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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir সমাপ্ত क इसी तरह अफीम का लेप चढ़ा कर पोस्ता के प्रतिः ankatih-स. पु., (.)(wind) पानी में दोला मंत्र में पकाएं, फिर तीसरी वार वायु । त्रि०(३) Fire अग्नि । वि० । मच में पकाएँ सो यह गुटिका सिद्ध होती है। अनः ankanah-स. पू. अंकोल, कोटवृष, इसे केले के कल, गुड़ अथवा किसी मीठी वस्तु हेरा। श्राङ्कोर गाल-वं०। (Alangium के भीतर रस्त्र कर मुह में रक्खें, जब तक यह ! decapetalium, Lam.) वै० श०। मुंह के अन्दर रहेगी धीर्य स्खलित न होगा। प्रवनम् ankanam-स. ली. (Muk) इसके प्रभाव से 100 स्त्रियों से भोग किया जा ! चिहु । सकता है। र० यो0सा01 भना ankana-हलिखना, छापना, मोलभाव अघोष aghosha-हिं० वि० [सं०] (1) शब्द : करना, चित करना । रहित । नौरव । (१) अपवनियुक्त। अङ्गपादम् ankapādam-स0 को०, (.) अनाaghnā सं०खा० गाय,गऊ गो, गह-ब०। पाइपिझ, पैर का निशान ( Footprint.)। मघ्या aghuya-स. स्त्रो. गवि, गाय। (२) छागणाधवयव विशेष । या० सू०१६ (Cow)-01 गाभी-यं०। भ्र०। अधान aghrana-हि. संना '. [सं० माघ्राण] : अङ्गपाली ankapāli ) स. खो०(1) प्रामाण करना ग्रहमा माईक लेने की अपालि: ankapalih ) (Midwife.a क्रिया । सूधने का कार्य। murse ) धाय, धान, दाई । (२) वेदिकाख्य भवानना aghranana हिं० क्रि० स० [सं० : गन्ध दम्य विशेष, यथा-'धात्री वेकियोरपि । प्रामाणे ] साम्रास करना । महक लेना। मेलं चतुष्क। (३) Embricing, an embra.c) प्रालिन । मे। मधना। अप्रेय aghreya-हिं० वि० [सं०] न सूधने - अपालिका anka-pālikā ) हि. स्त्री० पाली anka pali संहास] योग्य । Midwife धातृ । देखो-ग्रंकपाली। op anka-ficogo 1 () (Limb of į. अङ्क: ankah-स.पु.j the body ) । अङ्कय aanakaba-१० (A kind of शरीरावयव, भंग। काल-4 fish)मबली भेद । एक प्रकारकी मछली है। रा.नि. व. १ ० चि.७०(२)चिह, ! अङ्कसूत् aaukabuta-० (A spider) निशान, बार ऑक, रेखा (Mark Spot.| मकड़ी, द्रणेनाभि शेर मगस-फा। a line. ) 'अतिथ्यह, aanka butiyyah-J० मकड़ी (३)Sin पाप । Pain दु: । मे द्वि के जाले का सा परदा । नेत्र का चतुर्थ पटल | कम् । देखो-तबकहे अतिव्यह। (.) number आँकड़ा, अदर, संकेत, अङ्कमाल ankamāla-हिं० पु. संशा [सं०] संख्या का चिह, जैसे-1, २, ३, ४, ५ श्रादि। __प्रालिंगन, भेंट, परिरभण, गले लगना । (१)शरीर, देह, अंग। अङ्कमालिका ankamālika हि. स्त्री० संज्ञा भाडास Ankadisa-ते. ( Leea sty- [सं.] phylea ) (L. Sambucina, willd. | () छोटा हार, छोटी माला। Staphylea Indica ) कुकुर जिहा, (२) प्रालिंगन, भेंट । कुकुर जिला । ई० मे० मे। करा ankari-हि. प. संज्ञा [ सं. भाड़ो ankaxi-हि. खी० संज्ञा [ स० अंकुर] (1) एक खर वा धान्य जो गेहूं अंकुरबुमा, टेडी नोक] (1) टिया, के पौधों के बीच जमता है। इसे काट कर देखों हुक । (२) बेल, लता। को खिजाते हैं और इसका माग भी पाते है। For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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