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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अमरूप भामरेर - - - ( convulsion ) में इसके टिंक्चरको उसकी अमरुफलम् amaruphalam संक्ली० उत्सर रीढ़ पर मालिश करते हैं। फल तथा फन्न का देश में प्रसिद्ध फल विशेष । गुण--अमरुफल मुरब्बा ये दोनों संग्राही है, और उन रोगियों के शीतल मल को पतला करने वाला, दस्तावर, लिए जो अतिसार और प्रवाहिका से पीड़ित हैं, दाहकारक, तथा रक्रपित्त, कामला, मूत्रकृच्छ, अत्यन्त उपयोगी हैं। फा० ई.२भा०। तथा मूत्राश्मरी को नाश करने वाला है। वे कांड स्वक तथा मूलत्वक संग्राही हैं। अपक्व निघ। फल पचने के अयोग्य है और बमन तथा ज्वरांश अमरूल amarila R० चूका, खटकल । चांगेरी उत्पन्न करता है। -सं०1( Runnex Scintatus.) मनोहर फल के कारण इसके वृत की बड़ी : अमरेन्सनमः amarendra-taruh-सं०५० प्रतिष्ठा है, परन्तु इसके बीज हानिकारक होते हैं। देवदास वृक्ष (Cadras Daodara.)। इसकी जेली हृदय बलदायक और मलावरोध के | वैनिघः भा. ज्य.निगुण्डीधूपः । लिए उत्तम है। फलत्वक् युक्र इसको खाना , 'अमरेन्द्ररसः amarendra-lasa h-सं० पु. चाहिए । फलत्वक् रहित म्वाने पर यह मलावरोध शुद्ध गन्धक और सोहागा प्रत्येक मा. गोदंती करता है। अपक्व फल्न अतिसार में प्रयुक है। । २ मा० इनको मिलाकर चार पहर तक भौगरे के गैरइ ( Garod) ने रनया में इसके फल रस में मह न करें, फिर ६ दिन तक पान के रस की बड़ी प्रशंसा की है। वह जल जिसमें इसके में घो।मात्रा-मुद्न प्रमाण | गुण-भयानक फल तर किए गए हो बहुतमूत्र जनित तृषा के . ज्वर, पित्त जनित दाह, अनेक प्रकार के थूल, लिए उत्तम है। विशूचिका जन्य छर्दि तथा । अतिसार के निग्रहण के लिए इसका ( मूलस्त्रक) और गुल्म को नष्ट करता है | पथ्य-दही, काय प्रयोग में प्राता है । इसके क्वाथ का स्कर्वी .. भात । र० क.० यो। तथा दूषित व्रण में, मुख धावन रूप से सूजे हुए अमरेश्वरोरस: amareshvaro-rasah-सं० मसूड़ों में लाभदायक प्रयोग होता है। इसके पु. पारा और उससे द्विगुण गन्धक लेकर पीसे हुए पत्र की अन्युत्तम पुल्टिस तैयार होती। कजली बनाएँ, और जमीकन्द के रस से सात है। ई० मे० मे। भावना दें, फिर शव, हर, धतूरा, कौड़ी. इसकी छाल संग्राही, ज्वरन और प्राक्षेपहर ! छोटे शंख, चित्रक, भिलावा, हरिण का सींग, फल कोष्टमकर और पत्र संग्राही है । ई०३० अंगुलिया थूहर और सेंधा नमक इनके क्षारों को प्रत्येक गन्धक के समान मिलाकर घोटें फिर थूहर का क्षार, त्रिकुटा, जमीकन्द, वंशलोचन, अमरुद amaruda-हिं०,अ० श्रमरून, अमृनफल । भिलावा और वियक प्रत्येक को गन्धक के समान (Psydium Pyriferum.). डालें और सूरण के रस की २७ भावना देखें। अमरूदे-अबैज़ amaride-abaza-अ०, सि. मात्रा-२ रत्ती । मनुपान ..घी । गुण-अर्श अमरूद । See-Amarut. को २१ दिन में नष्ट करता सिद्ध योग है। र० अमरूदे-अह मर amaride-ahmar-अ० । को प्रशोधिकारे। अमरूदे-सुर्य amarile-surkh- फा मरेर amarer-पं० चेन्जुल, थान, सियारू, a mararetio शेज लान अमरूत, सुर्ख अमरूद । ('The Red पिञ्चो, शकेई । -मेल० सुस्स, संसरू-चनाव । ____guava.) | See-Amarita. मेमो० । Beehmeria salicifolia, अमरूदे- द.marude-sufeda-फ.हि.. D. Don. एक पौधा है जिसका फल खाया रखेत ममरूत ( The white guava.)! जाता है । De bregeasia Bicolor, See-Amaruta Wedd. For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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