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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अक्सावक ७३५.. '.... अवसादक ग्वसादक avasādalk-हिं० संत्रा प [सं०] :: कह औषध जो बढ़े हुए दोषों की ऊम्मा एवं क्षोभ को शमन करे अथवा वह जो धात्ववयविक क्रिया को अवसित करे । उदाहरणत:-(१)वात. केन्द्रिक क्रिया, यथा ताम्रकूट (तम्बाकू), लोहेलिया (अरण्य तम्बाकू), ब्रोमाइड प्रॉफ पोटाशियम प्रभृति, (२) रसञ्चालन सांस्थानिक क्रिया, यथा वसनाम, वेराटम्, टाटर एमेटिक, सिक एसिड प्रभृति; (३) सौषुम्न-काण्ड क्रिया, यथा-कालाबार थीन, इत्यादि। पर्याय-- शामक, क्षोभहर, संशमन, निर्बलताजनक-हिं० । सिडेटिहज़ Sedatives, डिप्रेसेण्ट्स Depressants-इं० । मुमक्किन, सू.जइक्र-१०। अवसादक औषधों को निम्न लिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है । यथा (.)सावाँगिक वा व्याप्त अवसादक( General sedatives ) gaffara इमूमी-१०। ये निम्न हैपूर्ण मादक (Narcotics ) तथा अवसम्मताजमक ( Anesthetics) औषधे बमा भोपियम (अहिफेन), मॉर्फिया अन्तः रेप द्वारा ), ओरल, हायोसायमस (अजवाइन सुरासानी), जल तथा रक मोक्षण। (२) स्थानिक प्रवसोदक ( Sedati. ves)-मुसक्किचात मुक्कामी-०। ये निम्न हैप्रोपियम् (अहिफेन ), ऐट्रोपीन, एसिड कार्बो. लिक, एसिडम हाइड्रोस्यानिकम् दायल्युटम्, बोरेक्स (टेकण), बिलाडोना, प्रम्बाई एसीटास, प्रम्बाई कार्बोनास, क्रियोजटम्, क्रोरल, लाईकार प्रम्बाई सबएसिटेटिस सायल्युटस, मॉर्फीन (अहि. फेनीन) और अनस्थेटिक्स (अवसन्नताजनक औषध ) तथा ऐनोडाइन्स (अङ्गमईप्रशमन ) । . (३) मस्तिष्क अवसादक-(Cerebral Sedatives or depressants)| म.इफ्रात दिमाग़-अ.। ...इसके उपयोग से मास्तिष्कीय रकसंक्रमण शिथिल हो जाता है एवं मास्तिष्कीय शक्रिया निर्बल हो जाती हैं अर्थात् उनकी क्रियाओं में शिथिलता उपस्थित हो जाती है। ऐसी प्रोपों को निम्नलिखित चार श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है, यथा(.) निद्राजनक ( Hypnotics), (२) मादक वा संज्ञाहर (Narcotics.), (३) सायंगिक अंगमईप्रशमन (General anodynes) और सार्वा गिक अबसन्नताजनक (General anesthetics)। नोट-इनके पूर्ण विवेचन के लिए यथा स्थान देखो। (४) सौषुम्न अवसादक ( कसेरूकामज्जा अवसादक ) Spinal sedatives or depressants) मु.जइफ्रात नुना-अ०। ऐसी औषधे सुषुम्णाकांड के एण्टेरी अर्वानुवा के व्यापार को शिथिल करती है अर्थात् उसकी तीवा ( activity) को घटाती हैं। इनका सरल प्रभाव होता है अथवा परावर्तित रूप से और इनका यह प्रभाव सौषुम्नोत्तेजक औषधों के विपरीत होता है। बह औषध जो सुषुम्णा की परावर्तित गति को शिथिल करती है। (क) क्लोरल हाइड्रेट, प्रोमाइस, फाइ. साष्टिग्मीन, क्लोरोफार्म, ईथर, कैनाविस इंडिका (भंग ), प्रोपियम् ( अनि फेन), एपोमॉर्फीन, वेरेट्रीन*, एमेटोन, ऐलकोहल ( मद्यसार )*, अर्गट, गे(जे)लसीमियम्, सेपोनीन, एमाइल नाइट्रेट, सोडियम नाइट्रेट, कैम्फर ( कपूर ), मर्करी (पारद ),ऐण्टिमनी (अन), सोडियम, पोटासियम्, लीथियम्, सिल्वर (रजत), भार्सेनिक (सखिया , जिंक ( यशद), काबालिक एसिड टर्पेनटाइन ( तारपीन का तेल), कॉलधिकर (सूरिक्षान) और कावारूट। नोट-जिन औषधों पर ये (*) चिद्ध लगे हैं उनका पूर्व प्रभात्र सूक्ष्मोसेजक और अवसादकोत्तर प्रभाव होता है। For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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