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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अश्मरी . अश्मरी देवक .. (स) मूत्रमार्गस्थ अश्मरी-: नोट - कभी कभी शिराओं के भीतर कठोर (Calculus of uretlira). या अश्मवत् अवरोध पाया जाता है । यह वस्तुतः :: .. (७): यदश्मरो-यकृत में बनने वाली | : रक के रढ़ तथा अरमीभूत होने से उत्पन्न हो पथरी । हेपैटो लिथ Hepatolith-इं. ।। जाता है। .. ... . . हसानुल कबिद-अ01. .(१३) अश्रवश्मरी- प्रणालीस्थ (2) आन्त्राश्मरी-इन्टेस्टाइनल कैलक्यु- अश्मरी. अॉस की नालियों की पथरी। .. लाई (Intestinal calculi . -इ'। .. क्रियोलिथ Dacryolith-. । हसात् यह मनुष्य एवं मांसाहारी जीवों में तो क्वचित्, | दम्य्य ह.-अ. परन्तु शाकाहारी जीवों में सामान्य रूप से होता. अश्मरी कण्डनो रस: ashmari-kandano rasab-सं० पु. ढाक, केला, तिक्ष, करना, • (६) पित्ताश्मरी--पित्ताशय या पिस - जौ, इमली, चिर्चिटा और हल्दी इनके चारों को प्रणाली में उत्पन्न होनेवाली अश्मरी । बिलियरी इकट्ठा करके सबका ३६ वा मारा पारा, उतना ही कैलक्युलाइ Biliary. calculi., गाल.. गन्धक और हम दोनों के समान भाग उत्तम स्टोअ Gallstones; कोलोलिथ: Cholo लोह भस्म मिलाकर सबका बारीक चूर्ण कर lith, ( Calculus of gall-bladder रक्खें । or duct.)-ई० । इसात सफराविय्यह, हसात मात्रा-१ तो० । इसे दही के साथ चाट कर मरारिय्यह.-१० । सकरावी पथरी, पिता की ऊपर से वरुण वृक्ष की छाल का क्वाथ पाएँ । पथरी-उ०। . ..यह रस दुःसाध्य से भी दुःसाध्य पथरी को मष्ट नोट--इसे वस्तिस्थ अश्मरी का भेद पित्तज करता है। अश्मरी न समझना चाहिए। ... (१०) क्लोमप्रन्थिस्थ अश्मरो, अग्न्या. अश्मरी कृञ्छ : ashmari-krichchhrah , शयिक अश्मरी-यह क्त्रचित् ही पाई जाती हैं -सं० पु. पथरी जन्य मूत्रकृच्छ , मूत्रकृच्छ, और जन्न उत्पन्न होती है तब अधिक संख्या में भेद । वै० निघ० 1 (See-Mutra kricमुख्य प्रणाली वा गौण प्रणाली में वर्तमान होती hehhra) है। पैनक्रिएटिक कैलक्युलाई Pancreatic . . . नोट-आयुर्वेद के अनुसार अश्मरीकृष्ण .. calculi- । । . मूत्रकृच्छ, का एक भेद है । परन्तु यह पथरी के (११) लालाग्रंथिस्थ अश्मरी ताला निर्माण की अवस्था में ही होता है। अस्तु यह ..प्रधि बा लाला अर्थात्. लार में पाई जाने वाली अश्मरी रोग का केवल एक लक्षमा मात्र है। अश्मरी । . अश्मरोनः ashmarighnah-सं० पु० । यह बाहर से खुरदरी (कर्कश ) एवं विषमा- | अश्मरान athinarighna-हिं० संज्ञा पु. ) कार होती है और साधारणतः प्रणाली के मुख के | वरुण वृक्ष, बरना का. पेड़ । वरुण गा-40। समीप पाई जाती हैं । इससे प्रणाली का मुख वायवरया-मह०। ( Crateeva religiअवरुद्ध हो जाता है। सैलिबरी कैलक्युलाई osa.) त्रिका० ।-Hि०, वि० अश्मरीहर, Salivaly Calculi-ई । . . अश्मरी नाशक, पथरी को दूर करने वाला। (१२) शिसस्थित अश्मरी -शिरा में | (Luithon triptic) बननेवाली पथरी। अश्मरो छेदक ashmari-chhedaka-हिं. फ्लेबोलिथ Phle bolith-इ'। इसातुम् ।। संशा पु० (१) अश्मरो छेदक यंत्र ( Liदह-अवरीदों की पथरी-30। thotiite.)। (२) अश्मरी को फोरपूर For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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