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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अगा (गे) रिकस् कैम्पेस्टिस् : ६० अगिकनु,-सी उत्पत्ति-स्थान-फणस ( कटहल ) त ! अगारिक ह्वाइट और पर्जिग aaricrhital प्रयोगांश-त्रिका! Orpurying-50 अगारिकम वेल्बस् । रसायनिक संगठन-राल, ऐन्द्रिकाम्न तथा अगागेकन agarikon-यु० । गारीकन-अ. सरेश ! अगारोकन agariqun-अ० ) खुम्बी साँप प्रभाव नथा उपयोग-संकोचक । मुम्बपाक की छत्री, कुकुरमुत्ता-हि. puuyingdgar(Apthis: ) में मसूड़ों पर इसका प्रस्तर ies, Latge agric, Boletia (du लगाया जाता है। यह लालास्त्राव की अधिकता Tichts Albus ) को रोकती है प्रवाहिका तथा अतिसार में इसका नोट-- श्रोमीदह (सड़ी गली ) जड़ के सदृश अन्तः प्रयोग होता है और मुख पाक से पीड़िन एक वस्तु है । जो किमी वृक्ष की जड़ों के भीतर बालकों के मुम्ब में इसे लगाते हैं । ई० से निकलती है यह वास्तव में एक प्रकार की मे० मेक। खुम्बी होती है । देखो-'प्रगारिकसऐल्बस । अगा (गे) रिकस् कैम्पेस्ट्रिस aparicits ] अगा (गे) गसोन nga tricin-इं. यह ग़ारीGanpas tris, Linm-ले. शिलीन्ध्रः छत्रक कून (agaricus )का एक प्रभावान्मक सन्त्र -सं० खम्बूर बम्ब०, मोक्षा-चम्चा० स्खुम्बह. है। वह शदिनान स्वेदन श्रौषध है जो अचमा ग्वाम्बूर, चश्री अफ०, बाज़ा। मांस खेल रोगी के रानि स्वेद स्त्रात्र को संकता है। - काश01 तुम्बह समारोग (sten art) मात्रा- ग्रेन । इसकं नृदु भेदकी प्रभाव को बाजा । हरार (विपैला) रूप । प्रयोगांश-- रोकने के लिए "डोवर्स पाउडर' के साथ छत्रिका (Mushroom)। श्राहार तथा औषध , मिलाकर उपयोग में लाने हैं। ई० मे० मे० कार्य में पाती हैं । मे० मो० देवी--अगारिकस् पेन्बस् अगा (गे) रिकस्चिरर्गरम् agaricus chi• अगारूस अमरसी aparosi ammarnse-यु. __urgorum-ले० गारोकन बलुती । श्रास विस्तानी, अ.सबागी--उ01 श्राल, श्राछी अगारिकस् मस्केरिया agaricusMuscaria : --हिं0 Morindia"citrifolia, Limm. फ्लाइ अगारिक Fly ngaric-ई01 देखो-याच्छुकः । भगा ( गे ) रिकशिरर्जिअन् aguricus .. अगालजी analoge:-यू० अगर-हिं। loechirurgeon-ले. शाल्य छत्रांकुर (Su. rgeon's agarics ग़ारीकन जराही । ग़ारी wood (Aquillaria agaulocha ) कुन बलूती, अस्सोफान-अ०, । फा० ई० ३ अगाव agara-हिं. संज्ञा पुं० [सं० अग्र] ऊँख के ऊपर का पतला और नीरस भाग जिसमें भा०। इस प्रकार का ग़ाकिन, फिरंग के बनों में प्राचीन गां बहत पास पास होती हैं। अगौर। बलूत वृक्ष के ननों पर पाया जाता है। प्राचीन अधोरी। अँगोरी । समय में इसे विशेष विधि द्वारा शद्ध कर समां में अगास Agasta-हिं० संज्ञा पु[ सं० अन] रक्रराव को रोकने के लिए उपयोग करते थे प्रा. अग्ग--हिं० श्रास (प्रत्य०) द्वार के प्रागे परन्तु अधुना इसका प्रयोग सर्वथा अव्यवहारिक ___ का चबूतरा । संज्ञा पु० [सं० श्राका ] अाकाश | हो गया है। अगास्त gasta-मह० अगस्त, अगस्तिया-हि. अगा (गे)रिकस् पामेलस aga.vitths pal. Sesbania Grandiflora, Pers. malus-ले० पनसलम्बे-मह०, कॉ० । फा० इ०१ भा०। ayarie of theoalk, Totehunod . अगिgi-ल० लाल मिर्च से बनी हई चटनी । फा. Oyste-1-mushroom | ई. मे० म०: ०२भा०। अगारिकस मस्करिया agaricus Mara- श्रगिस.-सोagikest-si-बर० बड़ी अरंडी Tia-ले० अगारिकस अमेनिटा। . का तेल बृहदेरण्ड नैल (Oleum ricini For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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