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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ श्री [ श्रीमदनुयोगद्वारसूत्रम् ] होही सेऽवि आमलए जंसि पक्खित्ते से मंचए भरिज्जिहिइ जे तत्थ आमलए न माहिइ । एवामेव उक्कोसए संखेज्जए रूवे पक्खित्ते जहणणयं परित्तासंखेज्जय भवइ । पदार्थ-(से किं तं गणगासंखा ?) गणना संख्या किसे कहते हैं ? (गणणासंखा) जिनकी संख्या गणना के द्वारा की जाय उसे गणना संख्या कहते हैं, (एको गणणं न उवेइ,) 'एक' गणन संख्याको प्राप्त नहीं होता, इस लिये (दुप्पभिः सखा,) दो प्रभृति -दो से संख्या शुरू होती है, (तं जहा) जैसे कि--( संखेज्जए ) संख्येयक ( असंखेजए ) असंख्येयक और (प्रगए ।, अनन्तक । (मे किं तं संखेजए ?) संख्ययक किसे कहते हैं ? (संखेज्जए) जिस की संख्या की जाय, और वह (सिविह गए पत्ते,) तीन प्रकार से प्रतिपादन किया गया है, ( जहा.) जैसे कि-(जहणणए) जघन्य (कास ए) उत्कृष्ट और (अनहगमणुकासए ) मध्यम । . (से किं तं असंखेजए ?) असंख्येयक किसे कहते हैं ? (असंखेजए, जो संख्येयक न हो, और वह (तिविहे पण्णत्ते, ) तीन प्रकार से प्रतिपादन किया गया है तं जहा.) जैसे कि--(परित्तासंबेजए) परीतासंख्येयक (जुत्तासंखेजा) युक्तासंख्येयक और (असं वेजासंखेजए ।) असंख्येयासंख्येयक । . (से किं तं परि तासंखेज्जए ?) परोतासंख्येयक किसे कहते हैं ? (परित्तासंखेजए) जो उत्कृष्ट संख्येयक न हो, और वह (तिविहे पण्णत्ते, ) तीन प्रकार से प्रतिपादन किया गया है, (तं जहा.) जैसे कि- (जहएणए) जघन्य (उक्कोसए) उत्कृष्ट और (अजह. रणमणुकोसए ।) मध्यम। ( से किं तं जुत्तासंखेजए ?) युक्तासंख्येयक किसे कहते हैं ? (जुत्तासंखेज्जए) जो ___ * एतावन्त एते इति संख्यानं गणनसंख्या । यत एकस्मिन् घटादौ दृष्ट घटादि वस्त्विदं तिष्ठतीत्येवमेव प्रायः प्रतीतिरुत्पद्यते, नैकसंख्याविषयत्वेन, अथवा आदानसमर्पणादिव्यवहारकाले एक वस्तु प्रायो न कश्चिद्रणयत्यतोऽसंव्यवहार्यत्वादल्पत्वाद्वा नैको गणनसंख्यामवतरति । अर्थात् __ जैसे कि कोई एक घटादि वस्तु देख कर घटादि वस्तु का तो ज्ञान हो जाता है, लेकिन संख्या नहीं मालूम होती । तथा-लौकिक व्यवहार में भी परम स्तोक होने से देने लेने में इसकी गणना नहीं की जाती। For Private and Personal Use Only
SR No.020052
Book TitleAnuyogdwar Sutram Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherMurarilalji Charndasji Jain
Publication Year
Total Pages329
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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