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________________ कदल्यादि घृतम् कदल्यादि घृतम्-संज्ञा पुं० [सं० क्री० ] केला कन्द कदियिरत्तम्-[ ता० ] पुनर्नवा । गदह पूर्ना । . के रस में ४०० तो केले के पुषों को पक एं। कादिर-[१०] (१) केवड़ा । (२) गंदला। - जब चतुर्थान्श रहे तब छानकर इसमें ६४ तो धुंधला । मुकदर । अस्वच्छ । घृत और चन्दन, सरन की गोंद, जटामांसो, केला कदिरमंसूर-[अ.] वह सच्छ पदार्थ जिसमें कन्द, इलायची, लवङ्ग, त्रिफला, केय को गूहो, सन्त्र गॅलाहट; फैली हो । अस्वच्छता-व्याप्त और 'न्यग्रोधादिगण" को औषधियों का करक . वस्तु। बनाय, उपयुक क्वाथ में घृत सहित विधिवत् कदी-फ्रा०] खड़िया मिष्टी। ... मन्दानि से घृत सिद्ध करें। . .. कदीदे गरगे-[ कना० | भँगरया । भृजराज | - गुण तथा प्रयोग-इसे उचित मात्रा में वह गोश्त जो नमक लगाकर खुश्क सेवन करने से नियों के सामरोग, समरस मूत्ररोग किया गया हो । खुश्क गोश्त । सुखठी। वीर्य पिच्छल रोग, बीसों प्रनेह, तेरह प्रकार के | कदीमा- बिहा०] (१) सं.ताफल । शरीफ्रा। मूत्राघात, बहुमूत्र, मूत्रकृच्छ, और पथरी रोग | (२) मीठा कडू। .. का नाश होता है। - [बं०, हिं• ] (१) सफेद कह । कुम्हड़ा । नोट-न्यग्रोधादि गण"-वर्गद, गूनर, गूलर, क़दीमुल वित-[अ० ] भँगरा । भँगरैया । भृगराज । पीपल, पियालवृत, प्राम, अल्लवेतस, दोनों क़दीमुल मुल्क-अ.] .खुब्बाजी। ..... .: प्रकार के जामुन, बेर, महुअा, अर्जुन वृक्ष, तिनक | कदीमा चे-[ते. ] कदम । कदम्ब । .. वृक्ष, (मेंभुर्निवृत) पाटला वृक्ष कटुक बृद्ध, . कदम्ब, पाकर, गईभाड (पारस पीपर) और | कदीर-[१०] देग में पकाया हुआ मांस। कदोरा-शिमला ] शंगला । कलूचो (पं०)। - पलाश इनकी छाल लेना उचित है। (भैप० २० सोमरोग वि०) कदाह-[अ०] शोरवा । यूग। कदश्व-संज्ञा पुं० [सं० पुं०] कुत्सित अश्व ।। कदुधा-संज्ञा पुं॰ [दे..] कइ । अाल (भूपाल)। कदाष्ठ-संज्ञा पुं॰ [ स. पु.] सान्तानोत्पादक | कदुष्ण-वि० [सं० वि०] इतना गर्म किसके छुने - कोटाणु । सूक्ष्मवीज ( Nucleolus.) से त्वचा न जले। थोड़ा गर्न। शोर गर्म । कदह-अ.] हाथाजोड़ी । बखुर मरियम । . सीतगरम । कोसा । ईषण । श्रम। ... कदह किगती-अ.] गंधक का प्याला । । संस्कृत पाय-कोष्ण | कबोष्ण । मोष्ण कदह.मरियम-[अ०] (१) हाथाजोड़ी। बखुर- - यथामरियम । (२) कोजूलीदून । कदल्याः स्वरसः श्रेष्ठः कदुष्ण: कर्णपूरणः । कदहरलु-[ कना० ] जंगली रेंड । कानने त्यड । कदाद-[१०] साही। संज्ञा पु० [सं० को०] उष्णता। गरमी । कदाख्य-संज्ञा पुं॰ [सं० श्री.] कुट. नाम की | श्रम। प्रोषधि । कूट । कुष्ठ । श० च०। .. कदुचणापल्लू-[ ? ] अज्ञात । कदाह-[?] मक्खी। . . ... केदुबेल्लुल्ली-[?] अज्ञात। कदाला-[?] कपती। कदुला-[?]रका: कदाह कुकेर-[ कना०] जंगली काली मिर्च । कदू-[फा०] कह। कदाही-[१०] चिड़ियों के पर।... क.दूतल्न-[फा०] तिलौकी । तुमड़ी। कदाक्षी-संज्ञा [सं० वी० कदाक्षित् ] कुसित नेत्र । । कदूमः-[असकहानी] तोरी। कदिट-[बर०] वरना । वरुण। | कदूरात-[अ०] वह दवाएँ जो मुंह में एक तरफ कदिव-अ.] (1) ताज़ा खून । (२) वह डाली जाय। सपेदी । जो युवकों के नख पर पाई जाती है। कदूशीरी-[फा०] कह । लोबो ।
SR No.020062
Book TitleAayurvediya Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1942
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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