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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ उत्तरार्धम् ] जे से वावहारिए से जहानामए पल्ले सिया जोयणं श्रायामविक्खभेां जो० उ० तं तिगुगां सविसेसं परिक्रखेवेणं, से गं पल्ले एगाहियवे आहियतेचाहिए जाव भरिए वालग्गकोडी, ते वालग्गा णो अग्गी डहेजा जाव नो पलिविइंसिजा नो pale हव्वमागच्छेजा, ततो गं वाससए २ एगमेगं वालग्गं अवहाय जावइए कालेां से पल्ले खीणे नीरए निल्लेवे निट्टिए भवइ, से तं ववहारिए अद्धापलिओ मे । ༦༩༣ एएसिं पल्ला कोडाकोडी हविज्ज दसगुणिता । तं ववहारिस, श्रद्धासा एगस्स भवे परिमाणं ॥ १ ॥ For Private and Personal Use Only ?, I एएहिं बवहारिएहिं श्रद्धापलिओमसागरोव मेहिं किं पश्रयणं ? एएहिं ववहारि द्वापलिप्रोवमसागरोवमेहिं नत्थि किंचिप्पनोयणं, केवलं परणवरणा किज्जइ, से तं वहारिए श्रद्धापलिक्मे से किं तं सुमेधापलिश्रमे १ २ से जहानामए पल्ले सिझा जो प्रणं श्रायामविक्खम्भेणं जोयां उ उच्चत्तेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं, सेणं पलते एगाहियवे आहियते महिय जाव भरिए बालग्गकोडी, तत्थां एगमेगे वालग्गे असंखेजाई खंडाई कजइ. वालग्गा दिट्ठीगाहा असंखेजइभागमेत्ता सुहुमरस पण जीवस्स सरीरोगाहणाओ असंखिज गुणा, ते गं वालाग्गाणो अग्गी दहेजा जाव णो पलि विद्वसिजा नो पूइत्ताए हव्वमागच्छेज्जा, ततो गं वाससए २ एगमेगं वालग्गं श्रवहाय जावइएवं कालेां से पल्ले खीणे नीरए निल्लेवे गिट्टिए भवइ, से तं सुहुमे श्रद्धापविमे ।
SR No.020052
Book TitleAnuyogdwar Sutram Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherMurarilalji Charndasji Jain
Publication Year
Total Pages329
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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