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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अवीवरन् ૭૪૬ अवाँसी saiवरन् avivaran सं० वरण या वरुण नामक वृक्ष बरना । ( Cratva tapia ) अथर्व० । सू० ८५ | १ | ० | अवसम् avisam- का० समर साथर, साथन-हिं० । श्रवेद्या avedya-हिं० वि०, स्त्री० [सं०] वह स्त्री जिससे विवाह नहीं कर सकते । श्रविवाह्य स्त्री । पुदीना कांही | अबीसीनिया श्रफ़िसिनेलिस avicennia officinlis, Linn. - ले० मड, नल्लभड नं0 | तीवर - सिंध | मल० । थमे - बर० । बीना- बं० । श्री एपटा प्रयोगांश - स्वक्, गिरी व भस्म । उपयोग - रङ्गः वभच्य अवीसीनिया टोमेन्टोसा avicennia to | mentosa, Jueg. - ले० व्यना - हिं०, बं० । तिम्मर-सिंघ | नल-मड-ते० 1 (Avicennia, Downy leaved.) प्रयोगांश- मूल व बीज | उपयोग - औषध | श्रवेद्यः avedyah - सं० पु० श्रवेद्य avedya - हिं० संज्ञा पुं ० श्रवेगी avegi - सं० त्रो० विधारा । वृद्धदारक | रा० नि० । वीसीनिया, डाउनी लोव्ह्ड avicennia, downy leaved - इं० बू अली सीना, बू | श्रवेक्षण avekshana - हिं० संज्ञा पुं० [सं०] अली, बीना | ( Avicennil tomentosa) इं० हैं० गा० । [वि० अवेक्षित, अवेक्षीय ] ( १ ) अवलोकन, देखना । ( २ ) निरीक्षण | जाँच पड़ताल | अबुक; avukh-सं० पु० छाग, बकरा । ( A श्रवैद्य avaidya - हिं०वि० [सं०] जो वैद्य न हो । जो वैद्यक शास्त्र को न जानता हो । goat. ) श० र० । श्रवरा avira-हिं० श्रामला, वरा । ( Phyllanthus emblica. ) अवाइस uvois-हिं० श्ररुई, घुइयाँ । ( Coloc asia antiquorum.) मेमो० ! अवृद्धः avriddhah सं० पु० पुष्प वृक्ष भेददम् a vodam-सं० क्ली० घाद्रके, श्रादी, पाषाण पुष्प । पत्थर फुल - मह० । चै० अदरक । ( Zingiber officinalis. ) निघ० । जटा० । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १ ) गो घरस, बछवा, बछड़ा | ( A calf. ) शु० र० । (२) नादान बच्चा ! अवेना avena ले देखो - अवना । अवेन्स avens- इं० वाटर अवेन्स ( Wate 1avens.)। अवेर होश्रा एसिडा averrhoa acida - ले० हरफारेवड़ी । देखो – श्रींहोना एसिडा । श्रवेल avela - नारियल का तेल, नारिकेज़ तैल | ( Cocoanut oil. ) अवेला avela-सं० स्त्री० एग चन्चित, चिकनी सुपारी । चिश्न- शुपारि- बं० । श्रवेश avesha - हिं० संज्ञा पुं० [सं० प्रवेश ] ( 8 ) किसी विचार में इस प्रकार तन्मय हो जाना कि अपनी स्थिति भूल जाय। आवेश । जोश । मनोवेग । ( २ ) भूतावेश। भूत चढ़ना । किसी भूत का सिर श्राना । भूत लगना । I अवांतर avantara-हिं०वि० [सं० अंतर्गत । मध्यवर्ती | श्रीच का | संज्ञा पुं० [सं०] मध्य | भीतर ! बीच | यौ० - श्रवांतर दिशा-बीच की दिशा । विदिशा। अवांतरभेद - अंतर्गत भेद | भाग का भाग । वि० पुं० [सं०] ( १ ) अज्ञेय । ( २ ) श्रवासी avansi - हिं० संज्ञा स्त्री० [सं० अवा अलभ्य । सित ] यह श्रोम जो फसल में से पहिले पहल For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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