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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अवध्वंसः ७२५ अवपीड़: अवध्वं तः avadhvansah--सं अवनाट: avanatah-सं. त्रि० नतनासिका, अवध्वस avindhvausa-हिं० संज्ञा पु. मुकी नाक वाला, चदनासा युक्त । श्रम । [वि. अवध्वस्त ] (१) प्रवचूर्णन, चूर्ण करना | अवनि avati). (To powder, Powlering.) मे०। -हिं० संज्ञा स्त्री० [सं०] (२) चर्णन । चूर चूर करना । नाश । (३) | अवनी avani)" परित्याग | छोड़ना । ( ४ ) देह को जलाकर | पृथ्वी, जमीन, अवनितल । नष्ट करने वाला । अथव । सू० २२ । ३। अवना avanā ) .. का०५। .सं. स्त्री० (१) बाय | अवनी : vani अवध्वस्तः avadivastah--सं० वि० श्रव. । ___ माणा ( See--Trayamānā. ) रा. नि० चूर्णित, चूर्ण किया हुआ । ( Powdered ). ! व०५ | अवनत की या Avanatii.karniya-सं० स्त्रीको ariखा. अवनीसारा avanisari-सं० स्त्री. ( Musa Obliquus auriculae)1 शकलीया : sapintum.) कदली, केला | 2. निघः। असरला । श्रवने जन avitnejana-हि० संज्ञा पु. [सं०] अवनत पादांगुष्ठाकर्षणी avanata-padangu. I shthákarşhaşi-jato (Adductor | gafia-at) eta avanti,-niti,-sonamhallueis obliquus.) पादांगुष्ट अंतर. संकली. कॉजी, कानिक । प. मु०। हारा०॥ नायिनी असरला। रा.नि.व.१५ ( See-Kanjika) प्रवनम् avanam-सं० क्ली० . अवपतन avapatana-स. क्ली. ऊपर से अवन avana-हिं० संशा पु० ' श्राना, गिराव, नीचे गिरना। वा० सू०१२ णन। तृप्तिकरण । प्रसन्न करना । (Satisfy अ०। ing.) श्र०। (२) प्रीति । अवाटिका avapatika-सं० स्रो० क्षुद्र रोगा[स अवनि ] ज़मीन | भूमि । न्तर्गत शूक रोग । लक्षण-लिंग के चर्म को 972 Arfat: avanata-mándirah-o! बहुत मलने अथवा दब जाने या वीर्य का वेग रुक (Oblique popliteal.) जाने श्रादि कारणोंसे यदि लिंग के ऊपर का चर्म प्रधनम्र avinama-सं. झुका हुा । ( Be- फट जाए तो उसे "अवपाटिका" कहते हैं । यथा- nt). 'यम्यावपाट्यते चर्मतांविद्यादवपाटिकाम' । प्रचनत-सूत्रम् avana ta-sutram-सं० ली. सु० मि० अ० १३ । यह एक रोग है जो (Oblique cord.)। झुका हुश्रा या वक्र लघुछिद्र योनिवाली और रजस्वला-धर्म रहित तन्तु। स्त्री से मैथुन करने से, हस्त-क्रिया से, लिंगेन्द्रिय भवनता ठाकर्षणी avanatangushtha के बन्द मुँह को बलात्कार खोलने से अथवा karshaņi-Ħo FPO ( Adductor निकलते हुए वीर्य को रोकने से हो जाता है। pollicis obliquus. )। इस रोग में लिंग को प्राच्छादित करने वाला अवनति avanati-हि. संज्ञा स्त्री० [सं०] चमड़ा प्रायः फट जाता है। मा० नि०। अयपान .vapita-हिं० सज्ञा. प. [स] मुकाव, मुकाना। (१)गिराव | पतन । अधःपतन । शवनन avanata-हिं० वि० [ सं०] (1) (२) गददा । कुण्ड । नीचा, झुका हुआ। (oblique.) ! (२) गिरा | अवपीड avanida-हि०प० । अवपीड avapida-हिं० पु. । प्रकार हुश्रा । पतित । अधोगत | अवपीडः ayapidah-स.पु. ) For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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