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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ७०२. लक्षण -- जिस रोग में कूख और पेट में अत्यन्त अफारा हो, बेहोशी हो, पीड़ा युक्र शब्द करे और वायु मलने से रुक कर ऊद्ध गति हो, कोख के ऊपर कं यादि स्थानों में गमन करे, मल मूत्र और गुदा की पवन रुक जाए, प्यास और डकारों से पीड़ित हो तो उसको "अलसक" कहते हैं। देखो - मन्दाग्नि पी० (३) कुष्ट रोग भेद | अलस शाङ्ग ० । जो चाहार ऊपर के मार्ग अर्थात् मुख द्वारा नहीं निकलता, अधीमार्ग ( गुदा द्वारा ) भी नहीं निकलता और न पचता ही है। प्रत्युत केवल नाभि और स्तनों के मध्यवर्ती श्रामाशय नामक स्थान में अलसीभूत अर्थात् स्तब्ध भाव में रहता है उसे अलसक रोग कहते हैं। जैसे अलस फाफनalasafafan- ( 1 ) लिसानुल- श्रवन । अनुद्यमशील मनुष्य श्रालसी कहलाता है । (२) राव | इसके लक्षण में भेद है । वा० सू० मत लक्षण - जिसमें अत्यन्त खुजली खले, लाली युक्र तथा छोटी फुन्सी अधिक हो उसको “श्रलसक" कुष्ट कहते हैं । मा० नि० 1 ( ४ ) व्याल जाति । गज-वै० । (५) निहा रोग । वै० तिघ० । ( ६ ) वृक्ष भेद । ( A kind of tree.) अलस alas-० भेदिया ( A wolf. ) । -फा० (१) गन्दुम मकर (मक्षा का गेहूं, गेहूं के सहरा अनाज है ) । ( २ ) सुलत, चात जो, औ बिरहना । अलस alas - यु० सुन्दरीखी, कासनी भेद । (A kind of Kásaní ) अक्लकः _alasakah - सं० पुं० अलसकalasaka-हिं० संक्षा प० रोग का एक भेद, अजी जन्य रोग ( Dyspe• ptic disease ) । देखो - अलसः । अलसन alasan- यु० एक वनस्पति है । अलसनतुल् स फोर nlasanatul-aasáfia--अ० इन्द्रयव । Wrightia Tinetoria, R. Br. (Seeds of--) अलसन्दद्द् alssandah - हिं० मोठ । ( Vetches, Lentils ) जी Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अलसन्दा [alasandá-तेο अलन्दी alasandi-कमा० अलस्तीन } लोबिया (Do lichos cating, D. sinensis ) इ० मे० मे० । , अलसा alasá-सं० ० हिं० संज्ञा स्त्री० (१) हंसपदी लता । गोथापदी ( Vitis pedate ) । गांयाले लत्ता- बं० । मे० सनिक । (२) लज्जाल | जाल फूल की लजावन्ती । अलस alasa फा० ( १ ) मरोड़फली, श्रावर्तकी । ( Helicteres Isora ) (२) ख़िल्मी ( See-- khitiní )। (३) नान्वाह, अजवाइन | (Caram ptychotis Ajowan) अलसी alasi-सं० (हिं० संज्ञा) स्र० अनसी । तीसी हिं० ब० । For Private and Personal Use Only अलसी āalasi श्र० घृतकुमारी, ग्वारपाठा, श्री. कुवार । ( Aloe Indica.) अलसी का तेल alasi ka tel - हिं०, ६०, तीसी கா तेल । अलसी (त. ) तैलम् - सं० । तिसि तेल, मोसिनार तैल बं० । दुह मुल कसान - अ० होराने ज़गीर, रोगने कलां-फा० । लिन्सीड ऑइल ( Linseed oil )-इं० | लिनम युसिटेटिसिमम् Linum Usitatissimum, Linn. ( oil of )-ले० । अस्तिशि - विरै-ये योग् -ता । मदन गिल नूने ते० | चेहचाण-वितिम्ले - गुणा मलया० 1 पलशी यर कना० । स० फा० ई० | देखो कातसी । अलसी विalasi-virai - ता० अलसी, तीसी, भतली। Linseed ( Linum Usitatissimum ) इं० मे० मे० । अलसेलुका alaseluká स० ख० लजालुका | फुल सोला बं० । वै० निघ० । अलस्तीन &lastin शु० नमक, लवण । Salt (Sodium chloride. )
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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