पाने, कुंकुमादि विलेपने । पुष्प ताम्बुलगीतेषु नृत्यादि ब्रह्मचर्यके ॥ १ ॥ स्नोनं भूषण वस्त्रेषू वोने शेर्ये नोर्सेने । सचित्तं दिशात्याज्य मेतत् सप्त दशानि च ||२|| जिनमतका मूल सिद्धांत | अहिंसा परमो धर्मो यतो धर्मस्ततो जयः ।। प्रश्न - हिंसा किसको कहते है ? उत्तर – (१) अपने मनमें अपनी आत्माका बुरा व दूसरोंका बुरा विचारना हिंसा है। अपने वचनोंसे दूसरोंके मनको और शरीरको दुख देना हिंसा है। अपने शरीरसे दूसरोंके शरीर को दुख पहुंचाना हिंसा है । प्रश्न-दया किसको कहते है ? उत्तर --- (१) अपनी आत्माको क्रोध मान माया लोभ मोह और कामसे बचाना दया है । (२) दूसरोंके हरप्रकारके दुःखको अपनी शक्तिभर दूर करना दया है । (३) दया परिणामों (भावों) के आधीन है । (४) किसी प्राणीका अपना शरीरसे नाश For Private And Personal Use Only
SR No.020069
Book TitleAradhana Swarup
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Harjivandas
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages61
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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