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________________ और * औरसी - वि० [सं० त्रि० ] उर संबन्धी नाड़ी। सोने की नाडी । Sternal, N. thoracic N. १८५५ श्र० शा० । और: कण्ठिकी } औरः काकलकी और कण्ठ सम्बन्धी । Sterno Hyoideus. औरा-संज्ञा पु ं० दे० "आँवला” । - [ बहु० ] [ एक व० वर्क, वरन ] पत्र । पत्तियाँ | पत्ते ( Leaves ) संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] उर - [ बहु० ] [ एक व वर्क, वरिक ] कूल्हे | (Hips) बर्ग और क़-इ-बुद्द बब - [ ] रीड दाख के पत्ते । अंगूरेख़िरस । ( Uva-ursi-folia )। औराक़-कोका–[ अ० ] कोका के पत्ते । औराक़-गुले-सुने - [अ०][ गुलाब की पंखड़ियाँ पाश्चात्य त्वया नाड़ी जंघा से वा वंक्षण में होती है । यह प्लेग से भिन्न होता है । इसमें ग्रन्थीय पेशियाँ शोथ युक्त हो जाती है । दे० "ख़ैरजील" । औरिण-संज्ञा पु ं० [सं० नी० ] ( १ ) मृत्तिका लवण । खारीनमक । (२) यवक्षार । जवाखार | वै० निघ० । मद० । गुलाब | - जाबो दी - [अ०] जैबोरै एडी के पत्ते । औराक़-जौज मासिल - [अ] धतूरे के पत्ते । धुस्तुर पत्र। श्रराक़-दीजताल- [ अ ] डिजिटेलिस के पत्ते । हृत्पत्री के पत्ते ( Digitalis folia )। श्रराक़ मेंती को -[अ०] मैटिकीपत्र ( Matica - श्ररुता-दे० “औरत!” औरुवुक-संज्ञा पु ं० [सं० क्रो० ] रेंडी का तेज | एरण्ड-तैल । च० द० । अजवाइन खुरासानी | औराकुल्गार - [ अ ] बर्गे-ग़ार | ग़ार के पत्ते । औरानुल्यारुल्क़र्जी - [ श्रु ] दे० " औराकुला" । औराकुल- बंज -[ ] कुंस्सी करन - [ श्र० ] के पत्ते । पारसीकयमानी पत्र । राती -[ ] एक वसामय प्रवर्द्धन, जो पपोटे पर पैदा हो जाता है । शिर्ना । कंजंक्टेवोमा ( Conjuncta voma ) । नोट - प्रायः सभी तिब्बी ग्रंथों में "औरातीस" को "शिर्नाक" का पर्याय लिखा है । पर ज्ञात होता है, कि यह श्राइराइटिस Iritis ( उपतारा प्रदाह ) से अरबी बनाया गया है। औ - [अ०] बहु० ] [ एक व० वर्म ] शोथ । सूजन । श्रामास । ( Swelling)। श्रम मग़ाबिन -[ ] एक प्रकार की सूजन जो श्ररुवेरु - [ ते० ] ख़स | उशीर । औरोक्षक संधि-संज्ञा स्त्री० [सं० पु०] उर और तक cleido-mastoid A. । श्र० शा० । 1 । श्रर्ण - वि० [सं० त्रि० ] मेष लोम जात । ऊनी । कि- वि० [सं० ० ] दे० "और्ण” । - देह संज्ञा पुं० [सं० क्री ] मरणान्त क्रिया । अन्त्येष्ठि संस्कार | और्ध्वदमिक व० [सं० त्रि० ] जो ऊपर से पैदा हो । उर्ध्वद्मोत्पन्न | श्रर्व - संज्ञा पुं० [सं० की ] दे० "और्व्व" । _सम्बन्धी । (Sternoclavicular jint) औरोक्ष-कचूचुकी - संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] धमनी औरोक्ष-ऋचूचुकीया -संज्ञा स्त्री०) विशेष Sterno folia ) - वि० [सं० क्रि० ] जाँघ का । ऊरु संबन्धी | श्रौर।क़-हेमेमेलिस-[ श्रु० ] हैमेमेलिस पत्र | (Ha - श्रर्वी अन्तः स्वगीया नाड़ी - संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] mamelis folia) एक नाड़ी विशेष | ऊरु की अन्तः स्वगीया नाड़ी । - कला - संज्ञा स्त्री० [सं० झिल्ली । श्र० शा० । श्रौर्वीकला तंसनी -संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] श्रौर्वी स्त्री० ] जाँघ की कला को ताननेवाली पेशी । ( muscle tensor fasciae femoris ) । श्र० शाo | और्वीगम्भीर शिरा-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री ] शिरा विशेष | श्र० शा० | श्रौर्वी जननेन्द्रिया नाड़ी-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० [] ऊरु और जननेन्द्रिय सम्बन्धी नाड़ी । श्र० शा० । श्रौर्वी धमनी -संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] जाँघ की धमनी । ( Femoral artery. ) श्रवनाड़ी -संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] ऊरुवा जाँघ की नाड़ी । ( Femoral-nerve.) श्रवपाश्चात्य त्वगीया नाड़ी-संज्ञा स्त्री० [सं०
SR No.020062
Book TitleAayurvediya Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1942
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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