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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रमोनिया (ग) खरल, जिसमें नवसादर और चूर्ण' को मिलाया गया हो, उसके समीप यदि पाद रक्र लिटमस पत्र लाएँ, तो वह नीला हो जाता है । अतः यह गैस क्षारीय है। (घ) उसी खरल के पास यदि उदहरिकाम्ल में दुबोकर एक काचदण्डी लाएँ, तो श्वेत धूम्र निकलते हैं। (ङ) इस गैस का जल विलयन हारों के समान गुण रखता है। रक्त लिटमस को नीला और अम्लों को उदासीन कर देता है। यह हार ऐसा तीन और दाहक नहीं है, जैसा कि दाहक सोडा या पोटास । अतः इसको संज्ञा मृदुतार अमोनिया अमोनियम Ammanjilm-ले० । माज़ नौ- : शादर, गैस नौशादर-ति । रासायनिक संकेत सूत्र (न उ ३) N. H... लक्षण-यह एक उग्रगन्धि अदृश्य वायव्य (गैस) है, जो नवसादर (अमोनियम हरिद) और चूर्ण के मिश्रण से उत्पन्न होता है।। प्रयोग-नवसादर : भाग और चूर्ण २ भाग लेकर स्वरल में डालकर चूर्ण करें। दोनों के परस्पर चूर्ण होने पर एक उग्रगंधि गैस निकलने लगता है। यही अमोनिया है। यदि शृंग, खुर, केश, त्वचा और मांस आदि अथवा खेचरों के प, दग्ध किए जाएँ तो जो . विशेष दुर्गध प्राप्त होती है, वह अमोनिया गैस के कारण ही है, क्योंकि यह उनका एक प्रधान . अंग है। इस विधि से बहुलता से अमोनिया प्राप्त होता है । प्राचीन काल में मगग प्रभृति अमोनिया बनाने के काम पाते थे । यह गैस कई . एक वानस्पतिक रसों यथा इक्षु रस आदि में और किसी भाँति वायु में मी विद्यमान होता है। ___ यद्यपि प्रमोनियम कोई धातु विशेष नहीं है, । केवल नत्रजन और उदजन के परमाणुओं का समूह है, तथापि इसका अशु ( न उ३) धातुवत् काम करता है, और अम्लोंसे मिलकर लवण बनाता है। उसका सुप्रसिद्ध लवण नवसादर | (अमोनियम हरिद) है। यह अमोनियम और लवणाम्ल के संयोग से बनता है। अमोनियम के कर्बनित श्रादि लवण भी होते हैं, जो बहुत उपयोगी हैं। __ ग्रा--(क) अमोनिया एक अदृश्य, उम्र, परन्तु रोखक गंधयुक गैस है जो वणरहित. स्वच्छ तथा नमनीय होता है। स्वाद तीय दाहक है। (ख) यह अत्यन्त जल विलेय है ( मद्य- ! सार में भी विलीन हो जाता है।); परन्तु जलविलीन होकर यह स्थिर नहीं रहता । प्रस्तु, जल.. विलीम अमोनिया उबालने पर वा बोतल खुली। . उखने पर जल से निकल जाता है। (च) इसका प्रापेक्षिक गुरुत्त्र '५८६ है। यदि इस गैस को बहुन सी हवा के साथ मिलाकर सुघाया जाए तो भी यह बहुत क्षोमक प्रमाय करता है और यदि इसको शुद्ध रूप में सघा जाए तब तो तत्काल दम घुटने लगता है। संज्ञा-निणय--प्राचीन मिश्र, यूनान तथा रोम देशनिवासियों के एमन नामक देवता का मन्दिर, जिनका वर्णन एमोनाइकम ( उशक ) के संज्ञा-निर्णायक-नोट शीर्षक के अन्तर्गत होगा, लेबिया ( शाम) के जिस जिला में था, उस जिला का नाम उक्र देवता के नाम पर रखा गया था | उस जिलाका नाम श्र(ए)मोनिया था। कि कृत्रिम नवसादर सर्व प्रथम उसी जगह बनाया गया था । अतएव नवसादर का नाम सल एमो. निएक (Sal aimanoniac.) अमोनीयिक लवण या एमोनिया (स्थान) का नमक है, और चूँकि यह गैस सल एमोनिएक अर्थात् नवसादर से बनता है । अस्तु, इसी सम्बन्ध से उसका नाम भी श्र(ए)मोनिया रखा गया। औषध-निर्माण-(१) लाहकर श्रमोनी फोर्टिस Liquor A mr.onice Fortis -ले । स्टोङ्ग सोल्युशन ऑफ अमोनिया Stro. ng Solution of Aminonia-a! सबल अमोनिया द्रब, ती अमोनिया विलयम --हिं० । कत्री साइल अमोनिया -३१।.. For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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