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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रान्धः अन्धसुदर्शक अञ्जनम् अन्य hिah-सं० त्रि. (१) नेत्रहीन, के स्तर को नहीं पीवे) तथा अतिसार, खाँसी, अंधा ( Biind)। -मो० (२) तिमिर, : हिचकी, वमन और ज्वर इनसे पीड़ित हो, वर्ण अंधकार ( Darkness.) । मे० धद्विक । । बिगड़ जाए, सोते समय नीचे को मुख करके (३) (धम् ) अत्र ग० नि० २०२०।। सोए, स्त्रट्टी खट्टी गंध श्राए, ऐसे बालकको अध (४) जल ( Vitth.' ) । भग्नः । (५) पूनना से पीड़ित कहते है। भात, श्रोदन, भन (Boiled rice:)। चिकित्सा--तिक द्रुम अर्थात् निम्बादि तिक वृ०नि० न० कृ०व०। रमयुक वृक्षों के पत्र से सिद्ध किए हुए जल से अन्धक: andhukah-सं०पू० तुम्वुक, धनियाँ। स्नान, सुरादि साधित तैल तथा पिप्पली अादि (मैगली) । (Xanthoxylonala tum)! द्वारा साधित घृत के उपयोग द्वारा उपयुक भा०पू०१आ० ह०व०।। सम्पूर्ण विकार शमन होते हैं। सु० उ० २७ । अन्यकाकः anttha-lakah-स. पु. (A पु० (AI ३३ अ०। bird ) काकाकार पक्षी । पानकौड़ि-बं० । अन्धमूषा andha-musha-सं० स्त्री० औषध भेदाजुया-मत्रिका । पाकार्थ यन्त्र विशेष । इसे वज्रमूषा भी अन्धकारः andha-kārah-सं० पु. अँधेरा, कहते हैं। श्रालोकामात्र ( Darkness)। इसके निम्न विधि-दो भाग तिनकों की भस्म, एक भाग पर्यायवाची शब्द हैं, जैसे-ध्वान्तं, तमिस्र, बाँबी की मिट्टी, एक भाग लोह किट्ट, एक भाग तिमिरं, तमः (अ.), भूच्छायं (रा०),अंधतमासं सफ़ेद पत्थर का चूरा और कुछ मनुष्य के बाल प्रांधतामसं, सन्तमम, अवतमसं । गुण- डालें। सब को एकत्र कर बकरी के दूध में भय, दृष्टि, तेज तथा अवरोधकारक और रोग- श्रौटा दो पहर पर्यन्त अच्छी तरह धोटें, पीछे जनक । राज०। उस मिट्टी का गौ के थन के सदृश गोल और नोट-महाअंधकार को अधतमस, सर्व- लम्बी मूषा बनाएँ । पीछे इसका बकना बनाकर ग्यापी वा चारों ओर के अधिकार को संतमस धूप में सुखा इसमें पारा भर ढकने से ढक दें और थोड़े अंधकार को अवतमस . कहते हैं। और सन्धियों को उसी मिट्टी से बंद करें। यह (२) उदासी । कांतिहीनता | पारा मारने को बज्रमूषा कहा है। इसी को अध. अन्धकृपः and ha-kupth-सं० पु. (१) भूषा कहते हैं । र० सा० सं० । कश्चिदत्रिः। मोह ( Loss of consciousness or | | अन्धमूषिका and ha-inushika-सं० श्री. sense) । (२) अधा कुआँ । (A blind | (१) देवताड़ वृक्ष । (Sce-Devatara)। well) (२) तृण विशेष । (A grass.) श० च०। अम्धतमस andha-tainasa-हिं० पु. प्रत्य अन्धरन्ध्रम् andha-jandhram-सं० की. न्त अन्धकार I (Great darkness). . अन्नपुट छिद्र । ( Foramon ciecunm). अन्धता and hata-सं० स्त्री० (१) पित्तरोग अन्धला andhala-1 -हिं० वि० अचा, बिना ( Bilialy discase)वै० निघः। अन्धा and ha- Jआँख का । ( Blind ) (२) अन्धापन । ( Blindness) अन्धपुष्पी andha-pushpi-हिं० संज्ञा स्त्रोक अन्धस्थानम् andha-sthānam-सं० क्लो. । अन्धस्थान and hasthāna-हिं० संज्ञा पुं० । अन्धाहुली, अर्क-पुष्पी, अर्काहुली। ___ अँधेरा स्थान । ( Blind spot). अन्धपूनना andha-putana-सं०खी० बालक अन्धसुदर्शक अञ्जनम् andha-sudarshaka ग्रहपीड़ा विशेष । इसके लक्षण निम्न हैं, यथा- anjanam-सं० क्ली० कृष्ण सर्प १, काले जो बालक स्तन से द्वेष रक्खे (अर्थात् माता बिच्छ लेकर एक दूधके कलश में २१ दिन पर्यंत For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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