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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६४ ': कहते हैं। सु. नि० प्रमेह चि०६अ। मा० | अलना alata -हिं० पु., बं० पालता, : नि। (२) शूक दोष विशेष। लक्षण-जो अलजी पालनाalata S लाख का रंग, महावर । प्रमेह पिड़कानों में वणन हो चुकी है यदि उसके (Cotton strongly in pregnated लक्षणों से युक्र फुन्सी हो तो उसे "अलजी" with the dye of lac ready to जानना चाहिए । सु० नि० शू० दो० चि०१४ . be used for dyeing etc.) म०। (३) नेत्र-संघि रोग विशेष । अलताई का रस alatai-ka-rasa-हिं० । लक्षण-नेत्रों की सफ़ेद और काली संधियों ! अलता का रस alata-ko-rasa-जय. में जो पूर्वोक्र ( प्रमेह पीड़का के ) लक्षणों वाली महावर, अलता का रस। Seer-alata. फुसी उत्पन्न हो जाती है उसे "अलजी कहते हैं। अलतून alatāna-तु० शेर का नाम, सिंह । (A पर्वणी और अजजी में केवल इतना ही भेद है कि | lion. ) पर्वणी छोटी फुसी है और अलजी पड़ी है। मा० अलन्नताalannata हिं० स्रो० नीमच्छद, नि । अथर्व । सू०८ | २० | का० ८। . | अलन्नदाalannadi | इन्द्रवल्ली-सं० । (४) वम के बाहर की ओर कनीनिका में एक वृत्त है जिसकी शाखाओं पर लघु एक कठोर और ऊँची गाँठ होती है। उसका रंग श्यामवर्ण के कण्टक लगे होते हैं । पत्र तांबे के सदृश होता और पंकने पर वह राध एवं ! मोतिया पत्र सदृश किन्तु उनसे लघु तथा मर रुधिर बहाने बाली होती है, उसे "अलजी" | और फल फालसा के बराबर होते हैं। अपक्वा. कहते हैं । यह बारबार फूल जाती है। वा० सं० वस्था में हरितध धौर अम्ल स्वादयुक्त किन्तु .: । (५) कनीन के बीच में वेदना, तोद पकने पर राभायुक्र श्यामवण के और खटमिट्र और दाहयुक्त जो सूजन होती है उसको "अलजी" . हो जाते हैं। इनके भीतर त्रिकायाकार बीज होते कहते हैं । वा० सं० १० १०। हैं। जड़ टेढ़ी होती है।... ... ... . (६) वाग्भट्ट के अनुसार इसके निम्न लक्षण | अलफ़aalaf-अ० अमलान (२०.५०) धारा, है-अलजो नाम की पिटिका उत्पन्न होते समय .. पशुओं का. धारा । ( Fodder). वधामें जलन पैदा करती है। ये अत्यंत कष्ट देतो अलफ़क दाग aalafak-daghu-a, फा० और फैलती हुई स्वजो जाती हैं। इनका वर्ण : जु ह । एक घास है । ( A grass.) हाला वा लाल होता है और इनमें तृषा, स्फोट | लफक हिन्दी aalafak-hindi-१० बास दाह, मोह और ज्वर के उपनाव होते हैं। वा० : (एक सुगन्धित तृण है। इसके सम्बन्ध में और . "नि०.१०. . . . . . . . . बात नहीं मालूम हो सकी)। मलralanja अ०. इसके स्वरूप में मतभेव है। अलफ़ गारखर aalafa.gorkhara-०,फा० अलजारः alan jarab-सं०.पु. बहु जलधर-1 इजनिर । रोहित तृण । ( Andropogon - मृणमय पात्र । जाला बं० । सुराही हिं• । संस्कृत :. : schieranthus.) ... . - पर्याय-अलिअरः, माणिकं । अ० टो० भ०। अलफजन alafajana-हिं० धारो, उस्तो खुड्स अलअरः alanjurah-सं. ५ मिट्टीको सुराही। (Lavendula stoechas.)-मे मे। (Jar:) अलफ मुहलिक āalafa-muhlik-१० कुटकी, मलत alat-अ. काली तुलसी। (. 'Ocimum | कटुको । ( Helleborus.) ....gratissimum..) भलत: alat-अजिसके दाँत कीदो ने खाए हो अलफ़ शोरदार aalaf-shirdar-फा० मे. पर तमूल प्रबशेष रह गए हों।. ... : मेष (A sheep.)'. अलत माकन alat-maqun-यु- मावित्री । अलफ़ हिन्दी aalafa-hindi-य. सकरवियन, Mace Myristica fragrans, | - जंगली बहसन ! (Wild garlic.) Host Flower of-..)... अलफ्फ alaffa-अ. वह जो स्पटमापन करसके। For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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