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________________ प्रोजोन पेपर १९३४ ओट समान बहने लगता है और बड़े जोर से भड़क | (२) उत्कृष्ठ अोझड़ी वह है,जो जवान बकरी उठता है। इसका अंश अोषजन में भी पाया वा जवान भेड़ की हो। हकीमों की परिभाषा में जाता है । यह जल में बहुत कम मिलता है। केवल श्रोझड़ी कहने से बकरी और भेड़ की जल को निष्फल बनाने में इसे अधिक व्यवहार अोझड़ी अभिप्रेत होती है। करते हैं । इसकी परीक्षा १७८५ ई० में वानमरम __ प्रकृति-गरमतर है और गोलानी इसे सर्द (Van-marum ) महोदय ने की थी। एवं खुश्क बतलाते हैं। यह जितनी अधिक ओजोन-पेपर-संज्ञा पु० [अं० 0zono-paper ] चिकनी होती है, उतनी ही गरमी की ओर मायल होती है। एक प्रकार का काग़ज़, जिसके द्वारा यह परीक्षा हो सकती है कि वायु में "ओज़ोन" है वा नहीं। गुण-धर्म-मांसको अपेक्षा इससे ख़न कम बनता इसका व्यवहार औषध में भी होता है। दे. है और जो रन बनता भी है,वह उत्तम नहीं होता। "पोटेशियाई नाइटास"। इससे कैमूस (Chyme) खराब बनता है । फेफड़े ओजोन-बकस-संज्ञा पु० [अं० 02one-box] के गोश्त से इसमें पोषणांश अधिक है। इसके संपुट विशेष । एक प्रकार का संदूक । इसमें खाने से कफ बहुत पैदा होता है । यह दीर्घपाकी है। इससे सांद्र दोष बनता है। यह मूर्खता. मृगी, प्रोज़ोन पेपर को रखकर वायु में "प्रोज़ोन" रहने व न रहने की परीक्षा की जाती है। इसकी सकता (Apoplexy) तथा आँखों में तारीकी बनावट अनोखी होतो है। वायु भिन्न प्रकाशादि (धुन्ध) पैदा करती है । दृष्टिनिर्बल हो जाता है। द्रव्य इसमें प्रवेश नहीं कर सकते। इसका शोधन इस प्रकार करें कि इसे खूब गलाओजोनाइज्ड-एयर-संज्ञा पु.[अं. 0zonized. कर पकाएँ और गरम मसाले एवं सिरके के साथ air ] श्रीज़ोनित वायु । ओज़ोन । दे. "हाइड्रो. खाएँ । गीलानी लिखते हैं कि जो चीज़ इसको जीनियाई पर आक्साइडाई लाइकर" या शीघ्र पचाती एवं सूक्ष्म बना देती है, वह पुराना "प्राक्सिजन"। सिरका, सुदाब और करफ़्स (अजमोद) हैं। ओजोनिक-ईथर-संज्ञा पु० [अं० 0zonic-ae- अस्तु, उसमें इन्हें डालकर पकाएँ। जिसकी यह ther ] यह एक अधिक स्थायी यौगिक है, जो अभिलाषा हो, कि पतला एवं जलीय रक्त उत्पन्न हो, पानी के साथ मिल जाता है। दे. "हाइड्रोजिनि उसे चाहिए कि अोझडी खाया करें और जिसे याई पर पाक्साइडाई लाइकर"। भोजनोपरांत धूम्रोद्गार आता हो, उसे भी इसको ओज्मा-संज्ञा स्त्री० [ सं० पु. ] (१) शक्ति । व्यवहार करना चाहिये। श्रोझड़ी पेट में अधिक ताकत । (२) वेग । तेज़ चाल। ठहरती है। इसलिए जो लोग इसे खाएँ, उन्हें ओझ-संज्ञा पुं० [सं० उदर, हिं० श्रोझर ] (१) चाहिए कि जवारिशात प्रयोग में लाते रहें। __ पेट की थैली । पेट (२)अाँत । अन्त्र । अँतड़ी। (ख० अ०)। ओझड़ी-संज्ञा स्त्री० [हिं०] पशुओं का एक विशेष C M ओझर-संज्ञा पु० [सं० उदर, पु. हिं० श्रोदर। . अंग, जो उनमें भामाशय का स्थानापन है। श्रोझर ] [स्त्री० अल्पा० श्रोझरी ] (१) पेट । पर्या-शकंबः, हज्जार-फ्रा० । कर्श, (२) उदर के भीतर की वह थैली, जिसमें किर्स-१०। हज़ारखाना।। खाए हुए पदार्थ भरे रहते हैं। पचौनी। कर्श, टिप्पणी-(१) शकंबः सहस्रकोषयुक्त शकंबः (अ.)। हज़ारखानः (फ्रा०)। समूह को श्रोमड़ी कहते हैं। अमीरुल्लुगात के नोट-पागुर करनेवाले जानवरों में यह प्रामाअनुसार श्रोझड़ी जानवरों का मेदा है। हकीमों शय की प्रतिनिधि है। पक्षियों में इस अवयव के अनुसार मनुष्यों में, जिस प्रकार मेदा है, उसी | को पोटा (हौस लः-१०) कहते हैं । प्रकार पशुत्रों में श्रोझड़ी है। अरबी में शकंबः | ओझरी-संज्ञा स्त्री० दे० "अोझर"। को कर्श और हज़ारखाने को किब्बत कहा| ओट-संज्ञा पुं॰ [ देश० (अवध)] एक प्रकार का करते हैं। वृक्ष, जिसमें बरसात के दिनों में सनद और
SR No.020062
Book TitleAayurvediya Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1942
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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