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________________ कस्तूल २३६५ कस्मूला, कस्म्युका ३ रत्ती को मधु में गोली बनाकर जिनके गृह में | कस्पेरीई कार्टक्स-ले. Cuspari B Cortex) सैकड़ों स्त्रियाँ हों, उनके इच्छापूर्ति हेतु इसे सेवन | अंगस्तूरा छाल । अंगस्तूरा वल्कल । कस्पेरिया फेब्रिफ्युजा-ले० Cuspariai Feकस्तूल-[ देश० ] झाँकरा ( मरा०)। काला किरा- | ___brifuga] अंगस्तूरा वृक्ष । यत (पश्चिम भारत) Haplanthus | कस्पेरिया बाक-[अं० Cus paria Bark ] verticillaris, Nees. H. tental __अंगस्तूरे की छाल । दे. "अंस्तुरा बार्क।" culatus, Nees (फः० ई०३ भ०) कर फः, कसफ:-[ ] ख़राब ऊँट । कस्त लीतु स-[यू.] ज़रावंद दराज । जरावंद तवील । कस्कार मिश्राकस्तूस-[यू.] जंगार। कस्तार मका ६ [अ०] कादजारका नाम। कस्तूस अतारूस-दे. "कस्तू अतारूस" । कस्फीर-[यू.] सौसन सफेद । जंगली सौसन । कस्तेल-[बम्ब०] Hydnocarpus alpina, | Wight. तुवरक भेद । तोरठी (मरा०)। | कस्ब-[१०] सूखा और अधपका छोहारा । कस्बज-[ कस्बः का मुन] खली । कंजारः । कस्बर-[फा०, यू.] जुक । कस्तोत्पाटन- ] असा । [सिरि० ] सफ़ेद सौसन । कर द, कसद्-[?] एक कंटकाकीर्ण वृक्ष । उसज ।। | कस्बरज-दे० "कस्परज"। ___ कहते हैं कि मूसा अलेह अस्सलाम की छड़ी(असा) इसी वृक्ष को लकड़ी का बना था। | कर बतुरिय:-[१०] फुफ्फुस प्रणाली। हवा की कर दः, कसद:-[१] वह पत्र और शाखाएँ जो प्रथम | नली । कसबहे हवाइयः । क्रसबः । Trachia, Wind Pipe कोटेदार वृक्ष में से फूट। कर दोर-[१०] राँगा । कलई । बंग। (नासुल्लु कर बतुल अन्क-[१०] नासावंश । नाक का atar i Bridge of the Nose. गात) कस्न-[फा०] मटर । (२) खुश्क बाक़ला । कर बहे कुब्रा-[१०] कस्म:-[ तु.] चपाती। कस्न हिंदी-[फा०] चिचड़ी । क़ुराद ।। कस्मार- संथाल ] गंभारी । कारमरी । करना, कस्नान-[फा०] मटर । (२) सूखा हुआ कस्म-सं०] कास । विदाक । बाकला। कस्नाक-12] मूंगा । प्रवाल । कर म, कसम-[१०] दिट्टी का अंडा। कस्नाज-[ ] कासनी । कस्मोहूर-यू.] लकड़बग्घा । कतार ।। कस्नारूस-[यू०] उसारहे लह्यतुत्तीस । कस्मूका, कस्म्युका-[ नन्ती ] एक अप्रसिद्ध घास। करनालक-1 ] दार चिकना । • कसमुका। कस्नासीस-यू.] एक प्रकार का लबलाब जिसके नोट-मसूऊदी ने किताबे-सम्म(विष-तंत्र) पत्ते चौड़े होते हैं। में लिखा है कि यह एक बूटी है जो भूमि पर कस्नी-[कासनो का संक्षिप्त रूप ] कासनी । आच्छादित होती है और जिसका छत्ता अत्यन्त कस्नूबरून-[ यू० ] फ्राशरा । छोटा तर्जनी उंगली और अंगूठे के फैलाव के पराकस्पत-[पं०] त्रुम्ब० पं० । चीन (बं०)। बर होता है। इसके पत्ते मरुए के पत्तों के सश कस्पत्ता-[दं०] मोगवीरे का पत्ता। (Anisom- होते हैं और उनमें चंप होता है । इसका स्वाद ___elos Malabarica, R. Br.) गावज़बाँ उस बेर का सा होता है जो अभी पदवर एवं (बम्ब०)। कषाय हो । इस बूटी को सुखा रखते हैं। गुण कस्परज-[फा०] मोती । मुक्का । में यह उष्ण और रूप है। बिच्छुके रंक मारने
SR No.020062
Book TitleAayurvediya Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1942
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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