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________________ [ख] आयुर्वेदीय विश्व-कोष पर प्रसिद्ध-प्रसिद्ध विद्वानों की सम्मतियां सुप्रसिद्ध वनस्पति शास्त्रज्ञ एवं वनौषधि-अन्वेषक श्रद्धय ठा० वलवंत सिंहजी M. S. C. प्रोफेसर आयुर्वेद कालेज हिंदू विश्व विद्यालय कोष के सम्बन्ध में इस पूकार अपने उद्गार प्रकट करते हैं"आयुर्वेद की शास्त्रोक्त परिभाषा जितनी व्यापक हो सकती है, आयुर्वेदीय विश्व-कोष का विषय क्षेत्र भी उतना ही व्यापकरखा गया है । यह बात कोष के लेखक द्वय हमारे मित्र ठा० रामजीत सिंह जी तथा ठा० दलजीतसिंह जा के उदार और विस्तृत दृष्टिकोण की परिचायक है। अनेक क्षेत्रों के विशेषज्ञ तथा बड़े २ विद्वानों की प्रशंसात्मक सम्मतियां उनकी सफलता की द्योतक हैं। वनस्पति-विज्ञान और तत्सम्बन्धी खोजों में अधिक रुचि होने के कारण मैंने प्रस्तुत ग्रंथ के वनस्पति विषयक अंश को ध्यान से देखा । मुझे इस बात की प्रसन्नता हुई कि इस क्षेत्र में हमारे यशस्वी लेखकों ने संदिग्ध द्रव्यों पर निर्णयात्मक बुद्धि से विचार करने तथा प्रकाश डालने का प्रयत्न किया है जैसा कि आजकल के विरले ही लेखक करते है। संज्ञाओं की व्युत्पत्ति का ज्ञान संदिग्धता निवारण का एक प्रधान साधन है जिसे आप लोगों ने अपनाया है। यह तभी सम्भव है जब द्रव्यों का प्रत्यक्ष ज्ञान हो और तत्सम्बन्धी सम्पूर्ण साहित्य का अवलोकन किया गया हो । इन दिशाओं में लेखक महोदयों की व्याकुल जिज्ञासा तथा उनकी उद्यमशीलता तथा अनवरत प्रयत्न को देखकर हमें आशा करना चाहिये कि कोष के आगामी खंडों में क्रमशः अधिकाधिक खोज पूर्ण विचारों का समावेश होता जायगा। आयुर्वेद-कालेज ) श्रीयुत् ठा० वलवंतसिंह जी हिंदू विश्वविद्यालय काशी ता० २० अप्रैल १९४२ ई.) आयुर्वेदीय विश्व कोष द्वितीय खंड के सम्बन्ध में आयुर्वेदिक कालेज-पत्रिका (हिंदू विश्वविद्यालय ) की रायउपयुक्त पुस्तक में आयुर्वेद, यूनानी एवं एलोपैथी में प्रयुक्त शब्दों के अर्थ और उनकी व्याख्या दी गई है । पुस्तक को देखने से यह पता लगता है कि यह विश्व-कोष गंभीर अध्ययन और परिश्रम से लिखा गया है । आयुर्वेद-संसार में इस प्रकार का यह प्रथम प्रयास है। बहुत दिनों से जिस कमी का अनुभव विद्वान लोग कर रहे थे, निस्संदेह इससे वह कमी पूरी हो जायगी। पूर्ण प्रकाशित होने के बाद यह एक आयुर्वेद का उज्ज्वल रत्न होगा। विद्याथियों से लेकर विद्वान विचारकों तक के लिये पठनीय मननीय और संग्रहणीय है । प्रकाशक और संकलन कर्ताओं के इस कार्य की हम सराहना करते हैं कि वे इसे पूर्ण करने का निरन्तर प्रयत्न करते रहेंगे जिससे यह महान् ग्रंथ शीघ्र ही तैयार हो ।
SR No.020062
Book TitleAayurvediya Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1942
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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