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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रवभेदक चार बार उबकाईयाँ श्राती हो तो बर्फ घुसाएँ 'अथवा सोडावाटर में बर्फ डालकर घूँट घूँट पिलाएँ आमाशय द्वारपर १५-२० मिनट तक राई - का प्लास्टर लगाएँ । मलावरोध होने की दशा में व्ल्यूप्रिल २ प्रेन खिलाकर उसके घंटे पश्चात् सोडियाई सल्फास पर मैग्नेशियाई सल्फास 8 से ६ ड्राम ४ आउंस ( २ ० ) पानी में मिलो ★ कर पिलाएँ। शिशेशूल निवारणार्थ निम्न योगों में से किसी एक का व्यवहार करें | ये सब - अत्यन्त लाभप्रद और परीक्षित हैं । केफीन साइट्रास फेनासिटीन १० ग्रेन १० प्रेन सोडियम सैलिसिलेट केकीनी साइट्रेट www.kobatirth.org यह एक मात्रा है । ऐसी एक are wes प्रातः काल अथवा किसी भी समय वेदना काल - में जला दुग्ध के साथ सेवन करें। ( २ ) ऐटीपायरीन ५ प्रेन ५ प्रेम १ ग्रेन ( ३ ) व्युटल क्रोरल हाइड्रेट टिंक्चुरा जलसीमियाई टिंक्चूरा कैनबिस इण्डिकी ग्लीसरीन ३० मिनिम सीरुपस श्रीशियाइ एक्लोरोफॉर्मा (ऐड) 1⁄2 आउंस ऐसी एक-एक मात्रा औषध १५-१५ मिनट पश्चात् तीन-चार बार दें | वेदना श्रारम्भ होते "ही इसका प्रयोग करने से प्रायः व्यथा रुक | जाती है । * ग्रेन म मिनिस ५ मिनिम १ डाम १ भाउंस एक्वा ( एंड ) ऐसी १-१ मात्रा श्रीषध श्राध श्राघ घंटे पश्चात् दो-तीन बार दें । इस प्रकार के शिरो-शूल में यह औषध अत्यन्त लाभप्रद है । ६७६ ( ४ ) ऐस्टिपायरीन पोटासियाई ब्रोमाइडाई ६० प्रेन २४० ग्रेन स्पिरिटस झोरोफॉर्माई २ ड्राम एक्वा कैम्फोरी (ऐड ) ८ श्राउंस इसमें से आध आउंस ( ४ दाम ) औषध वेदना आरम्भ होते ही दें। श्रावश्यकता होने 1 अद्ययमेव पर बाघ घंटे पश्चात् १-२ मात्रा और दें । वेगान्तर काल में कुछ दिन तक २ ड्राम की मात्रा में प्रातः सायं इसका सेवन किया करे । प्रत्येक भाँति के शिशूल में बाभदायक है । ( * ) ऐस्पिरीम २ ग्रेन फेनासिटीम दोवर्स पाउडर Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऐसी एक-एक पुड़िया एक-एक घंटे पश्चात् तीन - चार पुड़िया तक दें । के लिए अत्यन्त लाभ ( ६ ) दायक है | लोरल हाइड्रेट पोटासियम् श्रोमाइड लाहकार ट्राइ नाइट्रीन एका कोरोफॉर्म (ऐड) ऐसी एक-एक मात्रा तक दें । . ऐस्पिरीन कीनीन सल्फेट फेनासिटीन कैफीन ३ न ३ प्रेन १० ग्रेन १५ मेन १ मिनिम (७) हर प्रकार के शिरःशूल के लिए गुणदायक है। For Private and Personal Use Only १ आउंस दिन में तीन बार ५ ५ प्रेन ३ ग्रेन ३ ग्रेन २ ग्रेन ऐसी एक-एक पुढ़िया २-२ घंटे के अन्तर से ३ पुड़िया तक दें । (८) यह श्रदुर्भावभेदक के वेग रोकने के लिए श्रत्युपयोगी है। दो तीन मास इसका निरन्तर उपयोग करना चाहिए | सोडियम ब्रोमाइड टिंक्चर जेलसीमियाई तिकार ट्राइ नाइट्रोनी arter स्ट्रिक ५ मिनिम एक्का मेन्धी पेप (पेट) १ घाउंस ऐसी एक-एक मात्रा दिन में २-३ बार दें । नोट- प्रत्येक सप्ताह में एक दिन का नागा " देना चाहिए । इस प्रकार के होले शिरो बेदना में दोनों स्कंधो के बीच में और कानों के पीछे और मीचे खुश्क गिलास लगाने से तथा गुद्दी पर १० प्रेन १० मिनिम १ मिनिम
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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