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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भनाई अनार anate.)-ले०। पाँमेनेनेट Pomegranate. . -६०। अनार-६०। ग्रेनेडियर कल्टिव Grenadier Cultive.-फ्रां० । अनेट बॉम Granat baum.-जर० । अनार, इलिम्, दारिम, दाइमी, दाड़म-401 रुम्मान, राना - । अनार, मार-फा० । रुम्माना-सिरि० । कूतीनूस-यु० । दाखिम्ब-तु० । मादलैप-पज़म्, माउले-ता। दानिम्म पण्डु, दाडिम-पण्डु, दालिम्ब-पए-ते। मातलम्--पज़म्-मल। दालिम्बे-कायि-कना० । वालिम्ब, इसलिम्ब -मह । डारम, दाम-गु० । देलुङ् या देशुरु -सिं । सुख-सि या तली-सी-बर० । दालिम्, दामिम्ब-उड़ि। दालिम्-मासा। अनार, दादिम-उ०प००। पं० तथा परतु-देखोमनार पूषा बनार, पालिम, धारिम्प, बाढ़सिंध। भीम-काश० । दाबिम्ब-को। दाइम •मारवादी । मावल-दाविती । दालम्बि-कर्मा ।। उत्पत्तिस्थान-मनार । वानस्पतिक वर्णन-प्रमार का फल गोला. कार किश्चित् चपटा, अस्पष्टतः षटपात्र, सामान्य मागरंग के प्राकार का प्रायः वृहत्तर होता है | जिसके सिरे पर स्थल, नलिकाकार, ५-६ दंष्ट्राकार सपमयुग पुष्प वाय कोष खगा होता है। फल त्वक् सचिवण, कठोर एवं चर्मवत होता है। जो फल के परिपक्व होने पर धूसर पीतवर्ण का प्रायः सूरम रारजिस होता है । फल की लम्बाई की रुखक: मिल्खीदार परदे होते हैं जो अपर मिलते और फल के अर्व एव हसर भाग को बराबर कोषों में विभाजित करते हैं। उनके नीचे अग्यवस्थित गावदुमो चौड़ाई की एख पड़ा हुआ एक परदा होताहै जो मीचेके लघुरमाधे भागको उससे (अर्व भाग से ) भिन्न करता है। यह । " या ५ असमान कोषों में विभक्त होता है। प्रत्येक कोप स्थूल, स्पावत् अमरा से संलग्न बहुसंख्यक दानों से पूर्ण होता है जो उन कोषों में पाय, किन्तु मधः कोषों में केन्द्रीय प्रतीत होते हैं। दाने खगभग प्राध इंच लम्बे प्रायताकार मा गावदुमी, बहुपारचं तथा एक पतले पारदर्शक | कोष से श्रावृत्त और अम्ल, मधुर तथा स्वादुम्ल रक रसमय गूदे से भावरित लम्बे कोणाकार बीज युक्र होते हैं। मोट-(१) धन्वन्तरीय निघण्टुकार और सुश्रुताचार्य ने रस के विचार से इसे दो प्रकार का लिखा है अर्थात् (1) मधुर और (२) अम्ल । "द्विविधं तच्च विशेयं मधुरम्चाम्ल मेव च।" (ध० नि०, सु० ४६ अ०) परन्तु, युनानी निघण्टुकार तथा भावमिश्र इसे तीन प्रकार का लिखते हैं, यथा--"तरफलं त्रिविधं स्वादु स्वाद्वम्ल केवलाम्लकम् ।" अर्थात् (क) स्वादु, मधुर-हिं। अनार शीरी-फा०। रूम्मान हुलुम्ब (इलो)-9.1 स्वीट sweet -ई । (ख) अम्ल, सट्टा-हिं० । अनार तुर्श-फा०। हम्मान हामिड-१०। सावर sour-०। (ग) स्वाद्वान्न, मधुराम्ल, खटमीप्र-हिं। अमार मैनोश-फा० सम्मान मुज-१० । (२) खट्टे अनार के वृक्ष में खट्टे ही अनार .. लगते है और मी में मो लगते हैं। अषाद से ... भादों तक फल पकते हैं परन्तु देश के हर भाग में ऋतु के अनुसार अलग अलग मौसम में फल पकते हैं। खट्टा अनार गुग में मीठे से बलवानतर होता है। यद्यपि इसकी प्रत्येक चीज़ अपने गुण में दूसरी चीज़ के बराबर होती है, तो भी कुछ कमी-धेशी ज़रूर है, जैसे, गूदा में पत्तों की अपेक्षा अधिक प्रभाव है और इससे अधिकतर पभाव निसपाल में है । फूल में कली से कम असर होता है | इसकी जड़ की छालमें सब से अधिक प्रभाव है। ___ इसके अतिरिक्त अनार के दो और भेद हैं. यथा (१) गुलनार का पेड़ (नर अनार)। Punica Granatum, Linn. (Male variety of.)। इसका पुष्प जिसको गुलनार कहते हैं, औषध के काम आता है। देखो-गुलनार । इसमें फल नहीं लगते ।। (२) अनार जंगली-यह अनारका जंगली For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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