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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अदिवाजिनाज़ १६६ वज़ म अदिवाजिल्नरज़ azdivijil-nabzi-० नब्ज़ : होता है, यथा-मुश्क श्र र अर्थात् उग्र सुगंधि. जितरकी । नाड़ी में एक ही.बार दो गतियों (धमक, यूज कपूरी और यदि बुरे और थपक) की प्रतीति होनी । डाइक्रोटिजम ( Dic-i वस्तु से हो तो उससे अभिप्राय तीव दुर्गन्धि rotism )-ह। होती है। अदिवाजिबन azdirajil-basrs - अ. एक अकान ajfaima (३०व०), जान (१०३०) वस्तु का दो दिखाई देमा । डिप्लोपिया ( Dip : -अ० पोटे, पलक । श्राई लिइज़ ( Eys lopia)-इ.1 ___lids)-ई। अज़दिवाजिल हदव azlivajil-hadaba- | अज फार azfara-अ० (०२०), ज़ कर अ. पलक के रोमों का दोहरा अर्थात् दो पंक्रियों ( ए०व०) नख चाहे मनुष्य का हो या में होना । नेत्र में रोमाधिक्य ( परवाल ) का , पशु का | नेल्ज़ (,Vails)-इं०। होजाना । अज्य aajba-अ० हुद्अतुलवकं । कुकुन्दर पिराड, अन्न aajna-अ० संधातिन करना, खमीर करना, नितंत्रशस्थि का वह भाग जो बैठने में पृथ्वी पर सौंदना, सानना, गूंधना-हिं । निबलेता के लगता है। इस्कियल ट्युयॉसिटी ( Ischial कारण पृथ्वी पर हाथ टेक कर उना । फरेंट tubarosity )-ई। (Ferimant ), लोवेन ( Laven) अज़ बन azbata-अ० खेबड़ा, बाँया हाथ, वाम (बा ) हस्त से खाने पीने और काम काज अज्नास ajnasa-०(३० ब०), जिन्स (०। करने वाला। व.) जाति-हि। Genuses | देखो- अज़बह aazbah-अ० (१०व०) अज़न जिन्स। (य०३०), अजबात । जिह्वाग्र, जिला की नोक अग्निहह ajnihah-अ० (ब० व०), जनाह वा तीवता ।। (ए० व०) शाब्दिक अर्थ पंख,पत,पक्षियोंके पंख । अवतह, atzbutah-१० घूस मादा, मूस छेदन शास्त्र की पारेभाषा में पृष्ठ के मुहरों के A she rat). उस उभार या प्रबर्द्धन को कहते हैं जो उनके : अगदzbala-श्र० झाग निकालना। दोनों अग़लों पर स्थित होते हैं और जिन पर : श्रमama- एक ही प्रकार का भोजन करते पशु कात्री के शिर जुड़ते हैं । पाश्चात्य कूट, करते उकता जाना | इतना अधिक भोजन करना पश्चिम प्रबर्द्धन | लेटरल प्रोसेस (Lat- कि करीव तीर्ण के हो । सनक और अज्म के eral process)-इ. । भेद को "सनक" में देखें। अज्जिह ह .सगोरह ajniha hisaghirsh-अज़ा a.ma-३० निराहार रहना, उपवास करना अ० अनिह ह, कबीरह, बतदी,अस्तीनी | जतू. -हिं0 1 फास्ट (Fast)-इं० । कास्थि, तितली स्वरूपास्थि-हिं० । स्फीनॉइड | अज म aazma-१० (ए०व०), इजाम् (ब० ( Sphenoid )-'OI व०)। उस्तखाँ-फा० । अस्थि, हड्डी-हि. अक azia-अ० प्रण पूरित होना, घाव भर बोन Bone, श्रॉसिस osis (ए०१०), जाना, आत का अंगूर ले पाना । ग्रेन्युलेशन ___Bones बोन्ज, घाँसा ossa (ब० व.) (Granulation)-ई। अजफर azfara-० साधारणतः उमगंध चाहे धुरी नोट--यह मून धातुओं अर्थात् अवयवों में हो या अच्छी । विशेषण या संबन्ध द्वारा इसमें से एक कटोर व श्वेत अवयव है जो अपनी कठो - भेद किया जाता है अर्थात् इस शब्द का सम्बन्ध रता के कारण दोहरी नहीं हो सकती। यूनानी यदि किसी अच्छे या सुगन्धित द्रव्य से हो तो वैद्यक के अनुसार यह वीर्य से उत्पन्न इससे कोई उम्र सुगन्धित द्रव्य अभिप्रेत होती और शरीरका अाधार बनती है । For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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