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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अरशमरम् श्ररस्त् मरशमरम् ansha-malam-ता० अश्वत्थ, अपसीना alasi nāकना० हरिद्रा, हलदी । .. पीपल वृक्ष । ( Ficus religiosa.) ई० (Curcuma longa). मे० मे.! अरसीना उन्मत्त rasinaummattu-कना० अरशा arasha-एक हिन्दी बूटी है जिसकी. उँचाई पीला धतूरा, पीत धुस्तुर । ( Yellow मनुष्य के बराबर होती है। शाखाएं घास की variety of Datura.) तरह ग्रंथियुक्त होती है। पत्तियाँ भी तृण । अरसुसा arasāsā-यू० कनौचा भेद, कोई कोई समान तथा पुष्प बनकशा के सदश किंतु, उससे जंगली गाजर को कहते हैं। भिन्न वर्ण का होता है । फल इलायची के समान अरस्तन instan-फा० यूनानी संज्ञा श्राइरिस त्रिपाकार होता है । लु० क०। (Iris ) इसीसे व्युत्पन्न है। देखा-पष्करअरस arasa-हपु(व)पा, अर्दज, अभल, हाऊबेर । मूल । फा० ई०३भा० । (Juniperus chinensis.). ई०हेगा० अरस्ता तालीस yasta-talis-अ० । अरस aras ता० पीपलवृक्ष, अश्वस्थ । (Fieusi अरस्त् arastu-अ० religiosa.)। -हिं वि० [सं० अरस j! अरिस्टॉटल(Aristotle) अरस्तूका जन्म सन् नीरस, फीका । ( Imsipid). ईस्वीसे ३८४ वर्ष पूर्व ऐस के इलाके रस्तागीर अरस uras-काली सम्भाली, बाकस । (Justi- नामक स्थान में हुआ था। सतरह वर्षकी अवस्थामें cia gendarusssa.) ई० है. गा० । यह हकीम अफलातून के शिक्षालय में सम्मिअरस a1as-अ० य— अ, घूस, धूइस । A bih. ! लित हुए और पूरे २० वर्ष तक दर्शनशास्त्र का ndicote rat ( Mus gigautous ). अध्ययन किए और उनका पारंगत शिप्य बने। अरस: arasah-सं० पु ... ४३ वर्ष की अवस्था में अरस्तू सिकन्दर आजम ह(1) रस रहित । के गुरु हुए । इनमें भीतिक वस्तुणी के अन्वे. अरसम् arasam--सं० क्ली पणकी प्रबल इच्छा थी । इन्होंने अलेक्जेण्डरिया (२) विष रहित । अथर्व० । सू०६ । । में एक महाविद्यालय की स्थापनाकी जहाँ से सुप्र. का. ४ । अथवं० । सू० २२ । २ । का० ५। सिद्ध एवं प्रकांड विद्वान् उत्पन्न हुए। यह दर्शनअरसमरम् arasa-marah - ता० अश्वत्थ, शास्त्र के तो प्रमुख पंडित धे, परन्तु वैद्यकशास्त्र पीपल वृक्ष । (Ficus religiosa). में इनका पद बुकरात (lippocrate) अरसा ai asa-ता. पीपलवृक्ष, अश्वत्थ ! (Fictus से अत्यन्त निम्न कोटि का है। व्यवच्छेद व ___religiosa.) इन्द्रियव्यापारशास्त्र सम्बन्धी इनके कतिपय अरसाः arasāh.-प्राण रहित । अथर्व । सु. | असत्य सिद्धान्तों का जालीनस ने खंडन किया ३१।३१ का०२। अरसास arasās-सं०निर्बल। इनके मुख्य मुख्य सिद्धांत निम्न थे--- का०१०। (१) यह हृदय को प्राकृतिक जन्मा का उद्गम मरसिवणदह विणणु arasivanadah-ri- और रूह हैवानी का स्रोत मानते हैं। (२) __nanu- का० सहिजन, शोभांजन | (Mor इनके मतानुसार फुप्फुस हृदय को वायु प्रदान inga pterygosperma ) करता है। (३) धमनियाँ हृदय से रूह हैवानी अरसी arasi--हिं० संज्ञा पु० [सं० अतसी] को सम्पूर्ण शरीर में पहुँचाती हैं और (४) अलसी, तीसी । देखो-अतसी। शिराएँ यादीय शोणित से सम्पूर्ण शरीर अरसीन arasina--कना. जहरीसीनतक को श्राहार प्रदान करती हैं इत्यादि। --मह०। ( Allananda catharti- __ परन्तु प्राश्चर्य तो यह है कि अाज दो सहर va, Linm.) फा०ई०२भाव। वर्ष पश्चात् भी उनके ये असत्य सिद्धांत यूनानी For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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