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________________ एरीनेरिया-हालोष्टीआइडिस १७८० एलेरिया डिजिटेटा पूर्वक घुल जाता है; परन्तु ईथर और क्लोरोफार्म सिद्धार्थ । श्वेत सर्षप। सफेद सरसों । जीर में कठिनता से घुलता है। -अ० । ईहुकान-फा०। प्रभाव-लाला प्रवर्तक, धर्मकर और कृमि- एरुक्क-[ मल० ] पाक । मदार । अर्क । - नाशक है । दे० "सुपारी"। एरुक्कम म- }[ता० ] पाक । मदार । अर्क । एरीनेरिया-हालोष्टीआइडिस- ले० arenaria एरुकुholosteoides, Edge.] ककुत्रा । गँदि-एस एरुनेल-[बं• ] सतनी । तितली । सुदाब। एप्पिच्छ-ते. ] कुण्डली। चुद्र अग्निमन्थ । __यल-(६०)। चिकि-(लदा०)। एरुवदी-ता०] शीशम । सीसो । शिशपा । एरीफ़ारून-[यू० ] एक प्रकार की वनस्पति जिसकी एकवली-[ ता० ] नीलमदी। पिशीना-[ ]। पत्ती जर्जीर की पत्ती की तरह होती है। इसका एरुसरुमानु-ते. ] झावुक । भाऊ । पुष्प नील वर्ण का होता है। इसमें पुष्प अधिकता के साथ शाते हैं जिनमें सेब तुल्य सुगंधि पाती ए(अ)रेङ्गा-सैकेरिफेरा-[ ले० arenga.sacch arifera] तौंग-रंग-(बर०)। है। उनके भीतर सफेद बालों की तरह सीधे तार | एरेकिस-हाइपोजिया- ले. arachis-hypog. लगे होते हैं। यह ग्रीष्मकाल में पुष्पित होता है। apa1 दे. "ऐरेकिस-हाइपोजिया"। इसका तना एक हाथ ऊँचा होता है, जिसका रंग एरेक्थाइटीज़-हीरोसिफोलिया- ले० erechthiललाई लिए होता है । यह बीहड़ एवं ऊपर तथा ___tes-heirocifolia ] Fire-weed. क्षारीय भूमि में उत्पन्न होता है। इसकी जड़ प्रभाव फायर वीड-(अं.)। शून्य होती है। एरेग्राष्टिस-प्लूमोसा-ले. eragrostis plu- प्रकृति-परस्पर विरुद्ध गुण-धर्म सम्पन्न (मुर __mosa, Link. ] फुलरवा । भुरभुरी । गलक्किबुल कुवा) । किसी-किसी के अनुसार यह गल । मूसा । उ० ५० सू।। अत्यन्त शीतल है। एरेग्राष्टिस-ब्राउनिआई-[ ले० eragrostis. गुण, कर्म, प्रयोग-इसमें थोड़ी सी शोथ ___brownei, Nees. ] भी-(अलीगढ़)। विलीन करने की शक्ति है । कुदुर के साथ इसके एरेग्राष्टिस-साइनोस्युराइडीस-[ले. eragros• फलों और पत्तों का प्रलेप वातसूत्रगत 'क्षत एवं ___tis-cynosuroides, Reta.] कुरा । अन्य अंगों के 'दतों को लाभकारी है। इसी प्रकार कुस । डाभ। इसके भीतर के तार सिरके के साथ पीस कर रंटिया-आख्य जोफोलिया- ले० ehretiaप्रलेप करने से लाभ प्रदान करता है। इसके ___obtusifolia ] एक झाड़ी जो सिंध और पापों का प्रलेप अंडशोथ एवं गुदस्थ शोथ को पंजाब प्रान्त में होती है। लाभप्रद है। इसको ताज़ा भक्षण करने से तत्काल एरेटिया-एक्युमिनेटा-[ले. ehretia-acumiखनाक उत्पन्न हो जाता है। इसके गुण-धर्म खुबी nata] अर्जुन । कुकुन । पुन्यन । नलशुनतुल्य हैं । इसके भक्षण से यदि कोई विकार उत्पन्न (नैपा०)। कुलश्राज-(बं०)। न (गढ़)।. हो, तो खुबी जनित विकारवत् उसकी चिकित्सा एरेटिया-बक्सिफोलिया-[ले. ehretia-buxiकरें। (ख० अ.)। ___folia, Roxb. ] कुरुपिगि-(ता०) एरीमापेवेल-[ मल० ] धारकरेला । वाहस। एरेटिया-लेविस-ले०ehretialaevis,Roxb.] एरीमाष्टकीज़-विकेरियाई-[ ले० aremosta- चमरुड़ । कोड-हिं०। chys-vicaryi, Benth. ] रेवंदचीन । एरेम्युरस-स्पेक्टेबिलिस-[ ले. eremurus. खलाना । गुरगुन्ना-(पं०)। ___spectabilis, Bieb. ] शिली । ब्रे। एरु-वि० [सं० त्रि०] चलनेवाला। गमनशील ।। प्राउ-(६०)। गन्ता । | एरेलिया-डिजिटेटा-ले० aralia digitata, एरुका-सेटिवा-ले० eruca-sativa, Lam.] | Rorb. ] डाइन ।
SR No.020062
Book TitleAayurvediya Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1942
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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